27 जून 2010

देव नदी है गंगा

ज्येष्ठ शुक्ल दशमी (२१ जून) पावन गंगा नदी के पृथ्वी पर अवतरण का पवित्र दिन है। पृथ्वी पर वह पवित्र तीर्थ जहां गंगा उतरी, गंगोत्री धाम है। हिन्दू धर्म में गंगा को मोक्षदायिनी और पापनाशिनी माना गया है। इसके साथ ही प्रमुख ग्रंथों और पुराणों में गंगा नदी की पवित्रता और देवीय रुप की महिमा बताई गई है। जानते हैं पावन गंगा से जुड़ी कुछ पौराणिक बातों को -
- हिन्दू धर्म की सबसे प्रचलित धार्मिक मान्यताओं में पवित्र गंगा राजा सगर के 60 हजार पुत्रों के कपिल ऋषि के शाप से भस्म होने के बाद उनके मोक्ष के लिए राजा सगर के वंशज राजा भगीरथ के घोर तप के बाद हिमालय क्षेत्र में स्वर्ग से भू-लोक में उतरी।
- श्रीमद्भागवत की कथा अनुसार भूलोक के पापों का नाश करने के लिए विष्णु अवतार भगवान वामन के बाएं पैर के अंगूठे से गंगा प्रगट हुई।
- महाभारत में गंगा को श्रेष्ठ तीर्थ बताया गया है।
- पद्मपुराण में लिखा है कि गंगा जहां से प्रवाहित होती सभी पवित्र तीर्थ है, किंतु इनमें से गंगोत्री, प्रयाग और गंगासागर श्रेष्ठ हैं।
- पुराणों में लिखा है कि देव-दानवो द्वारा किए गए समुद्र मंथन से निकले विष से सृ़ष्टि को बचाने के लिए भगवान शिव ने वह विष पीकर अपने कंठ में भर लिया। जिससे वह नीलकंठ कहलाए। ऐसा माना जाता है कि इसी विष की दाह से शांति के लिए आज भी शिव पर गंगा जल चढ़ाने की पंरपरा है। इसी श्रद्धा और भक्ति के साथ रामेश्वरम में भगवान शिव पर गंगोत्री का जल चढ़ाया जाता है। इस परंपरा को आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा शुरु किया गया था।