04 जनवरी 2011

कैसे करें महिलाएं आत्मरक्षा ?



"कहते हैं, नारी की खूबसूरती उसकी नजाकत है. माना कि यह सच है, 
लेकिन इसके साथ-साथ यह भी कडवा सच है कि कदम-कदम पर 
आज भी आए दिन नारी के साथ छेड़छाड़, बलात्कार, दोयम दर्जें का, 
उपेक्षित तो कभी-कभी पाशविक व्यवहार होता है. 
लेकिन अब वक्त भी काफी बदल गया है. 
आज की नारी पहले से जागरूक और अपनी सुरक्षा के प्रति 
अधिक सचेत हो गई है. अब वह अपने अस्तित्व, आत्मनिर्भरता 
और आत्मसम्मान को लेकर खुलकर बोलने और प्रतिवाद करने लगी है. 
अब वह अपनी सुरक्षा स्वयं करने के लिये भी प्रतिबद्ध है."





आइए, ऐसे कई पहलुओं पर गौर करते हैं, जहाँ पर महिलाओं को एहतियात बरतनी चाहिए.

आपके बात करने का ढंग काफी मायने रखता है. अजनबियों से घुल-मिलकर बातें न करें. बातचीत संक्षेप में और शालीनता के साथ करें.
 महिलाओं को अपने कपड़ों पर विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए. छोटे-छोटे कपडे या बदन दिखाऊ कपडे पहनना उचित नहीं है. अक्सर मिनी स्कर्ट के नाम पर कम व खुले कपडे पहन कर लडकियां खुद मुसीबत मोल लेती हैं.
यदि कोई लड़का छेड़े तो घबराएं नहीं, बल्कि पूरे आत्मविश्वास के साथ उस स्थिति का सामना करें. उसे डांट-फटकार लगा दें. यदि आस-पास पुलिस है तो उनकी भी मदद ले सकती हैं.
अपना रोज का शेड्यूल फिक्स न रखें, जिसे निश्चित समय पर उसी रास्ते से आना-जाना, कभी-कभी रास्ता और वक्त बदल दें.
आँफिस जाते समय अधिक ज्वेलरी खासकर सोने-हीरे की न पहनें. कभी-कभी इनकी वजह से भी मुसीबत आन पड़ती है.
भीड-भाड वाली जगहों से चलने की कोशिश करें. अकेले सुनसान जगह पर न चलें.
यदि बहुत बड़ी बिल्डिंग और रात का समय है तो सीढ़ियों की जगह लिफ्ट से जाएं. दरअसल, सीढ़ियों पर चहल-पहल कम होती है, जिससे वहां क्राइम अधिक होते हैं.
कोशिश करें आँटो रिक्शा  व टैक्सी की जगह बस, ट्रेन आदि पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल करें.
यदि बस स्टांप सुनसान हो तो किसी पास की सुनसान दुकान के पास खडी होकर बस का इंतज़ार करें.
ट्रेन में भीडभाड वाले कम्पार्टमेंट में बैठें.
जब कभी कार ड्राइव करें तो खिड़की के शीशे चढ़े हुए तथा दरवाजे अच्छे तरह लांक हों, इस बात का ध्यान रखें.
कभी भी अपनी गाडी को सुनसान जगहों पर पार्क न करें. जब भी कार से बाहर निकालें तो आसपास के माहौल पर एक सजग सरसरी निगाह जरूर डालें.
यदि कोई हथियार यानी चाकू, बन्दूक आदि दिखाकर कोई अचानक हमला करे तो हिम्मत न हारें. मुसीबत का डटकर मुकाबला करें और हो सके तो भागने की पूरी कोशिश करें.
टैक्सी लेनी हो तो टैक्सी स्टैंड से लें और टैक्सी काए नंबर जरूर नोट करें.
यदि कहीं लंबी दूरी के लिये तक्सी लेने है तो ट्रेवल एजेंसे से मंगवाएं, ताकि कुछ प्राब्लम होने पर दरैवर का पता आसानी से मालूम हो सके.
यदि कार में कोई खराबी हो जाए और मदद की जरूरत पड़े तो हमेशा ट्रैफिक से विपरीत दिशा में चलें, जिससे आप देख सकें कि सामने से क्या आ रहा है?
यदि कोई आपका कार से पीछा कर रहा हो तो जिस दिशा से आप आयी हैं, हमेशा उसी दिशा में भागें. विपरीत दिशा में दौड़ने से पीछा करने वाले के लिये आपको ट्रेस करना आसान हो जायेगा.
यदि आप सुनसान इलाके से गुजर रही हैं तो अधिक एहतियात बरतें. मोबाइल पर एफएम म्यूजिक या I-Pod आदि न सुनें.
घर और आँफिस से अक्सर जिन रास्तों से जाती हों, उनके बीच के स्थानों पर दोस्त-सहेलियों आदि के घर, परिचितों के घर का प्रबंध जरूर करें, ताकि कभी मुसीबत पड़ने पर तुरंत उनसे सहायता ली जा सके.
जब कभी पब्लिक बूथ से फोन पर बात करें तो पीठ फोन की तरफ कर लें, जिससे आप सामने की तरफ देख सकें और कोई मुसीबत आने पर फोन पर मौजूद सामने वाले को बता सकें.
बेहद महत्वपूर्ण और कारगर उपाय - मुसीबत में फसने पर शोर जरूर मचाएं.


 नारी को अपनी सुरक्षा के लिये किन-किन बातों पर ध्यान देना चाहिए. इस सन्दर्भ में विभिन्न क्षेत्र से जुडी महिलाओं के विचार इस प्रकार हैं.

बातचीत का तरीका शालीन हो
किरण गणत्रा जो कि सायकोलाँजिकल काउंसलर हैं, उनका कहना है, "नारी के बात करने का ढंग काफी मायने रखता है. आपकी बातचीत में शालीनता बेहद जरूरी है, नहीं तो सामने वाले को रंग सिग्नल मिलता है. इसके अलावा आपका ड्रेसिंग सेन्स भी सही होना चाहिए. फैशन के नाम पर कुछ भी पहन लेना, खासकर खुले, बदन दिखाऊ कपडे पहनना ठीक नहीं है. ऐसे में अप्रत्यक्ष रूप से आप खतरे को न्यौता देते हैं. साथ ही आप अकेले-अनजानी जगह पर जाने से बचें. यदि बहुत जरूरी हो तो किसी को साथ जरूर लें. अपनी आत्मरक्षा के लिये कोई-न-कोई विघा जरूर सीखें."

सबसे जरूरी सेल्फ कान्फिडेंस
ग्राफिक डिजाइनर भावना शाह के विचार थोड़े क्रांतिकारी हैं. वे कहती हैं, "आप दुनिया के किसी भी कोने में चले जाएं, छेड़छाड़ करने वाले, बदतमीज किस्म के लोग आपको मिलेंगे ही. इसलिए सबसे महत्वपूर्ण है अपना सेल्फ कान्फिडेंस. यदि आप आत्मविश्वास से भरपूर रहेंगी तो बहुत-सी समस्या यूं ही हल हो जाती हैं. फिर आपका बाँडी लैंग्वेज और लोगों से बात करने का तरीका कैसा है, इस पर गौर करें. हर पल सजग रहना चाहिए. दुकान, सब्जी वाले से लेकर अन्य बाहरी लोगों से संक्षेप में और आदरपूर्वक बात करना चाहिए."

वक्त के पाबंद हों
महाराष्ट्र स्टेट वूमंस काउंसलिंग की हेड मोहिनी माथुरजी स्त्री आत्मरक्षा के संबंध में अपना अनुभवी लेखा-जोखा देते हुए कहती हैं, "समाज में हर तरह के लोग होते हैं. मैं स्त्री के पहनावे पर अधिक कमेन्ट नहीं करूंगी. दरअसल, हर स्त्री को आकर्षित दिखने के लिये खूबसूरत ड्रेसेस पहनने का अधिकार है. हाँ, आप वक्त के पाबन्द हों. कोशिश करें कि देर रात तक घर के बाहर न रहें. यदि आपका आचरण, पहनावा और हावभाव संतुलित रहेगा, तो किसी को आपके साथ कुछ करने की हिम्मत ही नहीं होगी. स्त्री को खुद में आत्मविश्वास और मजबूती लानी होगी, ताकि मुसीबत का सामना कर सकें. सेल्फ डिफेन्स के लिये कराते, जूडो सीख सकती हैं, लेकिन फिर भी मेरा तो यह मानना है कि पुरुष तो पुरुष ही है. आदमी की ताकत और क्षमता का मुकाबला भला स्त्री कहाँ कर सकती है. लेकिन आपकी पर्सनैलिटी सौम्य और शालीन है, तो मुसीबत में पड़ने की संभावना कम ही रहेगी."

बेटियों को एज्युकेटेड बनाएं
स्टांक मार्केट में टेक्निकल एनिमिस्ट अनु जैन के विचार परिपाटी से हटकर हैं, वे नारी को कमजोर कतई नहीं मानती. "आज की महिलाओं में इतनी कूबत है कि वे हर स्थिति का सामना सूझबूझ से कर सकें. वे बेहद मजबूत हैं. वक्त के साथ बहुत कुछ बदला है, पहले की बात और थे जब लडकियां घबराती-शर्माती थीं. लेकिन आज अपनी आत्मरक्षा के लिये स्त्री हाथ उठाने से लेकर जूता तक मार देती हैं. दरअसल, भारतीय पुरूष की संकीर्ण सोच ही के कारण अधिक समस्या पैदा होती है.

हर माता-पिता को चाहिए कि वे अपनी बेटियों को एज्युकेटेड बनाएं, साथ ही उन्हें मानसिक तौर पर भी इतना मजोबूत बनाएं कि कभी भी किसी भी परिस्थिति में वे मुसीबत का सामना पूरी बहादुरी से कर सकें, फिटनेस लेवल पर ध्यान दें यानी कि फिजिकली फिट रहें. अब स्कूलों में बच्चों को कराते, मार्शल आर्ट आदि सेल्फ प्रोटेक्शन के क्लासेस चलाए जाते हैं, इसे सीखने के लिये लड़कियों को जरूर प्रोत्साहित करें."

सतत जागरूक रहें
राधिका शेख जो कि पिछले 10 सालों से लड़कियों को सेल्फ डिफें की विद्या सिखा रहीं है, अब तक करीब 3000 लड़कियों को वे आत्मरक्षा के गुर सीखा चुकी हैं. वे खुद थर्ड डिग्री की ब्लैक बेल्ट हैं. राधिका जी ने अपने पति आरिफ शेख के साथ आत्मरक्षा सिखाने का अभियान शुरू किया था. वे स्कूल की लड़कियों के लिये कैम्प वगैरह भी लगाती हैं. कई महिलाएं उनके क्लासेस में सीखने के लिये आते हैं. वे हथियार बगैर, स्टिक यानी कि डंडे से आत्मरक्षा कैसे की जाए सिखाती हैं, इसके अलावा फिलीपिन्यो मार्शल आर्ट एक्स्क्रैमा भी वे सिखाती हैं. स्त्री की आत्मरक्षा के संबंध में राधिका जी अपने विचार कुछ इस प्रकार रखती हैं, "लड़कियों को सतत जागरूक रहना चाहिए. अक्सर लडकियां अपनी धुनकी में या फिर सहेलियों के साथ गप्पे लड़ाते हुए चलती हैं. ऐसा नहीं करना चाहिए. उन्हें अपने अगल-बगल में क्या हो रहा है, इसके प्रति सजग रहना चाहिए. साथ ही अपने आने-जाने का वक्त फिक्स न रखें, न जाने कौन ताक लगाएं बैठा हो. कोशिश करें कि सहेलियों के साथ या फिर ग्रुप में स्कूल, काँलेज, क्लासेस, घर, घूमने-फिरने आदि जगह जाएं, जब कभी मुसीबत में पड़ें तो मदद के लिये गुहार लगाएं या फिर जोर से 'फायर' चिलाएं. यह एक तरह से अटेंशन कैचिंग लाइन है. अपने साथ छोटा-मोटा कोई हथियार यानी चाबी, बाँडी स्प्रे आदि जरूर रखें, ताकि कोई अचानक हमला करे तो उसकी आँखों में स्प्रे मार सकें. देखिये, मेरा तो यह सोचना है कि लड़कियों को खतरे के समय काँमनसेन्स दिखाकर सबसे पहले अपने आपको बचाना भी बेहद जरूरी है यानी मैं भागने में अधिक यकीन रखती हूँ. आप भले ही जूडो-कराते, मार्शल आर्ट या फिर खुद को बचाने की कोई भी विद्या जानती हों. लेकिन लड़ने से बेहतर है कि खुद को बचाना, जान है तो जहान है."