री एक परिचित, जिन्हें मैं 'भाभी' कहती हूँ, से 'सेक्स' को लेकर कुछ चर्चा चल रही थी। कुछ शर्म और झिझक के साथ उन्होंने बताता, "तुम्हे क्या बताऊँ, मैं उन के सामने कभी निर्वस्त नहीं हुई। 'वे' कोशिश तो करते हैं, लेकिन मैं..."
उन की बातों को सुन कर मुझे बड़ी हैरानी हुई, क्योंकि उन के विवाह को 10 वर्ष हो गए हैं और उन के 2 बच्चे भी हैं। जब वे उपरोक्त बातें बता रही थीं, तब उन के चेहरे के भाव और स्वर से ऐसा लग रहा था की झिझक और शर्म से वे खुद भी परेशान हैं।
मुझे लगता है, यह समस्या किसी एक 'भाभी' को न हो कर कई महिलाओं की है।
भारतीय परिवेश में शहरों को छोड़ दें तो कस्बों में जो स्त्री-पुरुष रहते हैं, उन में यौन संबंधों को ले कर झिझक और शर्म बनी हुई है। पढ़े लिखे पति-पत्नी भी इस संबंध में खुले विचार नहीं रखते।
वैसे भी पतियों की मानसिकता ऐसी है की यदि स्त्री पहल करे तो भी पुरुष आश्चर्यचकित रह जाता है और कई बार तो पति पत्नी पर शक भी करने लगा है की कहीं वह किसी से....
हम भी नहीं कहते की बिलकुल बेशर्म हो जाना चाहिए, पर अपनी भूमिका के साथ तो ईमानदारी निभानी ही चाहिए।
आसनों से परहेज क्यों
विवाह के बरसों बाद भी पति-पत्नी एक-दूसरे के सामने नग्न होने में झिझकते हैं। यही कारण है की वे अंधेर में संबंध बनाना पसंद करते हैं। यह शर्म और झिझक इस कदर बाधा उत्पन्न करती है की वे पूरा-पूरा आनंद नहीं उठा पाते। कई बार तो रोशनी में स्त्रियाँ सिमटी हुई रहती हैं, तो पति बेकाबू हो जाते हैं या झगड़े पर उतारू हो जाते हैं, क्योंकि उन का यह मानना होता है की मैं तुम्हारा पति हूँ तो मुझ से शर्म कैसी ?
शर्म और झिझक के अलावा कई अन्य बातें भी संबंध के दौरान आग में घी का काम कर बाधा उत्पन्न करती हैं।
सेक्स के विषय में लोगों में गलत धारणाएं व्याप्त होने के कारण वे उस का आनंद नहीं ले पाते। विशेषरूप से स्त्रियों में यह आम धारणा बनी हुई है की सेक्स घ्रणित कार्य है। कहने का मतलब यह है की पत्नी संबंध तो बनाती है, लेकिन यदि उसे आनंद न मिले तो भी वह आनंद की मांग नहीं करती, जिस से आगे चल कर उसे शारीरिक और मानसिक यंत्रणा भोगनी पड़ती है। कई बार पुरूष भी बेबुनियाद बातों को आदर्श क रूप दे कर सेक्स सुख से वंचित रह जाते हैं। मसलन, वे उन आसनों का प्रयोग नहीं करते, जिन में पत्नी की स्थित ऊपर की ओर हो, क्योंकि उन के अंतर्मन में यह बात बैठी है की अगर वे ऐसे आसनों का पयोग करेंगे तो उन के 'दर्जे' में गिरावट आ जाएगी, जबकि सही पति वही है, जो खुद तो सुख पाए ही, पत्नी को भी सुख मिले, इस का भी ख़याल रखे।
इस के अलावा सेक्स के संबंध में सुनीसुनाई बातें भी डर उत्पन्न कर शारीरिक संबंध में बाधा उत्पन्न करती हैं. जैसे मुख मैथुन को गलत मानना।
गर्भनिरोधक उपाय की उचित जानकारी न होने के कारण गर्भ ठहरने का खतरा भी संबंध में बाधा उत्पन्न कर देता है। नए आसनों को अपनाने में हिचक के कारण भी बाधा उत्पन्न होती है। इन सब से हट कर एक अन्य बात, मानसिक तनाव भी संबंध में उत्पन्न करता है।
झिझक से बचें
चुकीं स्त्रियाँ सेक्स सुख को अनैतिक मानती हैं, इसलिए वे सेक्स सुख की इच्छा को दबाते हुए अनिच्छा जाहिर करती हैं। जब पति संबंध में पहल करता है, तब यदि पत्नी शर्मवश अपनी ओर से कोई क्रिया नहीं करती, तो पति समझ लेता है की उस की पत्नी ठंडी औरत है। इस का नतीजा यह होता है की पति-पत्नी के संबंधों में न चाहते हुए भी तनाव उत्पन्न हो जाता है।
आप निरर्थक आदर्शों और गलत धारणाओं के कारण सेक्स सुख में बाधा न उत्पन्न होने दें। यदि बाधा उत्पन्न हो भी जाए तो अपने जीवनसाथी से खुल कर बातें करें। आप समय पड़ने पर इस विषय में अपने मित्रों और सहेलियों से भी बात कर सकते हैं। क्योंकि उपरोक्त बाधाओं को वार्तालाप के द्वारा ही दूर कर पाना सम्भव है। यदि इन से भी बाधाएं दूर न हों तो यौन विशेषज्ञ और मनोरोग विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। यदि आप ऐसा करने में झिझक महसूस करेंगे तो आप निश्चित ही रिश्ते के बिखराव को आमंत्रण देंगे। इसलिए समझदारी इसी में है की आप समय से पहले सचेत हो जाएं।
- डा. विभा सिंह
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