तीन चीजें ऐसी हैं, जिनका आदमी को जरूर खयाल रखना चाहिए। जो कोई उनमें से किसी एक को भी छोड़ता है, या उसके ताल्लुक लापरवाही बरतता है, या तोड़ता है, वह सबको छोड़ता है, सबको तोड़ता है। इसीलिए पूरे ऐहतियात से उसे समझने और उस पर सोचने की कोशिश करनी चाहिए।
सबसे पहले अपनी जुबान, अपने मन और अपने कामों से यह ऐलान करो कि ईश्वर एक है। एक ईश्वर का ऐलान करने के बाद पूरी तरह से यह मान लो कि उसके सिवाय कोई भी तुम्हें नुकसान या फायदा नहीं पहुंचा सकता या नहीं पहुंचाता। फिर तुम खुद को, अपने कामों को ईश्वर के हवाले कर दो। अगर तुम अपने कामों का एक छोटा हिस्सा भी किसी दूसरे के लिए करते हो, तो तुम्हारी सोच और जुबान गलत है।
किसी दूसरे के लिए काम करने का मतलब ही है किसी से कोई उम्मीद या किसी तरह का कोई डर। और जब तुम सब चीजों के मालिक और रहनुमा उस ईश्वर के अलावा किसी और की तरफ उम्मीद या डर से देखते हो, तो एक और खुदा की इबादत या इज्जत का भार अपने ऊपर ले लेते हो।
दूसरे यह कि जब तुम इस सच्चे भरोसे के साथ बोलते या काम करते हो कि सिवाय उसके दूसरा कोई ईश्वर नहीं है। फिर तुम्हें उस पर, पूरी दुनिया, दौलत, चचा, पिता या मां या इस धरती पर किसी भी शख्स से ज्यादा भरोसा करना चाहिए।
तीसरे, एक ईश्वर को मानने और उस पर सच्चा भरोसा करने के बाद तुम्हारे लिए बेहतर है कि हमेशा तसल्ली रखो। किसी भड़कने वाली बात पर भी कभी गुस्सा न करो। गुस्से से सावधान रहो। अपने दिल को हमेशा ईश्वर के नजदीक रखो। और एक लम्हे के लिए भी उसे ईश्वर से अलग मत होने दो।
सबसे पहले अपनी जुबान, अपने मन और अपने कामों से यह ऐलान करो कि ईश्वर एक है। एक ईश्वर का ऐलान करने के बाद पूरी तरह से यह मान लो कि उसके सिवाय कोई भी तुम्हें नुकसान या फायदा नहीं पहुंचा सकता या नहीं पहुंचाता। फिर तुम खुद को, अपने कामों को ईश्वर के हवाले कर दो। अगर तुम अपने कामों का एक छोटा हिस्सा भी किसी दूसरे के लिए करते हो, तो तुम्हारी सोच और जुबान गलत है।
किसी दूसरे के लिए काम करने का मतलब ही है किसी से कोई उम्मीद या किसी तरह का कोई डर। और जब तुम सब चीजों के मालिक और रहनुमा उस ईश्वर के अलावा किसी और की तरफ उम्मीद या डर से देखते हो, तो एक और खुदा की इबादत या इज्जत का भार अपने ऊपर ले लेते हो।
दूसरे यह कि जब तुम इस सच्चे भरोसे के साथ बोलते या काम करते हो कि सिवाय उसके दूसरा कोई ईश्वर नहीं है। फिर तुम्हें उस पर, पूरी दुनिया, दौलत, चचा, पिता या मां या इस धरती पर किसी भी शख्स से ज्यादा भरोसा करना चाहिए।
तीसरे, एक ईश्वर को मानने और उस पर सच्चा भरोसा करने के बाद तुम्हारे लिए बेहतर है कि हमेशा तसल्ली रखो। किसी भड़कने वाली बात पर भी कभी गुस्सा न करो। गुस्से से सावधान रहो। अपने दिल को हमेशा ईश्वर के नजदीक रखो। और एक लम्हे के लिए भी उसे ईश्वर से अलग मत होने दो।
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