एकादशी के दिन वेदी को अक्षत से पूरित करें और सफेद वस्त्र से वेष्टित कर प्रसन्नता के साथ पूजन करें। चारों और केशव आदि नामों से वेदी को अंकित करें।
पूजा विधि:-
भगवान को पंचामृत से स्नान कराके स्थापित करें। गन्ध पुष्प, अक्षत आदि से संयुक्त और पवित्र जल से पूर्ण कुम्भ पर स्थापित कर, चतुर्भुजभगवान का लक्ष्मी जी के सहित आह्वान करें। सर्वतोभद्र मण्डल के देवताओं की पूजा कर स्थापित किए हुए कलश पर देव सानिध्य करके उसमें विष्णु का आह्वान करें। ॐभू: हे विष्णो!यहां बैठें, पूजा ग्रहण करें, अच्छी तरह प्रसन्न होकर वर का देने वाले हों। ओं भुव:प्रभु का आह्वान करता हूं। ओं स्व: प्रभु का आह्वान करता हूं। रुक्मिणी, जाम्बवती,सत्यभामा और कालिन्दी का दक्षिण और पश्चिमोत्तर दल में बीच में आह्वान कर; ईशानादि दिशाविभागमें शंख, चक्र, गदा और पद्म का आह्वान करें। उसके बारह पूर्व पत्रों में अनुक्रम से विमला, उत्कर्षिणी,ज्ञान, क्रिया, योगा प्रह्वा,सत्या:,ईशानाआदि देवियों को ग्रहों के साथ पद्म के मध्य में स्थापित करें। भगवान के आगे वेदिका पर गरुड़ की मूर्ति भी स्थापित करें एवं उसका आह्वान कर पूर्व आदि दिशाओं में क्रम से लोकपालोंको स्थापित करें।
इसके बाद पूर्व आदि दिशाओं के क्रम से नाम मन्त्रों से केशव आदि का आह्वान करें। केशव के लिए नमस्कार है, केशव का आह्वान करता हूं। केशव, नारायण, माधव, गोविन्द, विष्णु, मधुसूदन, विधिक्रम,वामन, श्रीधर, हृषीकेश,पद्मनाभ, दामोदर-इन बारहों को शुक्ल एकादशी के दिन तथा संकर्षण, वासुदेव, प्रद्युमन,अनिरुद्ध, पुरुषोत्तम, अधोक्षज,नरसिंह, अच्युत, जनार्दन, उपेन्द्र, हरि, श्रीकृष्ण इन्हें कृष्ण एकादशी के दिन इसी प्रकार आह्वान करें तदस्तु से उन्हें प्रतिष्ठित करें अतो देवा इस मंत्र से विष्णु भगवान तथा आवाहितदेवताओं को नाम मन्त्र से सोलह उपचारों से पूजें।आसन, पाद्य, अर्घ्यआचमनीय, स्नान, वस्त्र, उपवीत, गन्ध, पुष्प, धूप दीप, नैवेद्य, आरती और प्रदक्षिणा दें।
पूजा विधि:-
भगवान को पंचामृत से स्नान कराके स्थापित करें। गन्ध पुष्प, अक्षत आदि से संयुक्त और पवित्र जल से पूर्ण कुम्भ पर स्थापित कर, चतुर्भुजभगवान का लक्ष्मी जी के सहित आह्वान करें। सर्वतोभद्र मण्डल के देवताओं की पूजा कर स्थापित किए हुए कलश पर देव सानिध्य करके उसमें विष्णु का आह्वान करें। ॐभू: हे विष्णो!यहां बैठें, पूजा ग्रहण करें, अच्छी तरह प्रसन्न होकर वर का देने वाले हों। ओं भुव:प्रभु का आह्वान करता हूं। ओं स्व: प्रभु का आह्वान करता हूं। रुक्मिणी, जाम्बवती,सत्यभामा और कालिन्दी का दक्षिण और पश्चिमोत्तर दल में बीच में आह्वान कर; ईशानादि दिशाविभागमें शंख, चक्र, गदा और पद्म का आह्वान करें। उसके बारह पूर्व पत्रों में अनुक्रम से विमला, उत्कर्षिणी,ज्ञान, क्रिया, योगा प्रह्वा,सत्या:,ईशानाआदि देवियों को ग्रहों के साथ पद्म के मध्य में स्थापित करें। भगवान के आगे वेदिका पर गरुड़ की मूर्ति भी स्थापित करें एवं उसका आह्वान कर पूर्व आदि दिशाओं में क्रम से लोकपालोंको स्थापित करें।
इसके बाद पूर्व आदि दिशाओं के क्रम से नाम मन्त्रों से केशव आदि का आह्वान करें। केशव के लिए नमस्कार है, केशव का आह्वान करता हूं। केशव, नारायण, माधव, गोविन्द, विष्णु, मधुसूदन, विधिक्रम,वामन, श्रीधर, हृषीकेश,पद्मनाभ, दामोदर-इन बारहों को शुक्ल एकादशी के दिन तथा संकर्षण, वासुदेव, प्रद्युमन,अनिरुद्ध, पुरुषोत्तम, अधोक्षज,नरसिंह, अच्युत, जनार्दन, उपेन्द्र, हरि, श्रीकृष्ण इन्हें कृष्ण एकादशी के दिन इसी प्रकार आह्वान करें तदस्तु से उन्हें प्रतिष्ठित करें अतो देवा इस मंत्र से विष्णु भगवान तथा आवाहितदेवताओं को नाम मन्त्र से सोलह उपचारों से पूजें।आसन, पाद्य, अर्घ्यआचमनीय, स्नान, वस्त्र, उपवीत, गन्ध, पुष्प, धूप दीप, नैवेद्य, आरती और प्रदक्षिणा दें।
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