शवयात्रा में जाना और मृत शरीर को कंधा देना लगभग सभी धर्मों में बड़े ही पुण्य का कार्य माना गया है। धर्म शास्त्रों का कहना है कि शवयात्रा में शामिल होने और अंतिम संस्कार के मौके पर उपस्थित रहने से, इंसान को वैराग्य रूपी सर्वश्रेष्ठ ज्ञान और परम फल की प्राप्ति होती है। इस मौके पर उपस्थित रहना यानि काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद और अंहकार जैसे मनोविकारों से कुछ समय के लिये छुटकारा पा लेना है।
पर जब शमशान जाने के इतने सारे सांसारिक और आध्यात्कि लाभ हैं, तो वहां से आकर तुरंत नहाने की जरूरत क्या है? नहाया तो जब जाता है जब हम अशुद्ध हो जाते हैं। फिर पुण्य का कार्य करके तुरंत नहाने की क्या आवश्यकता है? सतही दृष्टि से सोचने पर यहां विरोधाभास नजर आता है, किन्तु समाधान पाने के लिये गहराई में उतरने की आवश्यकता है। शव का अंतिम संस्कार होने से पूर्व ही वह वातावरण में उपस्थित सूक्ष्म एवं संक्रामक कीटाणुओं से ग्रसित हो जाता है। इसके अतिरिक्त स्वयं मृत व्यक्ति भी किसी संक्रामक रोग से ग्रसित हो सकता है। अत: वहां पर उपस्थित इंसानों पर किसी संक्रामक रोग का असर होने की संभावना रहती है। जबकि पानी से नहा लेने से संक्रामक कीटाणु आदि पानी के साथ ही बह जाते हैं।
इसके साथ ही एक अन्य कारण भी तंत्र-शास्त्रों में बताया जाता है। शमशान भूमि पर लगातार ऐसा ही कार्य होते रहने से एक प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बन जाता है जो कमजोर मनोबल के इंसान को हानि पहुंचा सकता है। क्योंकि स्त्रियां अपेक्षाकृत पुरुषों के, कमजोर ह्रदय की होती हैं, इसलिये उन्हैं शमशान भूमि जाने से रोका जाता है। दाह संस्कार के पश्चात भी मृतआत्मा का सूक्ष्म शरीर कुछ समय तक वहां उपस्थित होता है, जो अपनी प्रकृति के अनुसार कोई हानिकारक प्रभाव भी डाल सकता है।
ऐसी बात सुनकर सामान्यत: सभी के दिमाग में यही सवाल उठता है कि रात के समय शमशान क्यों नहीं जाए? आखिर इसके पीछे क्या कारण है? कुछ लोग इसे सिर्फ अंधविश्वास मानते हैं लेकिन ये अंधविश्वास नहीं है। दरअसल रात के समय निशाचरी या नकारात्मक शक्तियां का अधिक प्रभाव रहता है। रात के समय नकारात्मक शक्तियां किसी भी कमजोर व्यक्ति को तुरंत अपने प्रभाव में ले लेती है।
यदि कोई व्यक्ति भावनात्मक रूप से कमजोर है, नेगेटीव थिंकिंग से घिरा हुआ है तो ये संभावना बढ़ जाती है कि उस व्यक्ति को नकारात्मक शक्तियां घेर ले। जब व्यक्ति इन नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव में आ जाता है तो उसे कई तरह की परेशानियों घेर लेती हैं। इसीलिए रात के समय शमशान में जाना हमारे लिए वर्जित किया गया है। विज्ञान भी मानता है कि सकारात्मक और नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव हम पर होता है। कमजोर सोच के व्यक्तियों को नकारात्मक शक्ति तुरंत प्रभावित कर लेती है।
पर जब शमशान जाने के इतने सारे सांसारिक और आध्यात्कि लाभ हैं, तो वहां से आकर तुरंत नहाने की जरूरत क्या है? नहाया तो जब जाता है जब हम अशुद्ध हो जाते हैं। फिर पुण्य का कार्य करके तुरंत नहाने की क्या आवश्यकता है? सतही दृष्टि से सोचने पर यहां विरोधाभास नजर आता है, किन्तु समाधान पाने के लिये गहराई में उतरने की आवश्यकता है। शव का अंतिम संस्कार होने से पूर्व ही वह वातावरण में उपस्थित सूक्ष्म एवं संक्रामक कीटाणुओं से ग्रसित हो जाता है। इसके अतिरिक्त स्वयं मृत व्यक्ति भी किसी संक्रामक रोग से ग्रसित हो सकता है। अत: वहां पर उपस्थित इंसानों पर किसी संक्रामक रोग का असर होने की संभावना रहती है। जबकि पानी से नहा लेने से संक्रामक कीटाणु आदि पानी के साथ ही बह जाते हैं।
इसके साथ ही एक अन्य कारण भी तंत्र-शास्त्रों में बताया जाता है। शमशान भूमि पर लगातार ऐसा ही कार्य होते रहने से एक प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बन जाता है जो कमजोर मनोबल के इंसान को हानि पहुंचा सकता है। क्योंकि स्त्रियां अपेक्षाकृत पुरुषों के, कमजोर ह्रदय की होती हैं, इसलिये उन्हैं शमशान भूमि जाने से रोका जाता है। दाह संस्कार के पश्चात भी मृतआत्मा का सूक्ष्म शरीर कुछ समय तक वहां उपस्थित होता है, जो अपनी प्रकृति के अनुसार कोई हानिकारक प्रभाव भी डाल सकता है।
रात में क्यों नहीं जाते हैं श्मशान?
श्मशान का नाम सुनते ही हर इंसान के मन में एक अजीब सा डर पैदा हो जाता है। आपने जब भी कभी रात के समय श्मशान में जाने की नहीं सिर्फ पास से गुजरने की बात भी यदि अपने घर के किसी बुजुर्ग के सामने कही होगी, तो उन्हें यही कहते सुना होगा कि रात के समय श्मशान नहीं जाते हैं।ऐसी बात सुनकर सामान्यत: सभी के दिमाग में यही सवाल उठता है कि रात के समय शमशान क्यों नहीं जाए? आखिर इसके पीछे क्या कारण है? कुछ लोग इसे सिर्फ अंधविश्वास मानते हैं लेकिन ये अंधविश्वास नहीं है। दरअसल रात के समय निशाचरी या नकारात्मक शक्तियां का अधिक प्रभाव रहता है। रात के समय नकारात्मक शक्तियां किसी भी कमजोर व्यक्ति को तुरंत अपने प्रभाव में ले लेती है।
यदि कोई व्यक्ति भावनात्मक रूप से कमजोर है, नेगेटीव थिंकिंग से घिरा हुआ है तो ये संभावना बढ़ जाती है कि उस व्यक्ति को नकारात्मक शक्तियां घेर ले। जब व्यक्ति इन नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव में आ जाता है तो उसे कई तरह की परेशानियों घेर लेती हैं। इसीलिए रात के समय शमशान में जाना हमारे लिए वर्जित किया गया है। विज्ञान भी मानता है कि सकारात्मक और नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव हम पर होता है। कमजोर सोच के व्यक्तियों को नकारात्मक शक्ति तुरंत प्रभावित कर लेती है।
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