आरती
आरती श्री गुरु श्री चन्द्र जी क़ी
ॐ जय श्री चन्द्र बाबा, स्वामी जय श्री चन्द्र बाबा।
सुर नर मुनिजन ध्यावत, संत से व्य साहिबा॥
कलियुग घोर अँधेरा, तुम लियो अवतार।
शंकर रूप सदाशिव, यश अपरम्पार॥
योगी तुम अवधूत सदा हे बाल भ्रम्चारी।
भेष उदासी धारे, महिमा अतिभारी॥
रामदास गुरु अर्जुन सोढी कुल भूषण॥
सेवत चारण तुम्हारे, मिटे सकल दूषण॥
रिद्धि सिद्धि के दाता, भक्तन के त्राता।
रोग शोक को काटे जो शरनी आता॥
भक्त गिरी सन्यासी चरणां विच गिरयो।
काट दियो भवबंधन अपना शिष्य कियो ॥
उदासीन जन जग मेइन पालक सलक दुख घालक ।
तुम आचर्य जगत मेइन सदगुण संचालक ॥
वेदि वंश रखियो जग भीतर, कृपाकारी भारी।
धर्म चंद उपदेशियों, जावां बलिहारी॥
गौर वर्ण तनु भस्म कान में में सजे हुए मदुरा।
बाव्रियां शिर भाजें, लाख जग सब उघरा॥
पद्मासन को बाँधा योग लियो पारो।
ऐसो ध्यान तुम्हारो, मन में नित धारो॥
जो जन आरती निशदिन बाबे क़ी गावे।
बसे जाय बैकुंठहि सुख पुल पावे॥
01 मार्च 2009
श्री गुरु श्री चन्द्र जी क़ी आरती
Posted by Udit bhargava at 3/01/2009 04:13:00 pm
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