15 जून 2010

छींक भी देती है कुछ सीख

शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसे अपने जीवन में छींक न आई हो। एक बार नहीं हजारों बार हमें विवश होकर छींकना पड़ता है, क्योंकि यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, जिस पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं होता है। छींक आना वैसे एक शारीरिक प्रक्रिया है, परंतु इसे प्राचीन समय से ही अनेक अर्थों में लिया जाता रहा है। उदाहरण के लिए, एक छींक आई तो अशुभ है, दो आई तो शुभ है, जाते हुए आई तो अशुभ है, आदि।

प्राय: नजला-जुकाम होने पर छींक अधिक आती है, एक के बाद एक छींक आती ही रहती है। लेकिन इस प्रकार की छींक को किसी संकेत से नहींं जोड़ा जाता है। जो छींक अचानक आती है, उसी से प्राय: शुभ-अशुभ का अनुमान लगाया जाता है। छींक आने के

भी तरीके अलग-अलग हैं। किसी व्यक्ति को इतनी जोर से छींक आती है कि आस-पास केलोगों का ध्यान उसकी ओर आकर्षित हो जाता है। वहीं बहुत से लोगों को छींक इतनी धीमी आवाज के साथ आती है कि

पता ही नहीं चलता कि कोई आस-पास छींका भी है। कोई जोर की आवाज के साथ छींके या कोई धीमी आवाज के साथ, कोई बार-बार छींके या कोई केवल एक बार लेकिन हर छींक का कोई-न-कोई मतलब होता ही है। जानें छींक से जुड़ी कुछ रोचक बातें:

जहां कहीं भी पुरानी लोक परंपराएं प्रचलित हैं, वहां छींकना ईश्वर का उपहार माना जाता है। यही वजह है कि छींकने के बाद कहा जाता है कि ईश्वर आपको प्रसन्न रखे या आप चिरायु हों।

हिंदुओं में छींक को लेकर अनेक तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं। कई बार एक ही छींक के अनेक मतलब निकाले जाते हैं। जैसे, यात्रा पर निकलने से पूर्व स्वाभाविक ढंग से छींक का आना, किसी अप्रिय घटना का सूचक होता है। लेकिन नसवार सूंघकर या सर्दी-जुकाम के समय की छींक का कोई अर्थ नहीं होता।

अगर आपकी उपस्थिति में कोई लगातर छींके तो यह आपके लिए समृद्धि के आगमन का संकेत है।

एक छींक अशुभ मानी जाती है, किंतु उसके साथ की दूसरी छींक उसके अशुभ प्रभाव को काटने वाली कही जाती है। कहीं-कहीं मान्यता इसके विपरीत भी है। नींद में बिस्तर से उठते समय या खाने के समय का छींकना अशुभ लक्षण माना जाता है। पर, भोजन के बाद छींक का आना शुभ और सुस्वादु भोजन की पुन: प्राप्ति का संकेत होता है।

किसी अशुभ प्राकृतिक संकेत को देखते समय छींकने से उसका प्रभाव जाता रहता है। किसी नए कार्य की योजना बनाते या किसी यात्रा पर जाते समय की छींक आने वाले अवरोधों की सूचक होती है। यात्रा या पदयात्रा के समय छींक आने पर कुछ देर रुककर जाने की मान्यता है।

किसी बस्ती या मोहल्ले में प्रवेश करते समय अगर कोई छींक दे तो माना जाता है कि जिस कार्य के लिए आप आए हैं, वह पूरा नहीं होगा।

नई पोशाक पहनते समय छींकने का अर्थ शुभ लगाया जाता है यानी और भी नए वस्त्र प्राप्त हो सकते हैं।

मरीज जब इलाज के लिए दवाखाने में प्रवेश करता है, उस समय उसे छींक आने का अर्थ शुभ निकाला जाता है, पर कहीं-कहीं धारणा इसके विपरीत भी है।

किसी गृहस्वामी के दरवाजे पर छींकना उसके लिए नुकसानदेह माना जाता है। कोई अगर आपके सामने छींक दे तो कुप्रभाव को दूर करने के लिए प्रभु की स्तुति करनी चाहिए या ढाई श्वास रुककर फिर आगे बढऩा चाहिए, इससे कुप्रभाव दूर हो जाता है।

एक लोकोक्ति के अनुसार, दवा लेते समय, किसी वाहन में सवार होते समय, झगड़ा शुरू करते समय, सोने से पूर्व, किसी नए पाठ्यक्रम में दाखिले के समय और खेतों में बुआई के समय छींकना शुभ होता है। मुसलमानों में छींक आने पर ईश्वर का शुक्रिया अदा किया जाता है। यह सोचकर कि मालिक ने नई जिंदगी दी है।

1 टिप्पणी:

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