में ट्रेड और बिजनेस में पदमश्री अवार्ड से नवाजी जाने वाली नैना लाल किदवई की शख्शियत अनूठी है। वे स्वभाव से नम्र और धीरज की प्रतिमूर्ति हैं। वे एचएसवीसी इंडिया की चेअरपर्सन हैं। स्कूल की शिक्षा उन्होंने शिमला से पूरी की। दिल्ली यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में स्नातक की उपाधि प्राप्त कर एम.बी.ए. करने लन्दन के हार्वर्ड बिजनेस स्कूल गईं। इस क्षेत्र में वे भारत की पहली महिला थीं।
1982 में उन्होंने स्टैण्डर्ड चार्टर्ड बैंक में काम शुरू किया। इस के बाद उन्होंने 'मोर्गन स्टेनले' में काम किया। फिर एचएसबीसी से जुडीं। इनवैस्टमेंट बैंक को उन्होंने ऊपर उठाया, इस की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था में काफी सुधार आया।
कामयाबी का फंडा
2006 में वाल स्ट्रीट जर्नल में उन का नाम छपा। 50 बिजनेस विमन में वे विश्व में 34वें नंबर पर हैं। 'फोर्च्यून' पत्रिका ने उन्हें एशिया की तीसरी बिजनेस विमन का खिताब दिया। विदेशी बैंकों के द्वारा भारत में निवेश कराने वाली वे पहली महिला हैं। उन्होंने ओवरसीज के 22 शहरों में एचएसबीसी की 43 शाखाएं खोली हैं।
नैना लाल का कहना है, "मुझे अपनेआप पर हमेशा विश्वास रहा है। फलस्वरूप मैं अपने उद्देश्य में हमेशा कामयाब रही हूँ। आप को अपने सपने के साथ उद्देश्य को जोड़ देना चाहिए। परिणाम के बारे में घबराना नहीं चाहिए। यही वजह है की मैं अपने क्षेत्र में कामयाब रही।"
संगीत से लगाव
वे 2 बच्चों की माँ हैं और संयुक्त परिवार में रहती हैं। उन्हें वेस्टर्न और भारतीय शास्त्रीय संगीत अच्छे लगते हैं। हिमालय की ट्रेकिंग उन्हें पसंद है और उन्हें जगली जीवों से बेहद प्यार है।
खुश रहने के लिये नैना किदवई अपने अंदर की शक्ति को समझती हैं, जो उन्हें हमेशा तरोताजा रखती है।
अपने एक अनुभव के बारे में वे कहती हैं की पहले बैंकों में महिलाएं कम थीं, अब उन की संख्या काफी बढी है, जिस से काम भी बेहतर होने लगे हैं।
मुंबई ब्लास्ट का जिक्र करते हुए वे कहती हैं, "मेरी महिलाकर्मी बम ब्लास्ट के दूसरे दिन भी काम पर आई। काम हमेशा वफादारी से होना चाहिए। मुझे अच्छा लगता है जब व्यक्ति को अपने काम की जिम्मेदारी समझ में आती हो।"
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