13 मार्च 2012

पारदर्शिता बहुत जरूरी

हमारा सामाजिक जीवन जो आरम्भ होता है, जन्म लेते हैं हम, समाज में रहते हैं। कुछ सिखाया जाता है समाज में कैसे रहना, पारदर्शिता बहुत जरूरी है। आपका व्यक्तित्व ऐसा हो, जैसे लाइब्रेरी की टेबल पर पडा हुआ अखबार। कोई भी पढ़ ले कोई शक की गुंजाइश न रहे। महाभारत में जितने भी पात्र आए, उनके जीवन की पारदर्शिता खंडित हो चुकी थी। पिता पुत्र से रहस्य बनाया हुआ था। माँ-बाप बच्चों को जानकारी नहीं दे रहे थे। भाई, भाई से छुपा रहा था। मित्र, मित्र से षड़यंत्र कर रहा था। पारदर्शिता नहीं थी तो कितनी बड़ी कीमत चुकाना पडी। भागवत में भी चर्चा आती है की दुर्योधन, दुर्योधन क्यों बन गया। इसलिय बन गया क्योंकि जब पैदा हुआ तो उसके मन में जितने प्रश्न थे उसके उत्तर उनको दिए ही नहीं गए। जब उसने होश सम्भाला तो सबसे पहले उसने ये पूछा की मेरी माँ इस तरह से अंधी क्यों है? कोई समझ में आता है की प्रकृति ने किसी को अंधा कर दिया पर इसकी आँखों पर पट्टी क्यों बांधी। मुझको जवाब चाहिए और उसको राजमहल में कोई जवाब नहीं देता था, क्योंकि सब जानते थे की गांधारी ने अपने श्वसुर भीष्म के कारण पट्टी बांधी थी। क्योंकि भीष्म को चिंता थी की राजगद्दी कौन संभालेगा और ध्रतराष्ट्र अंधा था तो उन्होंने आदेश दिया था गांधारी के पिता को की आपकी पुत्री से मेरे इस पुत्र का विवाह करना होगा। विवाह दबाव में कराया गया और दबाव में दाम्पत्य आरम्भ होता हो तो फिर, जब गांधारी आई और पता लगा की भीष्म की आज्ञा से यह हुआ। गांधारी उस समय की सबसे योग्य युवती थी। भीष्म ने सोचा, योग्य युवती अंधे के साथ बांधेंगे तो गृहस्थी, राज, सिंहासन अच्छा चलेगा। जैसे ही गांधारी को पता लगा की मेरा पति अंधा है, तो उसने संकल्प लिया की वह आजीवन स्वैच्छिक अन्धत्त्व स्वीकार करेगी, उसने आँख पर पट्टी बाँध ली। अब आप बताइये, जिस घर में पिता पहले से अंधा हो और माँ आए और वो भी अंधी हो जाए तो फिर उस घर में कौरवों का जन्म होता है, जहाँ माँ-बाप दोनों पट्टी बाँध लें मोहांध की बच्चों के लालन-पालन के प्रति तो उस घर में कौरव पैदा हो जाएंगे। होना तो यह था की इनके पास नेत्र नहीं हैं तो मैं देखती रहूँ। ये प्रश्न हमेशा दुर्योधन के मन में खडा होता था की मेरी माँ ने ये मूर्खता क्यों की। चुनौती देनी थी तो खुलकर देते और गांधारी की चुनौती दुर्योधन में उतर गयी और दुर्योधन ने बगावत कर दी भीष्म के खिलाफ।