20 अप्रैल 2011

सबसे पहले सपना पालो


सपने जरूर देखें और उन सपनों को साकार करने की तीव्र चाह अपने अन्दर पैदा करें मेहनत व दिल से किया गया प्रयास कभी व्यर्थ नहीं जाता।
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फलता, असफलता तो सभी के साथ लगी रहती है। पर आत्मविश्वास आपकी जिन्दगी में बहुत जरूरी है। मेरा यह सफ़र सपने और आशावादी की मजबूत बुनियाद पर खडा है।
अपनी चरम आशावादी प्रवृत्ति और उन्मुक्त वैचारिक श्रृंखलाओं के बीच वायुसेना में पायलेट बनने का एक मात्र लक्ष्य मैं कब निर्धारित कर लिया था इसका मुझे पता ही नहीं चला। खैर, अपनी पढाई के समाप्त होते ही अपने इस एक मात्र ख्वाब को हकीकत में बदलने के लिए मैं देहरादून में आयोजित वायुसेना की मौखिक परीक्षा में सम्मलित हो गया। मौखिक परीक्षा में अंतिम रूप से अपने चयन के प्रति मैं पूरी तरह से आश्वस्त था। लेकिन परिणाम के घोषित होने के साथ मानो मैं आसमान से गिरकर खजूर में अटक गया। मुझे असफल करार दे दिया गया था। इसके साथ ही मेरा एक मात्र खवाब भी बुरी तरह से टूटकर मिट्टी में मिल चुका था। मैं निराश था।

घनघोर निराशा के इसी दौर में ऋषिकेश में मेरी मुलाक़ात स्वामी शिवानन्द से हुई जिनके चेहरे से झलकती हुई निर्विकल्प शांति और बालसुलभ मुस्कराहट ने बरबस ही मुझे उनकी और आकर्षित कर दिया। मैंने अपनी सारी परेशानियाओं का उल्लेख स्वामी जी से किया। मेरी परेशानियों को ध्यानपूर्वक सुनाने के बाद स्वामी जी ने स्नेह से मेरे सर पर हाथ फेरा और मुस्कुराते हुए बोले - 'कलाम, तीव्र चाह हमेशा एक विशुद्ध ऊर्जा से भरी होती है और जो सूर्य की किरणों की भाँती ही अविराम, सत्य और शास्वत है अतः इस असफलता को भूलकर अपनी नियती और ऊर्जा को पहचानो। उसी पथ का निर्माण करो, जिसके लिए तुम बने हो, मंजिल तुम्हारे कदम चूमेगी।

स्वामी जी के इन वचनों के साथ ही मेरी सारी उलझनें, मेरे सारे गतिरोध, सारी परेशानियां काफूल होगी। मैं अपनी समस्त आतंरिक शक्तियों के साथ अपनी मंजिल के लिए जुट गया। लक्ष्य के प्रति समर्पित मेरी चाहतों ने मेरे कई सपनों को जन्म दिया...... और मैं अपने सार्थक प्रयासों तथा समर्पित कार्यों की बदौलत हर एक सपनो को साकार करता चला गया। मैं जब भी अपने अतीत में झांकता हूँ तो इस कथन को सौ फीसदी सच पाता हूँ। यह सच है की अपने समस्त जीवन में वास्तविक सपनों के निर्माण में मैंने कहीं कोइ कोताही नहीं बरती। जब भी कभी मेरी आशा, सपने या लक्ष्य अपारदर्शी होते दिखे मैंने हमेशा इसके पीछे छिपे लक्ष्य प्राप्ति के स्वर्णिम अवसर को ढून्ढ निकाला। एक राष्ट्रपति के रूप में भी मैं देश और जनता को शान्ति, सफलता और सम्रद्धि की सफलतम मंजिल तक पहुंचाने का एक मात्र ख्वाब ही देखता हूँ।
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देश के सभी युवाओं को मैं कहना चाहता हूँ की सपने जरूर देखें और उन सपनों को साकार करने की तीव्र चाह अपने अन्दर पैदा करें और जुट जाएं अपने ख़्वाबों को साकार करने में। मेहनत व दिल से किया गया प्रयास कभी व्यर्थ नहीं जाता। अतः सफलता के लिए सपने देखना बहुत जरूरी है क्योंकि सपने ही नहीं देखोगे तो उन्हें पूरा भी नहीं कर पाओगे।
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कामयाबी = सपने + आशावादी  
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एपीजे अब्दुल कलाम, भूतपूर्व राष्ट्रपति