आरती
आरती श्री राधाजी क़ी
आरती श्री वृषभानुलली की ।
सत- चित आनंद कन्द कलि की ॥टेक॥
भयभुज्जनि भवसागर-तारिणी,
दिव्यधाम गोलोक विहारिणी,
जगपालिनी जगत जननि की ॥आरती॥
अखिल विश्व आनन्द विध्यायिनी,
मंगलमयी सुमंगल दायिनी,
अमिय-राग-रस-रंग-रली की ॥आरती॥
नित्यानन्दमयी आहलादिनी,
आनन्दघन आनन्द प्रसादिनी,
सरस कमलिनी कृष्ण- अली की ॥आरती॥
नित्य निकुं जेश्वरी रासेश्वरी,
परम प्रेम रूपा परमेश्वरी,
गोपिगणाश्रयि गोपिजनेशवरि,
विमल विचित्र भाव- अवली की ॥आरती॥
02 जनवरी 2009
श्री राधा क़ी आरती
Posted by Udit bhargava at 1/02/2009 09:05:00 am
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