12 मार्च 2012

कौन?

कौन नशीले नैनों को
मधुशाला कहता होगा,
कौन छलकते होठों को
हालाप्याला कहता होगा?

कौन गुलाबी गालों को
गुंचा गुलाब कहता होगा,
कौन तुम्हारे मुखड़े को
जन्नत का ख्वाब कहता होगा?

किस को स्याह घटाओं में
एक आफताब दीखता होगा,
ए माहताब! हो कर बेताब
फिर लाजवाब कहता होगा।

                                       - सुनीति रावत       

1 टिप्पणी: