दिसंबर, 1994 को चेन्नई स्थित 'एनामोर' में जन्मीं चित्रा मुदगल का बचपन उन के पैतृक गाँव निहाली खेडा में बीता, जो उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में पड़ता है। प्रारंभिक शिक्षा निहाली खेडा के निकट भरतीपुर की 'कन्या पाठशाला' से हुई। कालेज की पढाई मुंबई विश्वविध्यालय से की तो चित्रकला में रुचि होने के कारण जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट्स से फाइन आर्ट में डिप्लोमा करने का प्रयास किया, लेकिन इस को पूरा नहीं कर पाएं। सुधा डोरा स्वामी से भरतनाट्यम का प्रशिक्षण भी उन्होंने लिया।
महज 20 साल की उम्र में चित्रा ने अवध नारायण मुदगल से अंतरजातीय प्रेमविवाह किया। उस समय वे एक तरफ लेखिका बनने के लिये कलम चला रही थीं तो दूसरी तरफ समाजसुधार के लिये कुदाल। पानी वाली बाई के नाम से मशहूर समाजसेविका मृणाल गोरे के साथ भी चित्रा मुदगल ने काम किया है।
मानद
एन. सी. ई. आर. टी. की विमन स्टडीज यूनिट की कुछ महत्वपूर्ण पुस्तक योजनाओं जैसे 'दहेज़ दावानल', 'बेगम हजरत महल' और 'स्त्री समता' आदि में 1986 से 1990 तक बतौर निदेशिका कार्य किया। वे फिल्म सेंसर बोर्ड की मानद सदस्य भी रहीं। 1980 में 'आशीर्वाद फिल्म अवार्ड' में बतौर जूरी सदस्य चुनी गईं। 2002 के 49वें राष्ट्रे फिल्म पुरस्कार की जूरी सदस्य चुनी गईं और इन्डियन पैनोरमा 2002 की भी सदस्य रहीं। 2003 से 2008 तक प्रसार भारती ब्राडकास्टिंग ऑफ इंडिया के बोर्ड में भी रहीं।
कलात्मक अभिव्यक्ति
चित्रा मुदगल अपने लेखन में कलात्मक अभिव्यक्ति को ले कर जानी जाती है। स्त्रीलेखन, स्त्री द्वारा लिखी गई कहानियां सिर्फ स्त्री जीवन को ले कर उठाए गए विषय नहीं है, बल्कि पूरा एक युग, एक बदलता हुआ परीदृश्य, परिवेश, जीवन, विचार, मूल्य उन्हें जोड़ते हैं।
वे अपने को 'करियार्वादी' नारी विमर्श के खानों में नहीं पातीं और कहती हैं की साहित्य में कोई भी शौर्टकट स्थायी नहीं होता।
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