04 नवंबर 2009

वेद


वेद शब्द href="http://hi.wikipedia.org/wiki/शब्द">शब्द संस्कृत href="http://hi.wikipedia.org/wiki/संस्कृत">संस्कृत भाषा href="http://hi.wikipedia.org/wiki/भाषा">भाषा के "विद्" धातु href="http://hi.wikipedia.org/wiki/धातु">धातु से बना है जिसका अर्थ है: जानना, ज्ञान href="http://hi.wikipedia.org/wiki/ज्ञान">ज्ञान इत्यादि। वेद हिन्दू href="http://hi.wikipedia.org/wiki/हिन्दू">हिन्दू धर्म के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है । वेदों को श्रुति href="http://hi.wikipedia.org/wiki/श्रुति">श्रुति भी कहा जाता है, क्योकि माना जाता है कि इसके मन्त्रों को परमेश्वर href="http://hi.wikipedia.org/wiki/परमेश्वर">परमेश्वर (ब्रह्म href="http://hi.wikipedia.org/wiki/ब्रह्म">ब्रह्म) ने प्राचीन ऋषि href="http://hi.wikipedia.org/wiki/ऋषि">ऋषियों को अप्रत्यक्ष रूप से सुनाया था जब वे गहरी तपस्या में लीन थे । वेद प्राचीन भारत के वैदिक काल" href="http://hi.wikipedia.org/wiki/वैदिक_काल">वैदिक काल की वाचिक परम्परा" href="http://hi.wikipedia.org/wiki/वाचिक_परम्परा">वाचिक परम्परा की अनुपम कृति है जो पीढी दर पीढी पिछले चार-पाँच हजार वर्षों से चली आ रही है । वेद ही हिन्दू धर्म के सर्वोच्च और सर्वोपरि धर्मग्रन्थ href="http://hi.wikipedia.org/wiki/धर्मग्रन्थ">धर्मग्रन्थ हैं ।
वेदों का महत्व
  • भारतीय संस्कृति" href="http://hi.wikipedia.org/wiki/भारतीय_संस्कृति">भारतीय संस्कृति के मूल वेद हैं। ये हमारे सबसे पुराने धर्म-ग्रन्थ हैं और हिन्दू धर्म" href="http://hi.wikipedia.org/wiki/हिन्दू_धर्म">हिन्दू धर्म का मुख्य आधार हैं।
  • न केवल धार्मिक किन्तु ऐतिहासिक दृष्टि से भी वेदों का असाधारण महत्त्व है। वैदिक युग के आर्यों की संस्कृति और सभ्यता जानने का एकमात्र साधन यही है।
  • मानव-जाति और विशेषतः आर्य जाति ने अपने शैशव में धर्म और समाज का किस प्रकार विकास किया इसका ज्ञान वेदों से ही मिलता है।
  • विश्व के वाङ्मय में इनसे प्राचीनतम कोई पुस्तक नहीं है।
  • आर्य-भाषाओं का मूलस्वरूप निर्धारित करने में वैदिक भाषा बहुत अधिक सहायक सिद्ध हुई है।
  • वेद हिन्दुओं के प्राचीनतम धार्मिक ग्रंथ हैं।
  • संस्कृत शब्द “वेद” का अर्थ है “ज्ञान”। “विद्” शब्द इसका मूल है।
  • प्राचीनकाल में वेदों को लिखने की प्रथा नहीं थी वरन उनमें निहित श्लोकों को गुरु से सुनकर शिष्य उन्हें याद रखा करते थे।
  • सर्वमान्य विश्वास के अनुसार वेदों की रचना ईसा पूर्व लगभग1500-500 में हुई थी।
  • वेदों की कुल संख्या चार है – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद।
  • वेदों को संहिता के नाम से भी जाना जाता है।
  • ऋग्वेद में 1,028 श्लोक हैं।
  • ऋग्वेद के श्लोकों का होत्रि ब्राह्मणों के द्वारा सस्वर पाठ किया जाता था।
  • वेद के श्लोकों में देवताओं की स्तुति की गई है।
  • देवताओं में युद्ध तथा ऋतओं के देवता इन्द्र का सर्वाधिक वर्णन पाया जाता है।
    द्वितीय स्थान अग्नि देवता का है।

1 टिप्पणी:

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