वेद शब्द href="http://hi.wikipedia.org/wiki/शबà¥à¤¦">शब्द संस्कृत href="http://hi.wikipedia.org/wiki/संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤">संस्कृत भाषा href="http://hi.wikipedia.org/wiki/à¤à¤¾à¤·à¤¾">भाषा के "विद्" धातु href="http://hi.wikipedia.org/wiki/धातà¥">धातु से बना है जिसका अर्थ है: जानना, ज्ञान href="http://hi.wikipedia.org/wiki/जà¥à¤žà¤¾à¤¨">ज्ञान इत्यादि। वेद हिन्दू href="http://hi.wikipedia.org/wiki/हिनà¥à¤¦à¥‚">हिन्दू धर्म के प्राचीन पवित्र ग्रंथों का नाम है । वेदों को श्रुति href="http://hi.wikipedia.org/wiki/शà¥à¤°à¥à¤¤à¤¿">श्रुति भी कहा जाता है, क्योकि माना जाता है कि इसके मन्त्रों को परमेश्वर href="http://hi.wikipedia.org/wiki/परमेशà¥à¤µà¤°">परमेश्वर (ब्रह्म href="http://hi.wikipedia.org/wiki/बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®">ब्रह्म) ने प्राचीन ऋषि href="http://hi.wikipedia.org/wiki/ऋषि">ऋषियों को अप्रत्यक्ष रूप से सुनाया था जब वे गहरी तपस्या में लीन थे । वेद प्राचीन भारत के वैदिक काल" href="http://hi.wikipedia.org/wiki/वैदिक_काल">वैदिक काल की वाचिक परम्परा" href="http://hi.wikipedia.org/wiki/वाचिक_परमà¥à¤ªà¤°à¤¾">वाचिक परम्परा की अनुपम कृति है जो पीढी दर पीढी पिछले चार-पाँच हजार वर्षों से चली आ रही है । वेद ही हिन्दू धर्म के सर्वोच्च और सर्वोपरि धर्मग्रन्थ href="http://hi.wikipedia.org/wiki/धरà¥à¤®à¤—à¥à¤°à¤¨à¥à¤¥">धर्मग्रन्थ हैं ।
वेदों का महत्व
- भारतीय संस्कृति" href="http://hi.wikipedia.org/wiki/à¤à¤¾à¤°à¤¤à¥€à¤¯_संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿">भारतीय संस्कृति के मूल वेद हैं। ये हमारे सबसे पुराने धर्म-ग्रन्थ हैं और हिन्दू धर्म" href="http://hi.wikipedia.org/wiki/हिनà¥à¤¦à¥‚_धरà¥à¤®">हिन्दू धर्म का मुख्य आधार हैं।
- न केवल धार्मिक किन्तु ऐतिहासिक दृष्टि से भी वेदों का असाधारण महत्त्व है। वैदिक युग के आर्यों की संस्कृति और सभ्यता जानने का एकमात्र साधन यही है।
- मानव-जाति और विशेषतः आर्य जाति ने अपने शैशव में धर्म और समाज का किस प्रकार विकास किया इसका ज्ञान वेदों से ही मिलता है।
- विश्व के वाङ्मय में इनसे प्राचीनतम कोई पुस्तक नहीं है।
- आर्य-भाषाओं का मूलस्वरूप निर्धारित करने में वैदिक भाषा बहुत अधिक सहायक सिद्ध हुई है।
- वेद हिन्दुओं के प्राचीनतम धार्मिक ग्रंथ हैं।
- संस्कृत शब्द “वेद” का अर्थ है “ज्ञान”। “विद्” शब्द इसका मूल है।
- प्राचीनकाल में वेदों को लिखने की प्रथा नहीं थी वरन उनमें निहित श्लोकों को गुरु से सुनकर शिष्य उन्हें याद रखा करते थे।
- सर्वमान्य विश्वास के अनुसार वेदों की रचना ईसा पूर्व लगभग1500-500 में हुई थी।
- वेदों की कुल संख्या चार है – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद।
- वेदों को संहिता के नाम से भी जाना जाता है।
- ऋग्वेद में 1,028 श्लोक हैं।
- ऋग्वेद के श्लोकों का होत्रि ब्राह्मणों के द्वारा सस्वर पाठ किया जाता था।
- वेद के श्लोकों में देवताओं की स्तुति की गई है।
- देवताओं में युद्ध तथा ऋतओं के देवता इन्द्र का सर्वाधिक वर्णन पाया जाता है।
द्वितीय स्थान अग्नि देवता का है।
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