आरती 1
आरती श्री यमुनाजी की
ॐ जय यमुना माता, हरी ॐ जय यमुना माता,
जो नहावे फल पावे ये है सुख दाता। ॐ...
पावन श्री यमुनाजल शीतल अगम बहे धरा,
जो जन शरण में आता कर देती निस्तार। ॐ...
जो जन प्रातः हे उठकर नित्य स्नान करे,
यम के तरस न पावे जो नित्य ध्यान धरे। ॐ...
कलिकाल में महिमा तुम्हारी अटल रही,
तुम्हारा बड़ा महातम चारों वेड कही। ॐ...
आन तुम्हारे माता प्रभु अवतार लियो,
नित्य निर्मल जल पीकर कंस को मार दियो। ॐ...
नमो मात भय शरनी शुभ मंगल करणी,
मन बैचन रह है तुम बिन वेतरणी। ॐ...
*******************************
आरती 2
आरती श्री यमुनाजी की
जय कालिंदी, हरी प्रिय जय,
जय रवि ताने, तपोमयी जय ॥ ॥
जय श्यामा अति अभिरामा जय,
जय सुखदा श्रीहरी राम जय ॥ ॥
जय ब्रजमंडल- वासिनी जय जय,
जय द्वारिका निवासिनी जय जय ॥ ॥
जय कलि- कलुष नसावनि जय जय,
जय यमुने जय पावनि, जय जय ॥ ॥
जय निर्वाण प्रदायिनी जय जय,
जय हरी प्रेम दायिनी जय जय ॥ ॥
15 फ़रवरी 2012
श्री यमुनाजी की आरती
Labels: देवी-देवता
Posted by Udit bhargava at 2/15/2012 07:50:00 am
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
एक टिप्पणी भेजें