गृहवाटिका की रूपरेखा अलग-अलग परिस्थितियों में अलग-अलग तरह से बनाई जाती है। घनी आबादी वाले शहरों में, जहाँ पूरे परिवार के लिये एक या 2 कमरों का फ़्लैट सुलभ होता है, वहां गमलों में ही सब्जियां व फूल उगाए जा सकते हैं। जिन घरों या फ्लैटों में कम जगह है वहां गृह-वाटिकाओ में सब्जियों के साथ फलदार पौधे, हरियाली और फूल वाले पौधों को शामिल किया जा सकता है।
जिस तरह ताल और लय के मेल से संगीत का प्रभाव बढ़ जाता है उसी प्रकार फलों, फूलों, सब्जियों और औषधीय पौधों के रंग व गंध की एक अच्छी योजना घरेलू बगिया की शोभा में चार चाँद लगा देती है। जब कोई अतिथि या मकान मालिक इस छोटी सी बगिया में प्रवेश करता है तो फूलों, पत्तियों का रंगबिरंगा रूप उसे बरबस अपनी ओर खींच लेता है। उन की मोहक भीनी गंध से वह ताजगी का अनुभव करता है। चांदनी, मधुकामिनी, दिन का राजा, रात की रानी, विभिन्न रंगों वाले फूलों से अच्छादित बेगनवेलिया, गुलमोहर, अमलतास आदि के फूलों की अपनी ही शोभा है। इन सभी के संयोजक हेतु निम्न बातों पर ध्यान देना आवश्यक है:
- गृहवाटिका में सुनियोजित हरियाली अपनी अनोखी छटा दिखाती है. लॉन के चारों ओर मौसमी फलों की क्यारियाँ बनानी चाहिए जिन में मौसम के मुताबिक़ उन्नत एवं आकर्षक किस्म के पौधों को उगाना चाहिए।
- घर की बगिया में गुलाब की क्यारी का स्थान अवश्य होना चाहिए जिस में विभिन्न किस्मों एवं रंगों के गुलाब लगाने चाहिए।
- बगिया को आकर्षक एवं सुन्दर रखने के लिये रास्ते का होना जरूरी है. इस में रंगीन बजरी का प्रयोग करना चाहिए।
- रास्ते के दोनों तरफ पतली ईटों अथवा रंगीन पत्थरों का भी प्रयोग किया जा सकता है।
- वाटिका में इस्तेमाल किये गए गमलों में अलग-अलग रंग के फूलों वाले पौधे भी उगाए जाने चाहिए. इस से वाटिका कि खूबसूरती और अधिक बढ़ती है।
- घरेलू बगिया के प्रवेशद्वार को सुन्दर बनाने के लिये गहरे रंग के फूलों वाली लताओं का प्रयोग करना चाहिए।
- झरने को स्थान दे कर उस के आसपास का स्थान सुशोभित गमलों व विभिन्न आकारप्रकार व रंगों वाले पत्थरों से आकर्षक बनाया जा सकता है।
- गृहवाटिका में फौआरा अथवा ड्रिप (बूँदबूँद) भी लगाया जा सकता है. इस से पौधों को पानी उचित मात्रा में मिलेगा तथा पानी की काफी बचत होगी।
- लटकने वाली टोकरियों में भी अलग-अलग फूलों वाले पौधे उगाए जा सकते हैं।
- लौन अथवा हरियाली वाले क्षेत्र में सुन्दर मूर्तियाँ लगाने से गृहवाटिका की शोभा बढ़ती है।
वाटिका नर्सरी प्रबंध
गृहवाटिका में नर्सरी का काफी महत्व है। नर्सरी वह स्थान है जहाँ नियंत्रित और आदर्श दशाओं के तहत बीज बो कर पौधे तैयार किए जाते हैं। मौसमी फूलों और सब्जियों की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि उन की पौध सही समय पर तैयार कर ली गई हो तथा स्वस्थ हो। नर्सरी के लिए आदर्श स्थान का चयन
नर्सरी बनाने के लिये ऐसे स्थान का चयन करना चाहिए जो सभी तरह से आदर्श हो. स्थान के चुनाव के लिये निम्न बातों पर ध्यान देना जरूरी है :- स्थान खुला, धूपदार और बड़े पेड़ों की छाया से मुक्त होना चाहिए।
- सिंचाई के लिये पानी की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए ताकि पेडपौधों को सही मात्रा में पानी मिल सके।
- नर्सरी की मिट्टी का दोमट या बलुई दोमट होना अच्छा रहता है।
- तेज गर्मी व जाड़े में पौध सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
पोषक तत्वों का उपयोग
पौधों को संतुलित मात्रा में पोषक तत्व जब नहीं मिल पाते हैं तो वे अपनी उचित वृद्धि कार पाने में असमर्थ हो जाते हैं। पौधे कमजोर और पीले पड़ जात हैं। इस प्रकार के लक्षण दिखाई देने पर नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश व पोषण मिश्रण के किसी घोल का पौध पर छिडकाव करना लाभदायक होगा। जरूरत के मुताबिक़ सूक्ष्म तत्वों का भी छिडकाव कर देना चाहिए।वाटिका प्रबंध
घरेलू बगिया से च्छे एवं स्वस्थ फल, फूल, सब्जियां आदि प्राप्त करने के लिये हमेशा यह ध्यान रखना होगा कि उस का प्रबंध अच्छा हो। इस से उत्पादन पर भी काफी असर पड़ता है. बगिया हमेशा साफ़ एवं सुन्दर हो, जो सब को आकर्षित करे।कुछ सब्जियों को सीचे बीज बो कर उचित दूरी पर लगाया जाता है। इन के नाम हैं : मटर, गाजर, मूली, शलजम, पालक, मेथी, अदरक, बाकला, आलू आदि। दूसरी ओर कुछ सब्जियों की पौध लगाई जाती है जैसे टमाटर, मिर्च, बैगन, फूलगोभी, बंदगोभी, ब्रोकली, प्याज, शिमला मिर्च आदि। कुछ फूलों जैसे स्वीट पी, हालीहौक को निर्धारित समय व दूरी पर बीज बो कर उगाया जाता है। फलदार वृक्षों में भी पहले बीज या कलम/बडिंग से पौधे तैयार कर के वाटिका के उचित स्थान पर लगाते हैं।
क्यारियों अथवा पेडपौधों के आसपास से समयसमय पर खरपतवार निकालते रहना आवश्यक है। समय से निराईगुडाई करते रहना चाहिए, इस से पौधों को अच्छी वृद्धि तथा पैदावार अधिक मिलेगी।
गृहवाटिकाओं में लगे बहुवर्षीय पौधों शोभाकारी झाड़ियों, फलवृक्षों (अंगूर, नीबू, आडू, सेब, आलूबुखारा आदि) की समयसमय पर काटछांट करनी पड़ती है। बेतरतीब पनपी सभी शाखाओं और रोगग्रस्त टहनियों को काट देना चाहिए। टहनियों को काटने के लिये सिकेटियर या आरी का इस्तेमाल करना चाहिए।
कुछ पौधे वाटिका में ऐसे भी होते हैं जिन्हें सहारे की जरूरत होती है। बेल वाली फसलों जैसे अंगूर, स्वीट पी, लौकी, खीरा, करेला, तोरई आदि में यदि सहारा दे कर पौधों की वृद्धि कराई जाए तो पौधों की बढ़वार अच्छी होती है तथा फल अच्छे व साफ़ मिलते हैं।
गृहवाटिका संतुलित और सुन्दर तभी बन सकती है जब वह पूरी तरह से सुरक्षित हो। यदि मकान के चारों ओर पक्की दीवार नहीं है तो कंटीले तार का प्रयोग कर वाटिका को घेर कर इतना सुरक्षित कर देना चाहिए कि आदमी व पशुओं की पहुँच से दूर हो।
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