03 मई 2011

अपनाएं सकारात्मक दृष्टिकोण


जीवन में घटने वाली किसी भी घटना या परिस्थिति का अपना कोई स्वतंत्र मूल्य नहीं होताघटनाओं या परिस्थितियों के जिस दृष्टिकोण से हम आत्मसात करते हैं, वही उसका मूल्य हो जाता है। 

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म्पूर्ण व्यक्तित्व विकास के लिये सकारात्मक दृष्टिकोण का होना बहुत जरूरी है। लोग अक्सर अपने दृष्टिकोण से ही अपना मूल्यांकन, दूसरों के आचार-व्यवहार और विचारों के अच्छे-बुरे होने का निर्णय लेते हैं। जीवन में लोग उन्हीं चीजों को महत्व देते हैं, जिन्हें वह स्वयं महत्वपूर्ण मानते हैं अथवा जिस क्षेत्र में उनकी योग्यता अच्छी होती है, उसी क्षेत्र को वे अच्छा मानते हैं।

दृष्टि और दृष्टिकोण का अंतर
इस सन्दर्भ में आगे चर्चा करने से पहले हमें दृष्टि और दृष्टिकोण का अंतर समझना होगा। आपकी दृष्टी जहाँ तक जाती है, वह आपका दृष्टिकोण नहीं है वह तो आपका सिर्फ देखना होता है। पर उसी चीज को आप किस नजरिये से देखते हैं वह आपका दृष्टिकोण होता है। यदि आप अपने किसी कार्य को करने से पहले ही सफल होते हुए देखते हैं तो वह आपका सकारात्मक दृष्टिकोण होगा, वहीं अगर आप अपने किसी कार्य को करने से पहले ही असफल होते हुए देखते हैं या सोचते हैं तो वह आपका नकारात्मक दृष्टिकोण होगा। कहने का तात्पर्य यह है कि जैसा आप सोचने व देखने का नजरिया रखते हैं वह थीं वैसा ही आपके साथ घटित होता है। दरअसल आपकी सोच ही आपकी आतंरिक शक्ति बन जाती है। अच्छी सोच जहाँ सफलता दिलाने के लिये मजबूत आत्मबल प्रदान करती है, वहीं गलत सोच आपका आत्मबल कमजोर करती है। दरअसल आपका सकारात्मक दृष्टिकोण आपको वह तस्वीर दिखाता है, जिसे आप अपनी नज़रों से नहीं देख पाते।

स्वयं पर भरोसा जरूरी
दरअसल महत्वपूर्ण बात यह है कि आपका दृष्टिकोण आपके स्व-विश्वास से बनता है। यदि आपको स्वयं पर भरोसा है, तो आपका दृष्टिकोण भी सकारात्मक होगा। ऐसे में आप जो भी योजना बनाएंगे, उसके एवज में आप अपने विश्वास के बल पर उस योजना को कामयाब होते पहले ही देख लेते हैं।

भविष्य की प्लानिंग करें
आज रिलायंस पूरी दुनिया में किसी परिचय की मोहताज नहीं है। दूसरी तरफ कुछ लोग भविष्य के विषय में सोचना बेकार का काम समझते हैं। दरअसल उनका अपना कोई दृष्टिकोण नहीं होता, भविष्य की कोई प्लानिंग नहीं होती। उस पर तुर्रा यह कि 'हम आज में जी रहे हैं,' आज जीओ, आज खाओ-पीओ, मौज करो। कल की जब कोई बात होती तब देखेंगे। उनकी यही सोच उन्हें असफलता की ओर ले जाती है। ऐसे लोग जीवन में कभी कुछ नहीं बन पाते। वे कुँए के मेंढक की भांति 'आज' नामक कुँए में डुबकियां मारते रहते हैं और 'कल' नामक मीठे पानी वाली गंगा का कभी आनंद नहीं ले पाते। कडवा सच यह है कि वे जानते ही नहीं कि इस 'आज में 'कल' छिपा है। 'कल' जिसे वे 'आज' कहेंगे, वही उनका भविष्य है, लेकिन विचारों की व्यापकता और सकारात्मक दृष्टिकोण न होने के कारण वे लोग आगे नहीं बढ़ पाते।

इस प्रकार के लोगों का व्यक्तित्व भी प्रभावशाली नहीं बन पाता। नायक वाले गुण, दूसरों को चुम्बक की भांति अपनी ओर खींचने वाला, आकर्षित करने वाला आकर्षण उनमें पैदा ही नहीं हो पाता। दूसरों को सम्मोहित करने वाला आकर्षण कैसे पैदा हो, वे इस बट को जानते-समझने की जरूरत ही नहीं समझते।

सकारात्मक सोच रखें
जिस दिन आप अपने दृष्टिकोण को सकारात्मक बना लेंगे, उस दिन आप पाएंगे कि आपमें स्वतः कई प्रकार की असीम शक्तियों का विकास हो चुका है। आप पाएंगे कि आपका आत्मविश्वास पहले से कई गुना बढ़ चुका है। आपके चेहरे पर एक मनमोहक व प्रभावशाली चमक आ चुकी है। आपके माथे पर तेज आ गया है। आपकी बातों में वजन, चाल में अजब से शान और विश्वास आ चुका है। आप यह देखकर आश्चर्यचकित रह जाएंगे कि लोग खुद-ब-खुद आपसे आकर्षित होकर आपकी तरफ खींचे चले आ रहे हैं।

जीवन का वट वृक्ष विचार शक्ति पर ही निर्भर करता है। आप अपने बारे में जैसा सोचते हैं, वैसा ही बन पाते हैं। जहाँ कोई एक सकारात्मक विचार आपको सुख-समृद्धी के अथाह सागर तक ले जाता है, तो वही कोई नकारात्मक विचार आपको अन्धकार और गुमनामियों की खाई में धकेल देता है। साधू बनेंगे या शैतान, यह पाके विचार के अनुसार अपने चारों तरफ का वातावरण तैयार करते हैं। यदि आप अपने विचारों में सकारात्मकता ले आएं तो आप शैतान को साधू में बदल सकते हैं। इस तरह देखेंगे कि आपकी दुनिया ही बदल जाएगी।