सुरेश और रिया ने लगभग 2 वर्ष पहले ही प्रेम विवाह किया है। दोनों ही सर्विस करते हैं। शादी के बाद शुरू के 3 महीने तक तो सब ठीक चला। लेकिन फिर छोटी-छोटी बातों को लेकर दोनों ने लड़ना-झगड़ना शुरू कर दिया। आखिर में दोनों ने तंग आकर तलाक का फैसला किया। दोनों ने अपने वकील से बात की जोकि उन दोनों का ही दोस्त भी है। इस वकील ने सलाह थी कि रिया कुछ दिनों के लिए अपने मायके चले जाए और ठंडे दिमाग से अपने निर्णय के बारे में विचार करें। रिया और सुरेश दोनों सहमत हो गए। रिया अनपे मायके चली गई। उसका मायका दूसरे शहर में है।
अगले दिन सुबह उठते ही सुरेश ने आवाज लगाई। रिया मेरा न्यूज पेपर और चाय...। दूसरे ही क्षण उसे याद आया कि रिया तो अब उसके घर में है नहीं। खुद ही उठकर दरवाजे से उठाकर न्यूज पेपर लाया और थोड़ी देर बाद चाय बनाने किचन में चला गया।
अब उसे रह-रहकर रिया की अच्छी-अच्छी बातें याद आ रही थीं। साथ ही यह भी कि रिया के रहने पर उसे यह छोटे-छोटे काम कभी खुद नहीं करने पड़े थे। खुद पर झल्लाते हुए उसने जैसे-तैसे चाय बनाई और दफ्तर की तैयारी करने लगा। बाथरूम में टॉवेल से लेकर ड्रेस का प्रबंध खुद ही किया और बगैर लंच के दफ्तर रवाना हुआ। लंच का ऑर्डर उसने टिफिन सेंटर पर दिया।
ऑफिस से लौटते हुए डिनर होटल में लिया और घर पहुँच गया। बिस्तर पर लेटने के बाद नींद उससे कोसों दूर थी। उसके दिमाग में बस रिया की बातें ही चल रही थी। उसका लड़ना-झगड़ना। बात-बात पर टोका-टाकी करना आदि।
उसके जेहन में वह सभी बातें आ रही थी जिन पर रिया आपत्ति लेती थी वह विचार करता जा रहा था कि क्या वास्तव में रिया सही है? और उसे ही अपनी आदतों में सुधार लाना चाहिए। सुरेश के घर पर रहने पर कई लड़कियों के फोन आते थे जबकि दफ्तर में रिया के फोन करने पर उसे बिजी होने का वास्ता देकर हमेशा टाल दिया करता था।
सिगरेट के साथ-साथ उसने शराबी दोस्तों का संग कर लिया था और अब वह इनका आदि हो चला था जबकि पहले कभी-कभी ऑफिस की पार्टी वगैरह में ही ड्रिंक लेता था। लेकिन वह अपनी गलती मानने को तैयार नहीं था और अभी भी सोच रहा था कि कुछ भी हो। यदि आज वह झुक गया तो रिया उससे हमेशा अपनी बात मनवाती रहेगी। इसलिए वह रिया से माफी नहीं माँगेगा और अपनी बात पर कायम रहेगा।
दूसरी ओर रिया भी मायके में विचार कर रही थी। सही होने के बावजूद उसे लगा क्या वाकई सुरेश उसे तलाक दे देगा। शादी से पहले जब उनका प्रेम प्रसंग चल रहा था तब तो बहुत साथ जीने-मरने की बात करने वाला सुरेश अचानक इतना बदल कैसे गया। सुरेश का यह रूप उसके लिए बहुत अप्रत्याशित था और उसने कभी इसकी कल्पना भी नहीं की थी। उसके माता-पिता उसे ढाढस बँधाते रहते थे। बेटी सुरेश ऐसा लड़का नहीं है। उसे जरूर अपनी गलती का अहसास होगा और वह तुम्हें आकर ले जाएगा। पति-पत्नी में ऐसा चलता रहता है। तुम कहो तो मैं उससे बात करूँ। लेकिन रिया उन्हें यह कहकर रोक देती थी कि आपका कहा न मानकर शादी का फैसला मैंने ही किया था अब मैं अपनी गलती के लिए आपको जलील नहीं होने दूँगी।
दिन सुरेश के धर्मगुरु उसी शहर में थे और उनके प्रवचन हो रहे थे। सुरेश भी समय निकालकर वहाँ गया और उन्हें सुना। सुरेश गुरुजी को दिल से मानता था। आज जिस बात पर गुरुजी बोल रहे थे वह था अहंकार। आदमी के जीवन में अहंकार कितने रोड़े खड़े करता है। किस तरह से प्रताड़ित करता है। यह अहंकार आदमी को कुछ देता नहीं, उसे तोड़कर जरूर रख देता है। गुरुजी का एक-एक शब्द उसे लग रहा था कि सुरेश के लिए ही बोल रहे हों। क्योंकि इस समय वह काफी तनाव के दौर से गुजर रहा था।
" उसने अपने गुरुजी का ही कहा मानकर रिया को फोन लगाया। रिया ने तुरंत फोन उठाया मानो वह सुरेश के ही फोन का इंतजार कर रही थी। मन में आए खुशी के भावों को दबाते हुए बोली हेलो।"
एक प्रवचन सुनने में देरी हो जाने के कारण लगभग होटलें बंद हो चुकी थीं। उसने सोचा थोड़ा-बहुत खाना बनाना तो वह जानता है और घर पर सभी सामान रखा है। वह खुद बना लेगा। दिल में गुरुजी की बातें लेकर रवाना हुआ। रास्ते में उसे अपनी गलती का अहसास हुआ कि वाकई गलत तो वही है लेकिन रिया की कोई बात मानने को तैयार नहीं होता था। सुरेश घर पहुँचा।किचन में जाकर खाना बनाना शुरू किया। सब्जी बनाते समय मसाले का आइडिया उसे नहीं लग रहा था। मन में विचार आया इस वक्त उसकी हेल्प रिया कर सकती है। लेकिन फोन लगाने को तैयार नहीं हुआ। उसने मन में विचार किया कि वह रिया को आखिर फोन क्यों नहीं लगा रहा है। कारण वही उसका ईगो, (अहंकार)। एक यही चीज आड़े आ रही है और गुरुजी की बातें उसके जेहन में फिर से आने लगी। उसने अपने गुरुजी का ही कहा मानकर रिया को फोन लगाया। रिया ने तुरंत फोन उठाया मानो वह सुरेश के ही फोन का इंतजार कर रही थी। मन में आए खुशी के भावों को दबाते हुए बोली हेलो।
सुरेश की हिम्मत सीधे उससे सॉरी बोलने की तो नहीं हुई। बोला रिया, मैं सेंव की सब्जी बना रहा था लेकिन मसाले के लिए तुम्हारी हेल्प की जरूरत थी। क्या तुम मुझे बता सकती हो। रिया भी सभी चीजें उसे बताती गई। अंत में सुरेश ने एक दो अनौपचारिक बातों के बाद फोन रख दिया। खाना खाकर सोने गया। उसे ध्यान आया कि जब से रिया गई है अब उसकी महिला दोस्तों के फोन तक आना बंद हो गए। उसे अहसास हुआ कि आखिर तक कोई साथ देगी तो वह है उसकी पत्नी रिया और कोई नहीं।
सुबह उठकर उसने बॉस को छुट्टी के लिए फोन लगाया और रिया को लेने उसके घर की गाड़ी पकड़ी। घर पर उसे देखते ही रिया और उसके माता-पिता बहुत खुश हुए। रिया को समझते देर नहीं लगी कि सुरेश को अपनी गलती का अहसास हो चुका था और फौरन उसके साथ आने की तैयारी करने लगी। लौटकर जब उनका वकील मिला तो उसने तलाक की फीस से ज्यादा फीस उनका साथ बनाए रखने की ली और रिया और सुरेश ने सहर्ष दे भी दी। आखिर उसने सच्चे दोस्त की भूमिका निभाई थी।
अहंकार त्यागना ही सफल जीवन का रहस्य है...अच्छी कहानी.
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