काश,
प्रभात के सिंदूरी सूर्य से
तुम्हारी मांग भर पाता।
समुद्र की नीली गहराई
तुम्हारे नयनों में भर पाता
और काले मेघों से तुम्हारे
नयन आंज पाता,
इन्द्रधनुष के रंगों से
तुम्हारी बिंदिया सजाता।
भरपूर प्रीत की मेहंदी से
हथेलियाँ,
ललाई कचनार सी, महावर
पांवों में सजा कर
चाँद की ओट में, प्यार भरा
एक चुम्बन, सिर्फ एक चुम्बन
तुम्हारे गालों का ले पाता।
- रामनिवास शर्मा
प्रभात के सिंदूरी सूर्य से
तुम्हारी मांग भर पाता।
समुद्र की नीली गहराई
तुम्हारे नयनों में भर पाता
और काले मेघों से तुम्हारे
नयन आंज पाता,
इन्द्रधनुष के रंगों से
तुम्हारी बिंदिया सजाता।
भरपूर प्रीत की मेहंदी से
हथेलियाँ,
ललाई कचनार सी, महावर
पांवों में सजा कर
चाँद की ओट में, प्यार भरा
एक चुम्बन, सिर्फ एक चुम्बन
तुम्हारे गालों का ले पाता।
- रामनिवास शर्मा
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