एक दिन ब्रह्म देव अपनी सृष्टि को देखने के लिए भूमि पर घूमने लगे। उन्होंने यहां पर सभी जीव-जन्तु को यहां मौन, उदास और निष्क्रिय देखा। यह दशा देखकर ब्रह्माजी बहुत चिंतित हुए और वे सोचने लगे कि क्या उपाय किया जाएं कि सभी प्राणी एवं वनस्पति आनंद और प्रसन्न होकर झुमने लगे। मन में ऐसा विचार कर उन्होंने कमल पुष्पों पर जल छिड़का उनमें से देवी सरस्वती प्रकट हुई। जो सफेद वस्त्र धारण किए हुए, गले में कमलों की माला सहित अपने हाथों में वीणा, पुस्तक धारण किए हुए थी। भगवान ब्रह्मा ने देवी से कहा, तुम सभी प्राणियों के कंठ में निवास कर इनको वाणी प्रदान करो। सभी को चैतन्य एवं प्रसन्न करना तुम्हारा काम होगा और विश्व में भगवती सरस्वती के नाम से विख्यात होगी। चुंकि तुम इस लोक का कल्याण करोगी, इसलिए विद्वत समाज तुम्हारा आदर कर पूजा करेगा।
16 फ़रवरी 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
एक टिप्पणी भेजें