हमने लैला-मजनूँ, रोमियो-जूलियट, सोहनी-महिवाल, हीर-रांझा के प्रेम के किस्से बहुत सुने...कुछ लोग उसे काल्पनिक भी कहते हैं। लेकिन आज मैं जो प्रेम कथा आपके सामने लाया हूँ वह सत-प्रतिशत सत्य है। प्यार के बड़े-बड़े वादे तो हर कोई करता है... लेकिन जीवनभर साथ निभाने वाले लोग बहुत कम होते हैं।
यह कथा दो ऐसे प्रेमियों की है जिन्होंने देश-दुनिया से दूर रहकर भी उम्रभर एक दूसरे का साथ दिया। यह कथा चीन प्रांत की है। जहाँ पर एक बूढ़े शख्स और बूढ़ी औरत ने दुनिया की परवाह न करते सिर्फ एक-दूसरे के साथ रहकर अपने जीवन के पचास साल व्यतीत कर दिए।
वह दोनों चीन के दक्षिणी चौंगकिंग नगर की जियांगलिन कांउटी में बसी पहाड़ी पर स्थित एक गुफा में रहते थे। वह अपनी बूढ़ी पत्नी से बहुत प्यार करता था। चूँकि वह उससे दस साल बड़ी थी। इसलिए उसने अपना पूरा ध्यान अपनी प्यारी पत्नी की जरूरतों को पूरा करने में दिया।
आज से पचास साल पहले जब वो दोनों यहाँ पर आए थे तब उनके पास न तो कोई खाना था, न बिजली, न घर का कोई सामान। कुछ दिनों तक उन्होंने एक गुफा में रहकर घास और कंदमूल से ही अपना गुजारा किया। बाद में लुई नाम के इस 70 साल के बूढ़े प्रेमी ने अपनी पत्नी शू के लिए केरोसिन लेम्प बनाया और इस प्रकार उनके घर में रोशनी का आगमन हुआ।
दोस्तो, आप सोच रहेंगे कि इसमें ऎसी कौन सी बात है। जो इसे सबसे श्रेष्ठ प्रेम कथा कहा जा रहा है...तो सुनिए इसका जवाब...
आज से पचास साल पहले जब 19 साल के लुई गुओजियांग ने 29 साल की विधवा महिला शू चाओजिन को देखा तो पहली नजर में ही दोनों के बीच में प्यार हो गया।
उन्होंने अपनी शादी की बात अपने परिजनों के सामने रखी तो सभी ने उनका जमकर विरोध किया। शू भी लुई को बहुत चाहती थी। उन दोनों ने अपने परिवार के लोगों को मनाने का बहुत प्रयास किया लेकिन किसी को भी उन दोनों का रिश्ता मान्य नहीं था। आखिर में उन दोनों ने भागकर शादी कर ली और सबसे दूर दक्षिणी चौंगकिंग नगर की जियांगलिन कांउटी में बसी पहाड़ी पर स्थित एक गुफा में जाकर अकले रहने लगे।
शू उम्र में लुई से दस साल बड़ी थी। उसे पहाड़ से अपने घर तक की चढा़ई पार करने में मुश्किल हुई। लुई को यह बात मालूम थी इसलिए उसने यहाँ पर आने के दूसरे दिन से ही पहाड़ को काटकर सीढ़ियाँ बनाना शुरू कर दिया था। यह सिलसिला पचास सालों तक चला। इतने समय में उसने अपनी प्यार पत्नी की सहूलियत के लिए खुद अपने हाथों से लगभग 6 हजार सीढ़ियाँ बनाईं जो आज भी इस पहाड पर हैं।
वर्ष 2001 में इन सीढ़ियों पर साहसिक कार्य करने वाली एक संस्था का ध्यान पड़ा। पहले तो वह लोग यह मानने के लिए तैयार ही नहीं हुए कि इसको किसी एक आदमी ने अपने जीवन के पचास साल देकर खुद अपने हाथों से बनाया है, लेकिन बाद में उन लोगों को इस पर भरोसा हुआ।
एक दिन खेत से घर आने के बाद लुई अचानक ही बेहोश हो गया। यह उसके जीवन का अंतिम समय था। उसका हाथ अपनी पत्नी के हाथ में था। शू उसे देखकर रो रही थी। लुई ने एक प्यारभरी मुस्कान से शू के सामने देखा और फिर धीरे-धीरे उसकी आँखें हमेशा-हमेशा के लिए बंद हो गई।
तुमने मुझसे वादा किया था कि तुम जीवनभर मेरी देखभाल करोगे। तुम तब तक मेरा साथ नहीं छोड़ोगे जब तक मैं इस दुनिया में हूँ। और आज तुम मुझसे पहले ही यह दुनिया छोड़कर जा रहे हो। आखिर तुमने मेरे साथ धोखा किया है। लुई, मैं तुम्हारे बगैर कैसे जी सकूँगी।
उस बूढ़ी़ औरत की आँखों में आँसू थमने का नाम नही ले रहे थे। वह एक काले ताबूत में लिपटी हुई अपने पति की लाश के सामने फूट-फूटकर रो रही थी।
वर्ष 2006 में 'चाइनीज वूमन वीकली ' ने उनके प्यार की इस दास्तान को चीन की सर्वश्रेष्ठ 10 प्रेम कहानियों में से एक के तौर पर प्रदर्शित की। यहाँ की स्थानीय सरकार ने आज भी उस 'प्यार की सीढ़ियों को सुरक्षित रखा है और वह स्थान जहाँ पर यह दोनो प्रेमी रहते थे उसको म्यूजियम में तब्दील किया गया है। यहाँ पर हर दिन कई सारे प्रेमी आते हैं।
06 जून 2011
प्यार की सीढ़ियाँ
Posted by Udit bhargava at 6/06/2011 06:37:00 pm
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