वर्षीय वसुंधरा को राजनीति विरासत में मिली है। ग्वालियर के शासक जीवाजी राव सिंधिया और उन की पत्नी राजमाता विजया राजे सिंधिया की चौथी संतान वसुंधरा का जन्म मुंबई में हुआ। प्रेजेंटेशन कान्वेंट स्कूल, कोडैकनाल से स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने सोफिया कालेज, मुंबई यूनिवर्सिटी से इकोनोमिक्स और साइंस आनर्स से ग्रेजुएशन की।
वसुंधरा की शादी धौलपुर राजघराने के महाराजा हेमंतसिंह के साथ हुई थी। तभी से वे राजस्थान से जुड़ गईं।
1984 में उन को भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल किया गया। अपनी कार्यक्षमता, विनम्रता और पार्टी के प्रति वफादारी के चलते 1998-99 में अटलबिहारी वाजपेयी मंत्रीमंडल में वसुंधरा को विदेश राज्य मंत्री बनाया गया अक्टूबर, 1999 में फिर केंद्रिया मंत्रीमंडल में उन को राज्यमंत्री के तर पर स्माल इंडस्ट्रीज, कार्मिक एंड ट्रेनिंग, पेंशन व पेंशनर्स कल्याण, न्यूक्लियर एनर्जी विभाग एवं स्पेस विभाग का स्वतंत्र प्रभार सौंपा गया।
वसुंधरा ने अपनी काबलियत से देश की राजनीति में अपनी पहचान कायम कर ली। इसी बीच राजस्थान में भैरों सिंह शेखावत के उपराष्ट्रपति बनने से प्रदेश में किसी दमदार नेता का अभाव खटकने लगा। लिहाजा वसुंधरा के पुराने बैकग्राउंड को देखते हुए केंद्रीय पार्टी ने उन को राज्य इकाई का अध्यक्ष बना कर भेज दिया।
उन्होंने चुनावों के मद्देनजर प्रदेश भर में परिवर्तन यात्रा निकाली। इस यात्रा के जरिये वे आम जनता से मिलती थीं। खासतौर से महिलाओं को लुभाने के लिये जिस इलाके में जातीं उसी इलाके की वेशभूषा पहन कर जाती थी।
नतीजा यह हुआ की विधानसभा चुनावों में वे भरी बहुमत के बल पर पार्टी को सत्ता में ले आईं। 1 दिसंबर 2003 में राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं।
वसुंधरा राजे ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में महिलाओं को आगे बढाने के लिये 2007-08 के बजट में शिक्षा, रोजगार, बालविवाह प्रथा पर रोक जैसे 5 सूत्री कार्यक्रम बनाए थे।
स्वशाक्तीकरण के प्रयास
2007 में यूएनओ द्वारा वसुंधरा को महिला के लिये स्वशाक्तीकरण के प्रयासों के लिये 'विमन टूगेदर अवार्ड' दिया गया।
अध्ययन, संगीत, घुड़सवारी, फोटोग्राफी और बागबानी की शौक़ीन राजे विभिन्न महंगी साड़ियाँ पहनना और उच्च रहनसहन उन का शौक है। यह रूतबा देख कर राजस्थान की जनता ही नहीं, पक्षविपक्ष के नेता विधानसभा तक में उन्हें महारानी ही कहते थे।
कुछ भी हो, वसुंधरा राजे ने हमेशा अपनी काबिलीयत का लोहा मनवाया और आगे बढ़ते हुए राजनीतिक विजय के झंडे गाड़े।
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