पुरानी कहानियों का अंत हमेशा इन सुखद पंक्तियों से हुआ करता था ..और अंत में वे खुशी-खुशी साथ रहने लगे..। इस अंत के बाद क्या होता होगा? यह सवाल सभी के मन में कभी न कभी आता है। दरअसल कहानी दि एंड के बाद शुरू होती है। रिश्ते हमेशा ही सुखद नहीं रहते, उनमें टकराव, अलगाव होता है। ब्रेक-अप जिंदगी का दुखद अध्याय है, लेकिन कई स्थितियों में यह जरूरी भी होता है।
कुछ समय पूर्व आई फिल्म लव आजकल के नायक-नायिका अलग-अलग रुचियों एवं करियर के कारण अलग होने का निर्णय लेते हैं। लेकिन वे परंपरागत ढंग से रोते-बिसूरते यह निर्णय नहीं लेना चाहते। वे इसे भी सेलिब्रेट करना चाहते हैं, ताकि दोबारा मिलें तो दो अजनबियों की तरह न गुजर जाएं।
कॉमेडी और रोमांटिक फिल्म प्यार के साइड इफेक्ट्स में ब्रेक-अप के कुछ साइड इफेक्ट्स बताए गए हैं। जैसे-बहुत रोना पडेगा, जितना रोएंगे उतना ही ब्रेक-अप से बाहर आएंगे और अगर रोना न आए तो दर्द भरे नगमे सुनें, एक्स को भूलने के लिए दिन-दिन भर शॉपिंग करेंगे। इससे बजट बिगडेगा और आपका तनाव दूसरी जगह शिफ्ट हो जाएगा, दोस्तों के साथ मौज-मस्ती, घूमना-फिरना फिर से शुरू हो जाएगा और हां- आजादी महसूस करने लगेंगे। यानी किसी अन्य को पसंद करने की आजादी।
ये तो फिल्मों की बातें हैं, लेकिन व्यावहारिक दुनिया में अलग होने का निर्णय लेना इतना सहज और आसान नहीं होता। बावजूद इसके कई बार ऐसा करना पडता है, क्योंकि जिंदगी रिश्तों से ऊपर है। पति-पत्नी के रिश्ते हों या प्रेम संबंध, कई बार वे इतने परिपक्व नहीं होते कि ताउम्र निभाए जा सकें। इनका कुप्रभाव जिंदगी के अन्य पहलुओं पर पडने लगे तो ब्रेक-अप जरूरी हो जाता है। लेकिन अलग होने से पहले सोच-विचार करना चाहिए और सम्मानजनक ढंग से रिश्तों को खत्म किया जाना चाहिए।
1. संबंधों की समीक्षा करें। हर रिश्ते में कभी न कभी उतार-चढाव आते हैं। आपसी समझदारी और बातचीत से विवाद सुलझाने की कोशिश की जानी चाहिए।
2. रिश्ता अछा और लंबा रहा है तो अलग होने का निर्णय लेने से पूर्व काउंसलर की मदद भी लें।
3. किसी ऐसे मध्यस्थ की राय लें, जो निष्पक्ष और तटस्थ हो। दोस्तों की सलाह भी ली जा सकती है, अगर वे दोनों पक्षों से समान व्यवहार रखते हों। साथ रहने की तमाम संभावनाओं पर ठंडे मन से विचार करें।
4. रिश्ते बनाना जितना आसान है, उतना ही मुश्किल उन्हें निभाना है। रिश्ते को परिपक्व होने का पूरा मौका दें, साथ ही अपने साथी के साथ पारदर्शिता बनाए रखें।
5. काउंसलिंग, बातचीत और सोचने-समझने के बावजूद यदि रिश्ते को आगे निभा पाना नामुमकिन लग रहा हो, तो अलग होने का निर्णय लें। लेकिन एक बार निर्णय ले लेने के बाद फिर अपनी भावनाओं को उस पर हावी न होने दें, निर्णय पर अडिग रहें।
ब्रेक-अप के प्रभाव
वॉल्तेयर ने कहा था, प्रेम दार्शनिकों को मूर्ख और मूर्र्खो को दार्शनिक बनाता है। उन्होंने यह तो नहीं बताया कि जब यह प्रेम नहीं बचता तब क्या होता है। लेकिन इतना तय है कि ऐसे में सारे तर्क व्यर्थ हो जाते हैं। बुद्धिजीवी और तार्किक व्यक्ति भी दर्द और पीडा में डूब जाते हैं। लोग अवसाद में चले जाते हैं, खाना-पीना और सोना भूल जाते हैं।
कई बार आत्मग्लानि या अपराध-बोध से भी भर जाते हैं लोग। मेरे इस फैसले से वह जरूर आहत होगा या होगी या मुझमें कोई कमी थी जो उसने मुझे अपने जीवन से बाहर किया.. जैसे कई विचार पनपने लगते हैं।
कुछ लोगों के लिए प्रेम से बाहर निकलना रचनात्मकता का पर्याय भी बन जाता है। वे एकांतप्रिय होकर संगीत, लेखन, अभिनय या कला जैसे क्षेत्रों में अपनी अभिव्यक्ति करने लगते हैं, तो कुछ लोग विध्वंसात्मक प्रतिक्रिया जताते हैं। ऐसे लोग या तो आत्मघाती हो जाते हैं या दूसरे को पीडा पहुंचाने लगते हैं। ऐसे कई उदाहरण समाज में हैं, जब लडकी के प्रेम प्रस्ताव ठुकराने या शादी से मना करने पर कथित प्रेमी द्वारा उसके मुंह पर तेजाब फेंक दिया गया, पत्नी से अलगाव के बाद पति ने बदले की भावना से भरकर पत्नी के न्यूड फोटोग्राफ्स पोर्नो साइट्स पर डाल दिए। यदि बॉलीवुड कलाकारों की बात करें तो सलमान, ऐश्वर्य और विवेक ओबेराय का त्रिकोणीय प्रेम संबंध और उससे जुडी कटु घटनाएं सभी को याद हैं। हालांकि बाद में एक टीवी कार्यक्रम में विवेक ने स्वीकार किया कि उन्हें सार्वजनिक तौर पर ऐश्वर्य के बारे में अपने कमेंट नहीं देने चाहिए थे।
गलती कहां हुई
19 वर्षीय एक लडका अपने ब्लॉग पर लिखता है, कुछ समय पूर्व ही मैं अपनी गर्लफ्रेंड से अलग हुआ हूं। हम एक वर्ष तक साथ थे। मैंने बहुत कोशिश की कि हम इस दोस्ती को कायम रख सकें, लेकिन वह बहुत भावुक थी, शायद मुझसे ज्यादा अपेक्षा रखती थी। जब मैं उसे समझा न सका तो स्पष्ट कहना बेहतर समझा। वह गुस्से में आ गई, उसने मुझे थप्पड मारा और चली गई। मैं ईमानदार था, लेकिन शायद मुझे ठीक ढंग से अपनी बात कहनी नहीं आई। हालांकि अब तक मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि एक प्यारा संबंध कैसे टूट गया।
सच तो यह है कि व्यक्ति निरंतर खुद का विकास करता है। यह जरूरी नहीं कि पांच वर्ष पूर्व की पसंद-नापसंद भविष्य में भी बरकरार रहे। रुचियों, करियर, विचारों, सोच में बदलाव के साथ ही उम्र के साथ-साथ परिपक्वता भी आती है। लोग यदि प्रेम करते हैं तो प्रेम संबंध से बाहर भी आते हैं। इसमें कुछ भी असामान्य नहीं है।
ब्रेक-अप की पहल कोई भी करे, दर्द दोनों को होता है। कभी सुकून, खालीपन, कभी दर्द, खुशी, आशा तो कभी अपराध-बोध जैसे कई मिले-जुले भाव मन में आने लगते हैं। यह सब इसलिए होता है कि अचानक एक निकट संबंध के खत्म होते ही अकेलापन घेर लेता है। बेचैनी के इस माहौल में किसी से भावनाएं बांटना भी मुश्किल होता है। लेकिन ज्यादा भावुकता से स्थितियां बोझिल ही होती हैं। व्यक्ति खुद ही धीरे-धीरे स्थितियों से सामंजस्य बिठाना सीख जाता है।
शालीन ढंग अलग होने का
1. ब्रेक -अप का निर्णय लेने के बाद यह तय करना जरूरी है कि कहां और कैसे यह बात दूसरे से कही जाए। ऐसी बातें कभी ई.मेल या फोन के जरिये न कहें। आमने-सामने बैठकर ठंडे दिल-दिमाग के साथ बात करें। दूसरे को भी अपना पक्ष रखने का मौका दें।
2. दूसरे को नजरअंदाज करके या अन्य किसी बहाने से बार-बार न जताएं कि आप अलग होना चाहते हैं। यह भी न कहें कि सोचने के लिए अभी थोडा समय चाहिए। जब भी निर्णय लेना हो, खुलकर, स्पष्ट ढंग से सामने वाले के सामने इसे शांत भाव से जाहिर करें।
3. अगर ब्रेक-अप की पहल आप कर रहे हैं तो दूसरे पक्ष की प्रतिक्रिया के लिए भी तैयार रहें। जो भी आहत होगा, वह तुरंत प्रतिक्रिया कर सकता है। रोने, चीखने-चिल्लाने, चीजें फेंकने के अलावा भी विध्वंसक प्रतिक्रिया हो सकती है। इसके लिए पहले ही मानसिक तौर पर तैयार रहें और खुद को शांत रखें।
4. सार्वजनिक स्थान के बजाय कोशिश करें कि कहीं एकांत में मिलें। अंतिम तौर पर फिर सोच लें कि साथी को कैसे और किन शब्दों में यह बात कहनी है। आपकी बातों से उसे यह न प्रतीत हो कि आप उसे आहत कर रहे हैं। उसे यह एहसास दिलाएं कि संबंधों के प्रति आपके मन में सम्मान है और आप भी इसके टूटने पर बहुत आहत होंगे।
5. अपनी बात कहने से पहले यह भी सोच लें कि आपका साथी ब्रेक-अप की वजह जरूर जानना चाहेगा। इसलिए जरूरी है कि सही, स्पष्ट व ईमानदार कारण उसे बता सकें।
6. सच बोलने का प्रयास करें। साथी को पूरा अधिकार है कि वह आपके मुंह से सच सुने। सच को कोमलता के साथ कह पाना वाकई बहुत मुश्किल होता है, लेकिन अलग होते समय यह बहुत अनिवार्य है।
7. अलग होने के निर्णय के बाद इस अध्याय को जितनी जल्दी हो, समाप्त करें। बहुत लंबे स्पष्टीकरण, अप्रत्यक्ष उत्तर देने, व्यर्थ में अपनी सपाई देने में ज्यादा समय न लगाएं। अपनी बात खत्म करें और वहां से निकल जाएं।
8. एक-दूसरे को दिए हुए गिफ्ट्स न वापस करने लगें। यह रिश्ते के प्रति असम्मानजनक होगा। आखिर कभी आप साथ थे और इनकी अछी यादें संजोना चाहेंगे। दोस्ती या प्रेम के क्षणों को ठेस पहुंचाने वाला कोई काम न करें।
9. साथी से यह अपेक्षा न रखें कि भविष्य में भी वह सहज संबंध बनाए रखे। हो सकता है आपके लिए जो बात सहज हो, उसके लिए वह उतनी ही आसान न हो। कुछ लोग ब्रेक-अप के बाद भी स्वस्थ दोस्ताना संबंध बरकरार रख लेते हैं। यदि आप भी ऐसे चंद लोगों में से हैं तो सचमुच भाग्यशाली हैं, क्योंकि व्यावहारिकता के साथ जीना आपको आता है।
कुछ समय पूर्व आई फिल्म लव आजकल के नायक-नायिका अलग-अलग रुचियों एवं करियर के कारण अलग होने का निर्णय लेते हैं। लेकिन वे परंपरागत ढंग से रोते-बिसूरते यह निर्णय नहीं लेना चाहते। वे इसे भी सेलिब्रेट करना चाहते हैं, ताकि दोबारा मिलें तो दो अजनबियों की तरह न गुजर जाएं।
कॉमेडी और रोमांटिक फिल्म प्यार के साइड इफेक्ट्स में ब्रेक-अप के कुछ साइड इफेक्ट्स बताए गए हैं। जैसे-बहुत रोना पडेगा, जितना रोएंगे उतना ही ब्रेक-अप से बाहर आएंगे और अगर रोना न आए तो दर्द भरे नगमे सुनें, एक्स को भूलने के लिए दिन-दिन भर शॉपिंग करेंगे। इससे बजट बिगडेगा और आपका तनाव दूसरी जगह शिफ्ट हो जाएगा, दोस्तों के साथ मौज-मस्ती, घूमना-फिरना फिर से शुरू हो जाएगा और हां- आजादी महसूस करने लगेंगे। यानी किसी अन्य को पसंद करने की आजादी।
ये तो फिल्मों की बातें हैं, लेकिन व्यावहारिक दुनिया में अलग होने का निर्णय लेना इतना सहज और आसान नहीं होता। बावजूद इसके कई बार ऐसा करना पडता है, क्योंकि जिंदगी रिश्तों से ऊपर है। पति-पत्नी के रिश्ते हों या प्रेम संबंध, कई बार वे इतने परिपक्व नहीं होते कि ताउम्र निभाए जा सकें। इनका कुप्रभाव जिंदगी के अन्य पहलुओं पर पडने लगे तो ब्रेक-अप जरूरी हो जाता है। लेकिन अलग होने से पहले सोच-विचार करना चाहिए और सम्मानजनक ढंग से रिश्तों को खत्म किया जाना चाहिए।
अलग होने से पहले
संबंध जितना गहरा होता है, उसके टूटने का दर्द भी उतना ही गहरा होता है। इसलिए ब्रेक-अप से पूर्व अपने रिश्तों का आकलन करें। कुछ बातों पर ध्यान दें- 1. संबंधों की समीक्षा करें। हर रिश्ते में कभी न कभी उतार-चढाव आते हैं। आपसी समझदारी और बातचीत से विवाद सुलझाने की कोशिश की जानी चाहिए।
2. रिश्ता अछा और लंबा रहा है तो अलग होने का निर्णय लेने से पूर्व काउंसलर की मदद भी लें।
3. किसी ऐसे मध्यस्थ की राय लें, जो निष्पक्ष और तटस्थ हो। दोस्तों की सलाह भी ली जा सकती है, अगर वे दोनों पक्षों से समान व्यवहार रखते हों। साथ रहने की तमाम संभावनाओं पर ठंडे मन से विचार करें।
4. रिश्ते बनाना जितना आसान है, उतना ही मुश्किल उन्हें निभाना है। रिश्ते को परिपक्व होने का पूरा मौका दें, साथ ही अपने साथी के साथ पारदर्शिता बनाए रखें।
5. काउंसलिंग, बातचीत और सोचने-समझने के बावजूद यदि रिश्ते को आगे निभा पाना नामुमकिन लग रहा हो, तो अलग होने का निर्णय लें। लेकिन एक बार निर्णय ले लेने के बाद फिर अपनी भावनाओं को उस पर हावी न होने दें, निर्णय पर अडिग रहें।
ब्रेक-अप के प्रभाव
वॉल्तेयर ने कहा था, प्रेम दार्शनिकों को मूर्ख और मूर्र्खो को दार्शनिक बनाता है। उन्होंने यह तो नहीं बताया कि जब यह प्रेम नहीं बचता तब क्या होता है। लेकिन इतना तय है कि ऐसे में सारे तर्क व्यर्थ हो जाते हैं। बुद्धिजीवी और तार्किक व्यक्ति भी दर्द और पीडा में डूब जाते हैं। लोग अवसाद में चले जाते हैं, खाना-पीना और सोना भूल जाते हैं।
कई बार आत्मग्लानि या अपराध-बोध से भी भर जाते हैं लोग। मेरे इस फैसले से वह जरूर आहत होगा या होगी या मुझमें कोई कमी थी जो उसने मुझे अपने जीवन से बाहर किया.. जैसे कई विचार पनपने लगते हैं।
कुछ लोगों के लिए प्रेम से बाहर निकलना रचनात्मकता का पर्याय भी बन जाता है। वे एकांतप्रिय होकर संगीत, लेखन, अभिनय या कला जैसे क्षेत्रों में अपनी अभिव्यक्ति करने लगते हैं, तो कुछ लोग विध्वंसात्मक प्रतिक्रिया जताते हैं। ऐसे लोग या तो आत्मघाती हो जाते हैं या दूसरे को पीडा पहुंचाने लगते हैं। ऐसे कई उदाहरण समाज में हैं, जब लडकी के प्रेम प्रस्ताव ठुकराने या शादी से मना करने पर कथित प्रेमी द्वारा उसके मुंह पर तेजाब फेंक दिया गया, पत्नी से अलगाव के बाद पति ने बदले की भावना से भरकर पत्नी के न्यूड फोटोग्राफ्स पोर्नो साइट्स पर डाल दिए। यदि बॉलीवुड कलाकारों की बात करें तो सलमान, ऐश्वर्य और विवेक ओबेराय का त्रिकोणीय प्रेम संबंध और उससे जुडी कटु घटनाएं सभी को याद हैं। हालांकि बाद में एक टीवी कार्यक्रम में विवेक ने स्वीकार किया कि उन्हें सार्वजनिक तौर पर ऐश्वर्य के बारे में अपने कमेंट नहीं देने चाहिए थे।
गलती कहां हुई
19 वर्षीय एक लडका अपने ब्लॉग पर लिखता है, कुछ समय पूर्व ही मैं अपनी गर्लफ्रेंड से अलग हुआ हूं। हम एक वर्ष तक साथ थे। मैंने बहुत कोशिश की कि हम इस दोस्ती को कायम रख सकें, लेकिन वह बहुत भावुक थी, शायद मुझसे ज्यादा अपेक्षा रखती थी। जब मैं उसे समझा न सका तो स्पष्ट कहना बेहतर समझा। वह गुस्से में आ गई, उसने मुझे थप्पड मारा और चली गई। मैं ईमानदार था, लेकिन शायद मुझे ठीक ढंग से अपनी बात कहनी नहीं आई। हालांकि अब तक मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि एक प्यारा संबंध कैसे टूट गया।
सच तो यह है कि व्यक्ति निरंतर खुद का विकास करता है। यह जरूरी नहीं कि पांच वर्ष पूर्व की पसंद-नापसंद भविष्य में भी बरकरार रहे। रुचियों, करियर, विचारों, सोच में बदलाव के साथ ही उम्र के साथ-साथ परिपक्वता भी आती है। लोग यदि प्रेम करते हैं तो प्रेम संबंध से बाहर भी आते हैं। इसमें कुछ भी असामान्य नहीं है।
ब्रेक-अप की पहल कोई भी करे, दर्द दोनों को होता है। कभी सुकून, खालीपन, कभी दर्द, खुशी, आशा तो कभी अपराध-बोध जैसे कई मिले-जुले भाव मन में आने लगते हैं। यह सब इसलिए होता है कि अचानक एक निकट संबंध के खत्म होते ही अकेलापन घेर लेता है। बेचैनी के इस माहौल में किसी से भावनाएं बांटना भी मुश्किल होता है। लेकिन ज्यादा भावुकता से स्थितियां बोझिल ही होती हैं। व्यक्ति खुद ही धीरे-धीरे स्थितियों से सामंजस्य बिठाना सीख जाता है।
शालीन ढंग अलग होने का
1. ब्रेक -अप का निर्णय लेने के बाद यह तय करना जरूरी है कि कहां और कैसे यह बात दूसरे से कही जाए। ऐसी बातें कभी ई.मेल या फोन के जरिये न कहें। आमने-सामने बैठकर ठंडे दिल-दिमाग के साथ बात करें। दूसरे को भी अपना पक्ष रखने का मौका दें।
2. दूसरे को नजरअंदाज करके या अन्य किसी बहाने से बार-बार न जताएं कि आप अलग होना चाहते हैं। यह भी न कहें कि सोचने के लिए अभी थोडा समय चाहिए। जब भी निर्णय लेना हो, खुलकर, स्पष्ट ढंग से सामने वाले के सामने इसे शांत भाव से जाहिर करें।
3. अगर ब्रेक-अप की पहल आप कर रहे हैं तो दूसरे पक्ष की प्रतिक्रिया के लिए भी तैयार रहें। जो भी आहत होगा, वह तुरंत प्रतिक्रिया कर सकता है। रोने, चीखने-चिल्लाने, चीजें फेंकने के अलावा भी विध्वंसक प्रतिक्रिया हो सकती है। इसके लिए पहले ही मानसिक तौर पर तैयार रहें और खुद को शांत रखें।
4. सार्वजनिक स्थान के बजाय कोशिश करें कि कहीं एकांत में मिलें। अंतिम तौर पर फिर सोच लें कि साथी को कैसे और किन शब्दों में यह बात कहनी है। आपकी बातों से उसे यह न प्रतीत हो कि आप उसे आहत कर रहे हैं। उसे यह एहसास दिलाएं कि संबंधों के प्रति आपके मन में सम्मान है और आप भी इसके टूटने पर बहुत आहत होंगे।
5. अपनी बात कहने से पहले यह भी सोच लें कि आपका साथी ब्रेक-अप की वजह जरूर जानना चाहेगा। इसलिए जरूरी है कि सही, स्पष्ट व ईमानदार कारण उसे बता सकें।
6. सच बोलने का प्रयास करें। साथी को पूरा अधिकार है कि वह आपके मुंह से सच सुने। सच को कोमलता के साथ कह पाना वाकई बहुत मुश्किल होता है, लेकिन अलग होते समय यह बहुत अनिवार्य है।
7. अलग होने के निर्णय के बाद इस अध्याय को जितनी जल्दी हो, समाप्त करें। बहुत लंबे स्पष्टीकरण, अप्रत्यक्ष उत्तर देने, व्यर्थ में अपनी सपाई देने में ज्यादा समय न लगाएं। अपनी बात खत्म करें और वहां से निकल जाएं।
8. एक-दूसरे को दिए हुए गिफ्ट्स न वापस करने लगें। यह रिश्ते के प्रति असम्मानजनक होगा। आखिर कभी आप साथ थे और इनकी अछी यादें संजोना चाहेंगे। दोस्ती या प्रेम के क्षणों को ठेस पहुंचाने वाला कोई काम न करें।
9. साथी से यह अपेक्षा न रखें कि भविष्य में भी वह सहज संबंध बनाए रखे। हो सकता है आपके लिए जो बात सहज हो, उसके लिए वह उतनी ही आसान न हो। कुछ लोग ब्रेक-अप के बाद भी स्वस्थ दोस्ताना संबंध बरकरार रख लेते हैं। यदि आप भी ऐसे चंद लोगों में से हैं तो सचमुच भाग्यशाली हैं, क्योंकि व्यावहारिकता के साथ जीना आपको आता है।
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