31 अक्टूबर 2011

व्रत उपवास क्यों करें?


व्रत का अर्थ है संकल्प या दृढ़ निश्चय तथा उपवास का अर्थ ईश्वर या इष्टदेव के समीप बैठना भारतीय संस्कृति में व्रत तथा उपवास का इतना अधिक महत्व है कि हर दिन कोई न कोई उपवास या व्रत होता ही है। सभी धर्मों में व्रत उपवास की आवश्यकता बताई गई है। इसलिए हर व्यक्ति अपने धर्म परंपरा के अनुसार उपवास या व्रत करता ही है। वास्तव में व्रत उपवास का संबंध हमारे शारीरिक एवं मानसिक शुद्धिकरण से है। इससे हमारा शरीर स्वस्थ रहता है। 1. नित्य 2. नैमित्तिक 3. काम्य व्रत
1. नित्य: जो व्रत भगवन को प्रसन्न करने के लिए निरंतर किया जाता है।
2. नैमित्तिक: यह व्रत किसी निमित्त से किया जाता है।
3. काम्य: किसी कामना से किया व्रत काम्य व्रत है।

स्वास्थ्य: व्रत उपवास से शरीर स्वस्थ रहता है। निराहार रहने, एक समय भोजन लेने अथवा केवल फलाहार से वाचनतंत्र को आराम मिलता है। इससे कब्ज, गैस, एसिडीटी अजीर्ण, अरूचि, सिरदर्द, बुखार, आदि रोगों का नाश होता है। आध्यत्मिक शक्ति बढ़ती है। ज्ञान, विचार, पवित्रता बुद्धि का विकास होता है। इसी कारण उपवास व्रत को पूजा पद्धति को शामिल किया गया है।
कौन न करें: सन्यासी, बालक, रोगी, गर्भवती स्त्री, वृद्धों को उपवास करने पर छूट प्राप्त है।
क्या नियम है व्रत का: जिस दिन उपवास या व्रत हो उस दिन इन नियमों का पालन करना चाहिए: किसी प्रकार की हिंसा न करें। दिन में न सोएं। बार-बार पानी न पिएं। झूठ न बोलें। किसी की बुराई न करें। व्यसन न करें। भ्रष्टाचार न करने का संकल्प लें। व्यभिचार न करें।सिनेमा, जुआं, टीवी आदि न देखें।

उपवास करने से पूर्व यह भ्रम मन से निकाल दें कि इससे आप कमजोरी महसूस करेंगे। उपवास के दौरान मन प्रसंचित तथा शरीर में स्फूर्ति आती है
उपवास के समय मुंह से दुर्गन्ध सी आती महसूस होती है और जीभ का रंग सफ़ेद पड़ जाता है।यह इस बात का लक्ष्ण है कि शरीर में सफाई काम शुरू हो गया है।
शारीरिक स्वस्थ्य व मानसिक स्वस्थ्य के लिए यह अत्यंत आवश्यक है। शरीर के अन्दुरुनी भाग के सफाई के लिए उपवास एक सरल प्राकृतिक क्रिया है। इससे शरीर को आराम भी मिलता है। कुछ ऐसे भी रोग है जिनमे उपवास नहीं करनी चाहिए, जैसे- क्षय रोग, ह्रदय रोग आदि, इसी प्रकार स्त्रियों को भी गर्भावस्था में उपवास नहीं करना चाहिए। इसके अतिरिक्त कुछ रोगों में सिर्फ उपवास करना ही पर्याप्त नहीं होता , बल्कि अन्य उपायों कि भी जरुरत है, जैसे औषधि आदि इसलिए चिकिस्क कि सलाह ले लेनी चाहिए।
वैसे भी समय-समय पर एक-दो दिन का उपवास से साधारण रोगों के साथ-साथ अनेक असाध्य रोगों , जैसे मधुमेह, बबासीर आदि में अधिक लाभ मिलता है , इसके अतिरिक्त पाचन तंत्र के रोग, जैसे कब्ज़, अपच आदि में तो उपवास एक तरह से चमत्कारी प्रभाव दिखता है।
उपवास आरम्भ करने के चौबीस घंटे पहले गरिष्ठ खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। फलाहार करना ही उचित है। उपवास करते समय बहुत साबधानी बरतनी चाहिए। पेट के विभिन्न अंग उपवास कल में क्रियाशील नहीं रहते, इसलिए उपवास समाप्त करने के तुरंत बाद ही ठोस खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। फलों का रस लेना ही ठीक रहता है
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व्रत में ऐसा हो आहार 
व्रत शरीर और मन की शुद्धि का अशक्त माध्यम है। यही नहीं, व्रत शरीर की शुद्धी के साथ-साथ रोगों के निवारण में भी सहायक है। आहार विशेषज्ञों के अनुसार सप्ताह में एक बार व्रत रखने के अनेक लाभ हैं, परन्तु व्रत के दौरान खाघ पदार्थों का उचित चयन व उपयोग नहीं हो पाता। इस सन्दर्भ में कुछ जानकारियाँ इस प्रकार हैं-
1. व्रत के दिन पानी अधिक मात्रा में लें।
2. इस दौरान अधिक परिक्श्रम का कार्य नहीं करना चाहिए।
3. व्रत के दिन दोपहरपर्याप्त मात्रा में खाघ पदार्थ लें और रात में कम खाएं।
4. पर्याप्त मात्रा में विश्राम करे और पानी में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में शहद व नीबूं मिलाकर पीते रहें।
5. उपवास के दौरान सभी गैरजरूरी पदार्थ कोलेस्ट्रांल के रूप में शरीर से बाहर निकलते हैं। वहीं कोलेस्ट्रांल को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त पानी की आवश्यकता होती है।
6. व्रत के दौरान तले हुए खाघ पदार्थ कम लेने चाहिए।
7. इस मौसम में ऐसे फल लें, जिनमें पानी की पर्याप्त मात्रा उपस्थित हो।
8. फलों का ज्यूस शरीर को पर्याप्त ऊर्जा देता है। फलों के जूस में चुकंदर गाजर, सेब, अनार, संतरा आदि को शुमार कर सकते हैं।
स्वस्थ लोगों के अलावा डायबिटीज व हाइपरटेंशन के मरीज भी निम्न आहार तालिका पर अमल कर सकतें हैं।
आहार तालिका
समय                             भोज्य पदार्थ
सुबह           7-8              1 गिलास पानी-शहद 1 चम्मच-नीबूं (1/2 ) रस 
                 9-10            1 कप चाय/दूध+मखाने (50 ग्रा.) भुने हुए (बिना तेल के)
मध्याह्न       12-1             फलों की चाट/सलाद+दही 1 कटोरी(150 ग्रा.), (1 सेब, 1/2 चुकंदर, 1 गाजर, 1/2 अनार, 1 खीरा, 1 ककडी, 1 संतरा)
                 4.00             चाय या दूध एक कप +मखाने भुने हुए. 
शाम           7-8              1 गिलास फलों का रस 
                 9.00            200 ग्रा. पपीता/ 1 आलू/ 1 कटोरी लौकी
                 9.30            1/2 गिलास दूध/ सिंघाड़े के आटे का पराठा+दही