15 जनवरी 2011

शादी का पहला साल...

हनीमून के बाद विवाहित जोड़े धीरे-धीरे अपनी असली जिंदगी में लौटने लगते हैं। जब आप अपने साथी की आदतों को और करीब से जानने और समझने लगते हैं। आप पाते हैं आपका साथी ज्यादा समय तो स्पोर्ट्स चैनल से ही चिपका रहता है। या फिर पड़ोसियों के गॉसिप में ही वक्त बिताता है। ये छोटी-छोटी बातें भी आपके बीच दूरियाँ पैदा कर सकती हैं। ऐसी नौबत भी आ जाती है जब पति-पत्नी एक ही छत के नीचे किसी अनचाहे रूमेट की तरह रहने लगते हैं। जिनके बीच प्यार कम और झगड़े ज्यादा होते हैं।

नए जोड़ों के लिए शुरूआती एक साल काफी मुश्किल भरा होता है । जीवनभर साथ निभाने के उस वादे के बोझ तले उनका रिश्ता घुटने लगता है । ऐसे स्थिति में वो हमेशा गुस्से और परेशानी में नजर आते हैं। उनको लगने लगता है कि उनसे बहुत बड़ी गलती हो गई है। ऐसी स्थिति भी आती है जब दोनों का प्यार धीरे-धीरे खत्म होने लगता है। जिस प्यार और विश्वास की नींव पर रिश्ते का महल खड़ा करते हैं वो भी चटकने लगता है।

ऐसी स्थिति न आएँ उसके लिए आप इन बातों का खास ध्यान रखें-
शादी के दिन अपने साथी से जो वादा करें उसे कभी न भूलें। परिस्थितियाँ कितनी भी विपरीत हों अपने साथी के प्रति प्यार कम नहीं होना चाहिए। आपका वचन विश्वास और सच्चाई पर टिका होना चाहिए। ध्यान रहे, कि आपके वचनों से जोश, आकर्षण और खुशी नदारद न हो।

परेशानी शुरू होने से पहले ही उसे सुलझा लें
जब आप अपनी नई जिंदगी शुरू कर रहे हैं उन सारे मुद्दों पर खुलकर बात करें जो विवाद का कारण बन सकते हैं। अपने जीवन के लक्ष्यों पर स्पष्ट रूप से बात करें। अपने बजट तय कर लें। इससे आप नई शादी-शुदा जिंदगी में उठने वाले 90 प्रतिशत तक विवादों को कम कर सकते हैं।

स्वतंत्रता के साथ करें बजटिंग
*जब आप अपनी नई जिंदगी की शुरूआत कर रहे हैं तो सबसे बड़ी परेशानी का कारण बनता है-बजट। पैसे के खर्चे को लेकर दोनों के बीच तनाव बना रहता है। कौन ज्यादा फिजूलखर्ची है, इसपर बहस होती रहती है। यहाँ सबसे अहम है आपसी समझ और संवाद का होना। यह देखना दोनों की जिम्मेदारी है कि कितना पैसा आ रहा है और उसे कैसे और कहाँ खर्च करना है?बजट बनाने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप महीनेभर की उन खास जरूरतों की एक लिस्ट बना लें। उन सामानों को जरूरी और गैरजरूरी हिस्सों में बाँट लें।

फिर से है चाहत की तलाश...
'दूध का जला छाछ को भी फूँक-फूँक कर पीता है' कहावत बहुत पुरानी है पर असरदार भी उतनी ही है। प्रेम में चोट खाने के बाद भी इसको 'फॉलो' करना उतना ही समझदारी भरा है। जी हाँ, एक बार टूटे दिल को बार-बार तोड़ने का मौका थोड़े ही ना देंगे आप! तो उठाइए कुछ समझदारी भरे कदम और दूध व छाछ दोनों का सही लुत्फ लीजिए।

ऐसे भाग्यशाली बहुत कम होते हैं जो कॉलेज लाइफ में कभी न कभी दिल की चोट नहीं खाते। लेकिन यह भी सच है कि ऐसी चोटों से इस उम्र में दिल नहीं टूटा करते। दिल के लिहाज से यह उम्र कच्ची भले होती है, लेकिन इसमें टूट-फूट से उठकर खड़े होने की क्षमता भी खूब होती है। सवाल है कि शीशा-ए-दिल की इस खूबी का कैसे इस्तेमाल किया जाए? आइए हम बताते हैं-

दूध से जले हैं तो...
जी हाँ! किसी की याद में दिल लगाकर बैठे रहना ठीक नहीं तो दूसरे के लिए इतना उतावलापन भी ठीक नहीं। अभी-अभी आपका ब्रेक-अप हुआ है। ...और अभी आप फिर से किसी के लिए बेकरार होने लगे। इसका मतलब है कि आपको फिर धक्का लग सकता है। ऐसे में यह धक्का आपको स्तब्ध करने वाला भी हो सकता है। इसलिए रीबाउंड रिलेशनशिप में जरा धीरे-धीरे आगे बढ़ें। जरूरत से ज्यादा जल्दबाजी न दिखाएँ। इसके लिए बहुत जरूरी है कि कुछ वक्त आप अपने साथ गुजारें। यह आपको मजबूत बनाएगा और किसी भी रिश्ते में आने वाली परेशानियों को आप झेल पाएँगे।

ऐसा पानी न बनें जो हर तरफ बह चले
किसी ने आपसे प्यार के दो बोल बोले नहीं कि आप फिसलने को तैयार। हालाँकि टूटा दिल रोके हुए बाँध की तरह होता है। जहाँ जरा-सी साँस मिली पानी बह चला। इसी तरह टूटे दिल के साथ आप किसी के साथ भी जुड़ जाते हैं। थोड़े से प्यार में ही आप एक लंबे रिश्ते की संभावनाएँ तलाशने लगते हैं, लेकिन यह जल्दबाजी ठीक नहीं। क्योंकि जिस शख्स में आप अचानक जन्म-जन्म का बंधन तलाशने लगते/लगती हैं कई बार तो यह ऐसा इंसान निकलता है, जिसकी तरफ सामान्य हालात में आप देखेंगे भी नहीं।

बरकरार रखें अपनी कसौटी
जिंदगी जीने के हर व्यक्ति के अनेक उसूल होते हैं। इन उसूलों पर कायम रहना जरूरी होता है। क्योंकि हमें खुशी तभी हासिल होती है जब हमें लगता है कि हम इस खुशहाली के लिए कोई समझौता नहीं कर रहे। इसलिए अगर खुश रहना है तो अपने उसूलों की कसौटी को हमेशा बरकरार रखें, लेकिन कई बार खासकर जब हम टूटे हुए होते हैं और ऐसे में हममें कोई जरा-सी दिलचस्पी दिखाने लगता है तो हम अपने सिद्धांतों, अपनी कसौटी की अनदेखी करने लगते हैं। उस समय हम किसी भी ऐसे इंसान के पास जाने को तैयार रहते हैं, जो इसमें दिलचस्पी दिखा रहा होता है। अगर आपके साथ ऐसा हो रहा हो तो समझिए कुछ गड़बड़ है। अपने पैमाने पर कायम रहें। उसे छोटा न होने दें, क्योंकि इस चक्कर में कई लोग ऐसे इंसान के साथ जिंदगी बिता देते हैं, जो उनके काबिल नहीं होता।

मुखौटे से बचें
आप पहले इतना ज्यादा स्मोक या ड्रिंक नहीं करते थे, जितना एक नए दोस्त के साथ करने लगे हैं। अगर ऐसा है तो बात खतरनाक है। दरअसल, आप जो असल में हैं, उसे बहुत देर तक तो छिपा नहीं सकते, लेकिन इस तरह अगर आपके व्यवहार में कुछ बदलाव आया है, तो यह आगे चलकर आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है।

फायदा भूलने में ही है
हम नहीं कहते हैं कि यह आसान है, लेकिन बेहतरी उसे भूलने में ही है। क्योंकि आपका रिश्ता टूट चुका है, लेकिन अब भी वो शख्स आपके दिलोदिमाग पर छाया रहता है। आप उसे भूल ही नहीं पा रहे हैं। आप किसी न किसी से उसके बारे में बात करना चाहते हैं। सिर्फ इसलिए आपको किसी का साथ चाहिए? ऐसी बेकरारी से सावधान रहें। ऐसे रिश्ते का कोई फायदा नहीं।

पलायन ठीक नहीं...
दिल टूटने के बाद कुछ लोग गम भुलाने के लिए बहुत बड़े फैसले ले लेते हैं मसलन कॉलेज छोड़कर चले जाते हैं, पढ़ाई छोड़ देते हैं वगैरह...। ऐसे अहम फैसले, जिनसे नुकसान भी हो सकता है, बिना सोचे-समझे कभी न लें। ऐसे जल्दबाजी में लिए गए फैसले काफी खतरनाक होते हैं। ब्रेकअप के कम से कम एक साल तक तो कोई अहम फैसला न लें।

तुम ही दुनिया नहीं
कई बार टूटे दिल आशिक किसी को भी गले से लगा लेते हैं तो कई बार इसके उलटा होता है। ऐसे लोगों के दिल-दिमाग में यह बात घर कर जाती है कि उनसे सुंदर, उनसे अच्छा दुनिया में कोई और है ही नहीं। ये दोनों अतियाँ खतरनाक होती हैं। इससे किसी और का नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ आपका नुकसान होता है। इसलिए जब किसी से ब्रेकअप हो तो अपने अहं के लिए नहीं बल्कि जिंदगी के लिए यह मानकर चलें कि तुम दुनिया नहीं हो। तुम्हारे बाद भी दुनिया है।