छत्तीसगढ़ का एक छोटा-सा गाँव लेन्ध्रा। चाहे आप इसे मान्यता कहें या फिर अन्धविश्वास, इस गाँव के लोगों ने असमय मृत्यु से बचने के लिये सत्रह सालों से एक दीये को प्रज्ज्वलित कर रखा है।
इस गाँव के मुख्य मन्दिर राधा-माधव संकीर्तन आश्रम (जो रायगढ़ से पचास किलोमीटर की दूरी पर स्थित है) में यह दीया पिछले सत्रह सालों से लगातार जल रहा है। लोगों की मान्यता है कि इस दीये के जलने से किसी भी प्रकार की प्राकृतिक आपदा इस गाँव पर नहीं पड़ेगी।
इस गाँव के एक श्रद्धालु भारत पाण्डेय का कहना है कि वे हर साल यहाँ आते हैं और अपने परिवार को भी साथ लाने की कोशिश करते हैं। वे चौदह साल पहले यहाँ आए थे और तब से आज तक लगातार यहाँ आ रहे हैं। उन्हें यहाँ आना काफी अच्छा लगता है।
इस दीये को जलाए रखने के लिए जो खर्च होता है, उसे पूरा गाँव मिलकर उठाता है।
इस मन्दिर के पुजारी मुकेश कुमार के अनुसार, इस दीये को जलाने के लिए पूरे छत्तीसगढ़ से श्रद्धालु यहाँ आते हैं और मन्दिर में काफी मात्रा में दान-दक्षिणा भी देते हैं। उनके लिए इस पैसे से मुफ्त भोजन का भी इंतजाम किया जाता है। इस दीये को जलाए रखने के लिये दो व्यक्तियों को भी नियुक्त किया गया है।
अधिकतर ग्रामीण मानते हैं कि इस दीये के प्रज्ज्वलित रहने से सत्रह सालों से इस गाँव पर किसी तरह की प्राकृतिक आपदा नहीं आई है। करीब 3,500 लोगों की आबादी वाला यह गाँव आसपास के क्षेत्रों में भी श्रद्धा का केन्द्र बना हुआ है। (एएनआई)
03 अक्तूबर 2010
17 सालों से जल रहा है एक दीया !
Labels: आस्था या अन्धविश्वास
Posted by Udit bhargava at 10/03/2010 08:46:00 pm
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wakayee ashchary wali baat hai yeh!
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