किसी इंटरव्यू से पहले के कई क्षण कभी-कभी इतने कठिन महसूस होते है कि अक्सर लोगों को दोबारा इंटरव्यू के नाम से ही डर लगने लगता है। इंटरव्यू के बारे में सुनते ही लगता है मानो कोई अभी आयेगा और हमें निगल जायेंगा। इस डर का असर आपके परफार्मन्स पर भी पडता हैं। सबसे ज्यादा डर इस बात का लगता है कि वो कौन से सवाल पूछेंगें? क्या मैने पूरी तैयारी कर ली है? क्या ऐसे सवाल भी पूछे जायेंगें जिसका मेरे काम के साथ कोई संबध नहीं होगा? ...लेकिन यह सब इतना मुश्किल भी नही है, जितना हम समझते हैं.. इंटरव्यू को एक खुशनुमा अनुभव भी बनाया जा सकता है।
जानें इंटरव्यू बोर्ड को
'इंटरव्यू बोर्ड' जिसका परिचय अब तक आपको मिल चुका है, उसकी बात करते हैं... इंटरव्यू बोर्ड मे कभी एक या कभी उससे अधिक लोग हो सकते हैं, लेकिन समझने वाली बात यह है कि हम एक समय में सिर्फ एक से बात कर रहे होते हैं। लिहाजा यह जरूरी है कि उस वक्त उसी पर गौर करें, हालांकि बाकी सभी पर भी आपकी नज़र दौडती रहनी चाहिये। भले ही 'बोर्ड' में कई सदस्य हों, सब का एक ही मकसद होता है... सबसे अच्छे उम्मीदवार का चुनाव।
सवाल-जवाब का सिलसिला
इंटरव्यू बोर्ड के सदस्य अपने डिपार्टमेंट या विभाग की ज़रूरत को ध्यान मे रखकर सवाल पूछते हैं। इंटरव्यू केवल सवाल-जवाब का एक सिलसिला नहीं है। यह उम्मीदवार को कंपनी के बारे में और कंपनी को उम्मीदवार के बारे में जानने का पहला ज़रिया भी है। आमतौर परइंटरव्यू काफी औपचारिक माहौल मे होते हैं। लेकिन इसमे भी बदलाव आ रहा है। शायद आपने भी सुना होगा कि कई लोग जो इंटरव्यू मे चुने नही जाते है, कहते हैं, "इंटरव्यू का अनुभव अच्छा रहा..." यह तब होता है जब इंटरव्यू मे हुई बातचीत तनावपूर्ण माहौल मे ना हुई हो। वैसे यह हमारे हाथ मे तो नही है..तो फिर क्या है हमारे हाथ में?
कहां से लाएं आत्मविश्वास?
आत्मविश्वास..आप कहेंगें कहनातो आसान है पर ऐन वक्त पर सारा आत्मविश्वास कहीं गायब हो जाता है... हाथ-पैर काँपने लगते हैं। गला सूख जाता है। आत्मविश्वास जन्म से किसी मे नहीं होता है। इसे पैदा किया जाता है। इसका प्रदर्शन अक्सर जीत की वजह होती है। आत्मविश्वास अपने विषय मे निपुणता के कारण आ सकता है, या फिर पहले के इंटरव्यूज़ के अनुभव से या फिर सबसे अच्छा तरीका है खुद से... जी हां, अपने-आप से अपने अंदर से जो विश्वास आता है ...वही सच्चा आत्मविशवास होता है।
कुछ सुझाव
वैसे तो किताबें पढ़कर, लोगों से बातें करके, टीवी या फिल्में देखकर अपने विचारो का आदान-प्रदान करके आत्मविश्वास पैदा किया जा सकता है, लेकिन सबसे ज़रूरी है अपने अंदर के डर को भगाना। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार एक बहुत अच्छा तरीका है आईने के सामने खडे होकर खुद से बातें करना। किसी भी विषय पर। सुनने में अजीब लग सकता है। एक बार कोशिश कर के देखिये आपको अपने आत्मविशवास मे खुद फर्क नज़र आयेगा।
जानें इंटरव्यू बोर्ड को
'इंटरव्यू बोर्ड' जिसका परिचय अब तक आपको मिल चुका है, उसकी बात करते हैं... इंटरव्यू बोर्ड मे कभी एक या कभी उससे अधिक लोग हो सकते हैं, लेकिन समझने वाली बात यह है कि हम एक समय में सिर्फ एक से बात कर रहे होते हैं। लिहाजा यह जरूरी है कि उस वक्त उसी पर गौर करें, हालांकि बाकी सभी पर भी आपकी नज़र दौडती रहनी चाहिये। भले ही 'बोर्ड' में कई सदस्य हों, सब का एक ही मकसद होता है... सबसे अच्छे उम्मीदवार का चुनाव।
सवाल-जवाब का सिलसिला
इंटरव्यू बोर्ड के सदस्य अपने डिपार्टमेंट या विभाग की ज़रूरत को ध्यान मे रखकर सवाल पूछते हैं। इंटरव्यू केवल सवाल-जवाब का एक सिलसिला नहीं है। यह उम्मीदवार को कंपनी के बारे में और कंपनी को उम्मीदवार के बारे में जानने का पहला ज़रिया भी है। आमतौर परइंटरव्यू काफी औपचारिक माहौल मे होते हैं। लेकिन इसमे भी बदलाव आ रहा है। शायद आपने भी सुना होगा कि कई लोग जो इंटरव्यू मे चुने नही जाते है, कहते हैं, "इंटरव्यू का अनुभव अच्छा रहा..." यह तब होता है जब इंटरव्यू मे हुई बातचीत तनावपूर्ण माहौल मे ना हुई हो। वैसे यह हमारे हाथ मे तो नही है..तो फिर क्या है हमारे हाथ में?
कहां से लाएं आत्मविश्वास?
आत्मविश्वास..आप कहेंगें कहनातो आसान है पर ऐन वक्त पर सारा आत्मविश्वास कहीं गायब हो जाता है... हाथ-पैर काँपने लगते हैं। गला सूख जाता है। आत्मविश्वास जन्म से किसी मे नहीं होता है। इसे पैदा किया जाता है। इसका प्रदर्शन अक्सर जीत की वजह होती है। आत्मविश्वास अपने विषय मे निपुणता के कारण आ सकता है, या फिर पहले के इंटरव्यूज़ के अनुभव से या फिर सबसे अच्छा तरीका है खुद से... जी हां, अपने-आप से अपने अंदर से जो विश्वास आता है ...वही सच्चा आत्मविशवास होता है।
कुछ सुझाव
वैसे तो किताबें पढ़कर, लोगों से बातें करके, टीवी या फिल्में देखकर अपने विचारो का आदान-प्रदान करके आत्मविश्वास पैदा किया जा सकता है, लेकिन सबसे ज़रूरी है अपने अंदर के डर को भगाना। मनोवैज्ञानिकों के अनुसार एक बहुत अच्छा तरीका है आईने के सामने खडे होकर खुद से बातें करना। किसी भी विषय पर। सुनने में अजीब लग सकता है। एक बार कोशिश कर के देखिये आपको अपने आत्मविशवास मे खुद फर्क नज़र आयेगा।
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