परिक्षा का नाम सुनकर अच्छे-अच्छों के होश उड़ जाते हैं। शायद यही कारण है की इससे लोगों में तनाव पैदा हो जाता है। इस समस्या से सबसे ज्यादा पीड़ित स्टूडेंट्स होते हैं। अक्सर देखा गया है की परिक्षा के समय छात्र-छात्राएं अपना आत्मविश्वास खो देते हैं। कई स्टूडेंट्स तो बीमार तक पद जाते हैं। दुनियाभर के साइकोलाँजिस्टों के अनुसार परिक्षा के समय 80 प्रतिशत छात्र-छात्राओं का जीवन असामान्य हो जाता है। जरूरत है थोड़े से उपायों की।
विशवास : आपको मौक़ा तभी मिलता है जब आप उसके काबिल हैं। अपनी पूरी मेहनत और परिश्रम लगा दें। साथ ही अपने पर विशवास रखें की आप कर सकतें हैं। परीक्षा के समय ऐसी ही सोच की जरूरत होती है।
परेशानियां : अगर पढाई के समय आपको कुछ समझ नहीं आ रहा है, तो उसे लेकर परशान न हों। आप अगर उसे और पढने की कोशिश करें तो उलझ भी सकते हैं, इसलिए टीचर की राय से पढ़ें।
घबराइए नहीं : परीक्षा हर साल होती है तो इसे देने में घबराहट कैसी? जीवन में आप ऐसे कई कार्य करेंगे की बाद में इन परीक्षाओं को मामूली कहेंगे। पढाई को रोज के जिन्दगी का हिसासा बनाइये इससे परीक्षा के दौरान पढने में आपको न परेशानी होगी और न स्ट्रेस।
पढ़ने के तरीके : कभी-कभी ऐसा होता है आप पढ़ते जा रहे हैं और ना तो कुछ समझ आ रहा है और उस समय ना ही कुछ याद हो रहा है, क्योंकि आपका दिमाग कहीं और ही है। पढ़ते-पढ़ते हम खो जाते हैं। हमारा एकाग्रता भंग हो जाती है और पता नहीं कौन सी उलझन या सोच में डूब जाते हैं जो हमारे पढाई से कोसो दूर है। इस सबसे बचने के लिए पढने के नए तरीके सोचिये कभी लिख कर पढ़िए तो कभी चलते-चलते पढ़ें। जब भी मौक़ा मिले कागज़ निकाला और याद करने लगे। तार्किक, फार्मूले याद नहीं होते। उन्हें अपने जीवन से जोडिये और फिर तुरंत आपको सब याद हो जाएगा।
सहयोग : मम्मी-पापा आपको इस समय सबसे ज्यादा सहयोग दे सकते हैं, क्योंकि यह इस दौर से निकल चुके हैं। अपने दोस्त, टीचर का थोडा सहयोग भी आपको घबराहट से बाहर निकाल सकता है, इसलिए इन्ससे बात करने से हिचकिचाइए मत।
एक्जाम स्ट्रेस : परिक्षा के समय छात्र-छात्राओं का जीवन असामान्य हो जाता है। साथ ही व्यवहार में भी काफी परिवर्तन देखने को मिलता है। नींद न आना, भूख कम हो जाना परिक्षा के दिनों में आम बात होती है, लेकिन इस समस्या से निदान भी पाया जा सकता है।
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