आप अपनी आँख बंद करके ध्यान लगाएं और खुद से पूछें की कौन सा काम करते समय आपको आनंद आता है। ऐसी कौन-सी दुनिया है जो आपको बुलाती है। तभी आप सही फैसला कर पाएंगे।
काम : मेरा मानना है की इंसान का अपना-अपना टेस्ट होता है और वह टेस्ट ही उसे एक-दूसरे से अलग व्यक्तित्व प्रदान करता है। जहाँ तक मेरी सफलता है तो मैंने फोटोग्राफी के क्षेत्र को अपने रुचि से चुना। मुझे मालूम था की मैं फोटोग्राफी बहुत अच्छी कर सकता हूँ। युवाओं से मेरा कहना यही है की यदि उन्हें सफलता का स्वाद चखना है तो अपने व्यक्तित्व से मेल खाते करियर को ही चुनें। जो व्यक्ति ऐसा करते हैं वे लम्बी पारी खेलते हैं नहीं तो कुछ दूर जाने के बाद ही थक जाते हैं।
नो शार्टकट : मैंने कभी अपने करियर में शार्टकट नहीं अपनाया और न ही इस बात की चिंता की की मैं कब सफल हो पाउँगा? बस मेहनत करता गया। दिन-रात काम किया। न्यूजपेपर में बेहतर काम करने की कोशिश की। हमेशा कुछ नया करने का जज्बा मन में बनाए रखा। आज युवाओं में शार्टकट प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है। वे हर चेज का फल तुरंत चाहते हैं। युवा इस बात का हमेशा ध्यान रखें की जिस तरह फास्ट फ़ूड खाने में तो स्वादिस्ट होता है, लेकिन सेहत के लिहाज से वह ठीक नहीं है। फास्ट फ़ूड एटीटयूट अपनाकर आप शार्ट पीरियड में सफलता तो पा लेंगे, लेकिन वह सफलता भी मात्र शार्ट पीरियड के लिए ही होगी। इसलिए युवाओं को मेरी सलाह है की वे अपने जीवन के कार्यक्षेत्र में शार्टकट कभी न अपनाएं।
एक्स्ट्रा स्ट्रोक : मैं इंसान में ईमानदारी का होना बहुत जरूरी मानता हूँ। यह ईमानदारी खुद को नहीं जानेगा, वह कुछ नहीं कर पाएगा। जब तक आप अपने काम के प्रति इमानदार नहीं रहेंगे तब तक कभी आगे नहीं पहुँच पाएंगे। लोग आप पर विश्वास नहीं करेंगे और जब लोगों को आप पर, आपके काम पर विश्वास नहीं होगा तब तक तरक्की संभव नहीं है।
मंजिल = नजरिया + काम + नो शार्टकट
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रघु राय, प्रसिद्ध फोटोग्राफर
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