मार्च को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने मूर्तिदेवी पुरस्कार समारोह में साहित्य के योगदान पर कहा था की समाज के निर्माण और प्रगति में साहित्य की बड़ी भूमिका है। हमारा उद्देश्य मजबूत राष्ट्र का निर्माण करना है तथा समाज को प्रकाशवान बनाना है, इस के लिये साहित्य का योगदान सर्वोपरि है।
खुद के जीवन में शिक्षा, साहित्य व अधयन्न के महत्वा को अच्छी तरह जानने वाली देश की प्रथम महिला राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल अपनी प्रतिभा के बल पर यहाँ तक पहुँची है। उन्होंने आर्ट्स और क़ानून की नाइक मंत्रिमंडल में शिक्षा उपमंत्री बनीं। कांग्रेस सरकारों में विभिन्न मुख्यमंत्रियों वसंत दादा पाटिल, बाबा साहेब भोंसले, एसबी चव्हान और शरद पवार के मंत्रिमंडल में वे पर्यटन, समाज कल्याण और हौसिंग मंत्री में भी रहीं। अपने राजनीतिक जीवन में एदलाबाद और निकटवर्ती जलगांव से चुनाव लड़ती रहीं तथा कभी चुनाव नहीं हारीं।
मजबूत राष्ट्र मजबूत समाज
प्रतिभा पाटिल का विवाह राजस्थान के देवीसिंह शेखावत के साथ हुआ था। शेखावत वर्षों पहले पढ़ाई अपने छोटे कसबे और फिर मुंबई में की थी।
महाराष्ट्र के नडगाँव में जन्मी प्रतिभा पाटिल में कालेज समय में ही बुलंदियों पर पहुँचने के लक्षण दिखने लगे थे। बांबे यूनिवर्सिटी में उन्होंने कई इंटर कालेज टेनिस टूर्नामेंट जीते तथा 1962 में वे मूलजी जेठा कालेज में कालेज क्वीन चुनी गई।
प्रतिभा पाटिल ने अपना राजनीतिक करियर 27 वर्ष की उम्र में वरिष्ठ लीडर बाबा साहेब गोपालराव खेडकर और पूर्व मुख्यमंत्री यशवंतराव चव्हान के नेतृत्व में शुरू किया था। 1962 में वे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ओर से महाराष्ट्र के जलगांव जिले के एदलाबाद क्षेत्र से चुनाव जीतीं। 1967 में दूसरी बार विधानसभा चुनाव में विजय हासिल की और वसंतराव अमरावती चले गए थे और वहां वे शिक्षण संस्था चलाते थे। प्रतिभा पाटिल ने राजनीति के साथ-साथ शिक्षा के प्रसार के लिये भी काम किया। पति के साथ मिल कर उन्होंने विद्याभारती शिक्षण प्रसारक मंडल की स्थापना की जिस के तहत जलगांव और मुंबई में स्कूलों और कालेजों की एक श्रृंखला चल रही है। उन्होंने श्रम साधना ट्रस्ट नाम से एक ट्रस्ट भी बनाया, जो मुंबई, पुणे व दिल्ली में कामकाजी औरतों के लिये हॉस्टल संचालित करता है। उन का जलगांव में एक इंजीनियरिंग कालेज भी चल रहा है। जलगांव में ही उन्होंने हैन्डीकैप्ड बच्चों के लिये औद्योगिक प्रशिक्षण स्कूल तथा विमुक्त व आदिवासी जातियों के गरीब बच्चों के लिये स्कूल भी खोला है।
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