हार्पिक, जो एक टांयलेट क्लीनर है, को प्राइमरी पैकेजिंग के हिसाब से श्रेष्ट माना जाता है। इसके बनावट कुछ इस तरह की है की व्यक्ति इसकी बाँटल सीधी पकड़कर क्लीनीनिंग लिक्विड को ऊपर की और उड़ेल सकता है, लेकिन दुनिया में हार्पिक जैसी कुछ ही डिजाइन हैं। कारपोरेट जगत में अमूमन यह मानना जाता है की जैसे-जैसे कंपनी का आकार बड़ा होता जाता है, वह डिजाइन के बारे में सोचना उतना ही कम कर देती है और यही कारण है की बड़ी कम्पनियां डिजाइन के मामले में ज्यादा प्रयोगधर्मी नहीं होतीं।
स्ट्रेटेजिक मैनेजमेंट के प्रोफ़ेसर और 'द डिजाइन आँफ बिजनेस' किताब के लेखक रोजर मार्टिन का कहना है की आगे चलकर वैश्विक प्रतिस्पर्धा में वही बढ़त की स्थिति में होगा, जो डिजाइन के बारे में ज्यादा सोचेगा। बकौल मार्टिन, 'कारोबार में सबूत का मतलब होता है अतीत के विश्लेक्षण से जुटाए गए सटीक आंकड़े। किसी नए विचार के लिए कोइ पिचले आंकड़े नहीं होते। प्रतीकात्मक तौर पर नए विचार हमारे आस-पास के माहौल में हो रहे बदलाव के संकेतों के जरिये आते हैं, जिनकी मात्रा निर्धारित नहीं की जा सकती।'
कैलीफिर्निया में मैक्डोनल्ड ब्रदर्स ने जब पहले-पहल ड्राइव-इन रेस्टोरेंट शुरू करने के बारे में सोचा, तो वे इस बार को लेकर उलझन में थे की युद्ध के बाद, बेबी बूम कल्चर के दौर में अमेरिकी उनके उत्पाद लेना पसंद करेंगे या नहीं। उन्हें इसके बारे में कुछ भी पता नहीं था। कुछ बुनियादी जांच-परख की तकनीकों को अपनाने के बाद उन्हें लगा की ड्राइव-इन रेस्टोरेंट के बजाय ऐसा रेस्टोरेंट खोलना सही रहेगा,जो ग्राहकों को त्वरित सेवा दे, जिसके मेन्यु में सीमित आइटम हों और एक सर्विस विंडो हो।मैनेजमेंट में इसे सीखने की 'स्वतः शोध तकनीक' कहा जाता है। इसका मतलब है की किसी के सम्बन्ध में खुद ही सीखना या सीखने की ऐसी तकनीक अपनाना जो प्रशिक्षुओं को अपने बलबूते समाधान तलाशने के लिए प्रेरित करे। मैक्डोनल्ड ब्रदर्स ने अमेरिकियों से सीखा की वे क्या खाना चाहते हैं, इसे किस तरह से पाना चाहते हैं और किस मात्रा या साइज में खाना चाहते हैं। बाद में मैक्डोनल्ड ने बर्गर का एक स्टैण्डर्ड साइज तय कर दिया। इस तरह एक डिजाइन तैयार हो गयी। उन्होंने बेकार के ताम-झाम को हटा दिया और फास्ट-फ़ूड रेस्टोरेंट के हर भाग का मानकीकरण कर दिया। यही कारण है कि आज मैक्डोनल्ड कैलीफोर्निया के कुछ रेस्टोरेंट्स से बढ़कर दुनिया की सबसे बड़ी फास्ट फ़ूड चेन में तब्दील हो गया।
स्ट्रेटेजिक मैनेजमेंट के प्रोफ़ेसर और 'द डिजाइन आँफ बिजनेस' किताब के लेखक रोजर मार्टिन का कहना है की आगे चलकर वैश्विक प्रतिस्पर्धा में वही बढ़त की स्थिति में होगा, जो डिजाइन के बारे में ज्यादा सोचेगा। बकौल मार्टिन, 'कारोबार में सबूत का मतलब होता है अतीत के विश्लेक्षण से जुटाए गए सटीक आंकड़े। किसी नए विचार के लिए कोइ पिचले आंकड़े नहीं होते। प्रतीकात्मक तौर पर नए विचार हमारे आस-पास के माहौल में हो रहे बदलाव के संकेतों के जरिये आते हैं, जिनकी मात्रा निर्धारित नहीं की जा सकती।'
कैलीफिर्निया में मैक्डोनल्ड ब्रदर्स ने जब पहले-पहल ड्राइव-इन रेस्टोरेंट शुरू करने के बारे में सोचा, तो वे इस बार को लेकर उलझन में थे की युद्ध के बाद, बेबी बूम कल्चर के दौर में अमेरिकी उनके उत्पाद लेना पसंद करेंगे या नहीं। उन्हें इसके बारे में कुछ भी पता नहीं था। कुछ बुनियादी जांच-परख की तकनीकों को अपनाने के बाद उन्हें लगा की ड्राइव-इन रेस्टोरेंट के बजाय ऐसा रेस्टोरेंट खोलना सही रहेगा,जो ग्राहकों को त्वरित सेवा दे, जिसके मेन्यु में सीमित आइटम हों और एक सर्विस विंडो हो।मैनेजमेंट में इसे सीखने की 'स्वतः शोध तकनीक' कहा जाता है। इसका मतलब है की किसी के सम्बन्ध में खुद ही सीखना या सीखने की ऐसी तकनीक अपनाना जो प्रशिक्षुओं को अपने बलबूते समाधान तलाशने के लिए प्रेरित करे। मैक्डोनल्ड ब्रदर्स ने अमेरिकियों से सीखा की वे क्या खाना चाहते हैं, इसे किस तरह से पाना चाहते हैं और किस मात्रा या साइज में खाना चाहते हैं। बाद में मैक्डोनल्ड ने बर्गर का एक स्टैण्डर्ड साइज तय कर दिया। इस तरह एक डिजाइन तैयार हो गयी। उन्होंने बेकार के ताम-झाम को हटा दिया और फास्ट-फ़ूड रेस्टोरेंट के हर भाग का मानकीकरण कर दिया। यही कारण है कि आज मैक्डोनल्ड कैलीफोर्निया के कुछ रेस्टोरेंट्स से बढ़कर दुनिया की सबसे बड़ी फास्ट फ़ूड चेन में तब्दील हो गया।
सार्थक और सामयिक पोस्ट, आभार.
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