प्यार शायद दुनिया के सभी प्राणियों को कुदरत की तरफ से दिया गया सबसे बेहतरीन तोहफा है। यही जीवन में रंग भरता है और जीवन तथा इस सृष्टि की निरंतरता को बनाए रखता है। शायद इसी वजह से प्राचीन हिन्दू परंपराओं में इसे जीवन के चार अहम उद्देश्य धर्म, अर्थ और मोक्ष के साथ काम के रूप में अहमियत दी गई है। प्राचीन हिन्दू धर्म जीवन में आने वाले इस आनंद की अनुभूति को उतना ही अहम मानता है, जितना कि ज्ञान की तलाश को।
प्यार यानी शरीर, मन और आत्मा
सेक्स को हम महज यौन क्रिया से नहीं जोड़ सके। यह दोनों लोगों के बीच गहरी आत्मीयता से पैदा होता है। जब दो लोग एक-दूसरे की परवाह करते हैं। जब हमारा शरीर, मन और आत्मा एक हो जाते हैं। यह तभी संभव होता है जब हम सामने वाले की भावनाओं की कद्र करना सीखते हैं।
सेक्स में प्यार की अहम भूमिका है। सबसे पहले एक शारीरिक क्रिया होने के नाते इसका हमारे शरीर से गहरा नाता है। महिलाओं में यौन क्रिया आक्सीटॉनिक को शरीर में प्रवाहित करती है। यह आक्सीटॉनिक उनके भीतर स्नेह और सेवा की भावना को मजबूत करता है। इतना ही नहीं यौन क्रिया हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।
मन से गहरा रिश्ता है सेक्स का
सिर्फ शरीर नहीं मन से भी सेक्स का गहरा रिश्ता है। एक स्वस्थ सेक्स जीवन किसी भी स्त्री अथवा पुरुष के भीतर शांति और प्रसन्नता की भावना पैदा करता है। यह उनके आपसी रिश्तों को मजबूत करता है। यह प्रसन्नता की भावना उनके लिए लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन का सबब भी बनती है।
प्यार किसी भी दंपति के लिए आनंद का सबब बनते हैं। मगर दांपत्य जीवन में प्यार का मतलब सिर्फ सेक्स से नहीं जोड़ना चाहिए। कई बार विभिन्न वजहों से आपके साथी में सेक्स के प्रति अनिच्छा भी पैदा हो सकती है। ऐसी स्थिति में हमें उसकी वजह को जानने और उसे दूर करने का प्रयास करना चाहिए। यदि पार्टनर की इच्छा न हो तो सेक्स को कभी उस पर थोपने की कोशिश नहीं करनी चाहिए बल्कि उसकी दिक्कतों को शेयर करते हुए उससे सहानुभूति का बर्ताव करना चाहिए।
तो याद रखिए... सेक्स आपके जीवन का एक अहम हिस्सा तभी बनेगा जब आप उसे प्यार की ऊर्जा से सराबोर रखेंगे। तभी आप एक स्वस्थ सेक्स जीवन, बेहतर संबंधों और मजबूत होते रिश्तों की तरफ बढ़ सकेंगे।
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