हमारे गाँव के पास ही एक स्नातकोत्तर महाविद्यालय है। इसकी गणना एक बहुत ही अच्छे शिक्षण संस्थान के रूप में होती है। दूर-दूर से बच्चे यहाँ शिक्षा-ग्रहण के लिए आते हैं।
7-8 साल पहले की बात है। बिहार का एक लड़का यहाँ हास्टल में रहकर पढ़ाई करता था। वह बहुत ही मेधावी और मिलनसार था। हास्टल में उसके साथ रहनेवाले अन्य बच्चे उसे दूबेभाई-दूबेभाई किया करते थे। एकबार की बात है कि वह अपने बड़े भाई की शादी में सम्मिलित होने के लिए 15 दिन के लिए गाँव गया। हास्टल के अन्य बच्चों ने उससे कहा कि दूबेभाई जल्दी ही वापस आ जाइएगा।
15 दिन के बाद वह लड़का फिर से आकर हास्टल में रहने लगा। लेकिन अब वह अपने दोस्तों से कम बात करता था। यहाँ तक कि वह उनके साथ खाना भी नहीं खाता था और कहता था कि बाद में खा लूँगा। अब वह पढ़ने में भी कम रुचि लेता था। जब उसके साथवाले बच्चे उससे कुछ बात करना चाहते थे तो वह टाल जाता था। वह दिनभर पता नहीं कहाँ रहता था और रात को केवल सोने के लिए हास्टल में आता था।
घर से हास्टल में आए उसे अभी एक हप्ते ही हुए थे कि एकदिन उसके कुछ घरवाले हास्टल में आए। सबके चेहरे उदासीन थे। एक लड़का उन लोगों से बोल पड़ा कि दूबेभाई तो अभी हैं नहीं, वे तो केवल रात को सोने आते हैं। उस लड़के की बात सुनकर दूबे के घरवाले फफककर रो पड़े और बोले वह रात को भी कैसे आ सकता है।
हमलोग तो उसका सामान लेने आए हैं। अब वह नहीं रहा। हास्टल से जाने के दो दिन बाद ही वह मोटरसाइकिल से एक रिस्तेदार के वहाँ जा रहा था। उसकी मोटरसाइकिल एक तेज आती ट्रक से टकरा गई थी और वह आन स्पाट ही काल के गाल में समा गया था। इतना कहकर वे लोग और तेज रोने लगे। हास्टल के जो बच्चे ये बात सुन रहे थे उन्हे ठकुआ मार गया था और उनके रोएँ खड़े हो गए थे। वे बार-बार यही सोच रहे थे कि रात को जो लड़का उनके पास सोता था या जिसे वे देखते थे क्या वह दूबेभाई का भूत था।
खैर उस दिन के बाद दूबेभाई का भूत फिर कभी सोने के लिए हास्टल में नहीं आया पर कई महीनों तक हास्टल के सारे बच्चे खौफ में जीते रहे और दूबेभाई के रहनेवाले कमरे में ताला लटकता रहा।
लोग कहते रहे कि दूबेभाई को अपने हास्टल से बहुत ही लगाव था इसलिए स्वर्गीय होने के बाद भी वे हास्टल का मोह छोड़ न सके।
कहते हैं आज भी जो बच्चे दूबेभाई के भूत के साथ सोते थे डरे-सहमे ही रहते हैं।
यह घटना सही है या गलत; यह मैं नहीं कह सकता। क्योंकि मैंने यह घटना अपने क्षेत्र के कुछ लोगों से सुनी है।
खैर भगवान दूबेभाई की आत्मा को शांति और मोक्ष प्रदान करें।
प्रस्तुतकर्ता :- प्रभाकर पाण्डेय
(के सौजन्य से)
7-8 साल पहले की बात है। बिहार का एक लड़का यहाँ हास्टल में रहकर पढ़ाई करता था। वह बहुत ही मेधावी और मिलनसार था। हास्टल में उसके साथ रहनेवाले अन्य बच्चे उसे दूबेभाई-दूबेभाई किया करते थे। एकबार की बात है कि वह अपने बड़े भाई की शादी में सम्मिलित होने के लिए 15 दिन के लिए गाँव गया। हास्टल के अन्य बच्चों ने उससे कहा कि दूबेभाई जल्दी ही वापस आ जाइएगा।
15 दिन के बाद वह लड़का फिर से आकर हास्टल में रहने लगा। लेकिन अब वह अपने दोस्तों से कम बात करता था। यहाँ तक कि वह उनके साथ खाना भी नहीं खाता था और कहता था कि बाद में खा लूँगा। अब वह पढ़ने में भी कम रुचि लेता था। जब उसके साथवाले बच्चे उससे कुछ बात करना चाहते थे तो वह टाल जाता था। वह दिनभर पता नहीं कहाँ रहता था और रात को केवल सोने के लिए हास्टल में आता था।
घर से हास्टल में आए उसे अभी एक हप्ते ही हुए थे कि एकदिन उसके कुछ घरवाले हास्टल में आए। सबके चेहरे उदासीन थे। एक लड़का उन लोगों से बोल पड़ा कि दूबेभाई तो अभी हैं नहीं, वे तो केवल रात को सोने आते हैं। उस लड़के की बात सुनकर दूबे के घरवाले फफककर रो पड़े और बोले वह रात को भी कैसे आ सकता है।
हमलोग तो उसका सामान लेने आए हैं। अब वह नहीं रहा। हास्टल से जाने के दो दिन बाद ही वह मोटरसाइकिल से एक रिस्तेदार के वहाँ जा रहा था। उसकी मोटरसाइकिल एक तेज आती ट्रक से टकरा गई थी और वह आन स्पाट ही काल के गाल में समा गया था। इतना कहकर वे लोग और तेज रोने लगे। हास्टल के जो बच्चे ये बात सुन रहे थे उन्हे ठकुआ मार गया था और उनके रोएँ खड़े हो गए थे। वे बार-बार यही सोच रहे थे कि रात को जो लड़का उनके पास सोता था या जिसे वे देखते थे क्या वह दूबेभाई का भूत था।
खैर उस दिन के बाद दूबेभाई का भूत फिर कभी सोने के लिए हास्टल में नहीं आया पर कई महीनों तक हास्टल के सारे बच्चे खौफ में जीते रहे और दूबेभाई के रहनेवाले कमरे में ताला लटकता रहा।
लोग कहते रहे कि दूबेभाई को अपने हास्टल से बहुत ही लगाव था इसलिए स्वर्गीय होने के बाद भी वे हास्टल का मोह छोड़ न सके।
कहते हैं आज भी जो बच्चे दूबेभाई के भूत के साथ सोते थे डरे-सहमे ही रहते हैं।
यह घटना सही है या गलत; यह मैं नहीं कह सकता। क्योंकि मैंने यह घटना अपने क्षेत्र के कुछ लोगों से सुनी है।
खैर भगवान दूबेभाई की आत्मा को शांति और मोक्ष प्रदान करें।
प्रस्तुतकर्ता :- प्रभाकर पाण्डेय
(के सौजन्य से)
Muito obrigada por ter um tradutor aqui! Sofri um pouco para conseguir ler da outra vez. Linda a sua língua: uma obra de arte. Uma cultura impressionante - parabéns - por compartilhar conosco.
जवाब देंहटाएंFENIX CRUZ means - thank you for a translator here! I suffered a bit to get the reading again. beautiful its language: a work of art. culture an impressive - congratulations - for sharing.(इस अनुवादक के लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं। भाषा को समझने में थोडा कष्ट उठाना पडा। आपकी भाषा, कला, संस्क्रति बहुत प्रभावशाली है, साझा करने के लिए-बधाई।)
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