लाल किताब
लाल किताब को वैदिक ज्योतिष की सबसे महत्वपूर्ण किताबों में से एक माना गया है। हालाँकि इसकी भविष्यवाणी वैदिक ज्योतिष से काफी अलग होती है। लाल किताब के मूल रचना कार का नाम वैसे तो अज्ञात है लेकिन पंडित रूप चंद्र जोशी जी ने इसके पांच खंडों की रचना कर आम लोगों के लिए इस किताब को पढ़ना आसान कर दिया। लाल किताब की मूल रचना उर्दू और फ़ारसी भाषा में की गयी थी। ये ज्योतिषशास्त्र के स्वतंत्र मौलिक सिद्धांतों पर आधारित एक किताब है जिसकी अपनी कुछ अनोखी विशेषताएँ हैं। इस किताब में वर्णित प्रमुख उपायों का प्रयोग व्यक्ति अपनी कुंडली में मौजूद ग्रह दोषों को दूर करने के लिए कर सकता है। इसमे दिए गए उपायों का पालन व्यक्ति आसानी से कर उससे अधिक से अधिक लाभ प्राप्त कर सकता है। लाल किताब की उत्पत्ति की बात करें तो ये पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में खुदाई के दौरान तांबे के पट पर उर्दू और फ़ारसी भाषा में अंकित मिली थी। बाद में पंडित रूप चंद्र जोशी के इसे पांच भागों में विभाजित कर उस समय आम लोगों की भाषा उर्दू में इसे लिखा। इस ज्योतिषीय किताब के उर्दू में होने की वजह से कुछ लोग ऐसा मानते हैं की इसका संबंध अरब देश से हैं, जबकि ये मात्र एक धारणा है।
लाल किताब का महत्व
लाल किताब में जीवन के हर क्षेत्र में आने वाली मुसीबतों के अचूक और आसान उपाय बताए गए हैं। इस किताब में बताए गए उपायों का अमीर, गरीब व दूसरे सभी वर्ग के व्यक्ति बहुत ही आसानी से पालन कर सकते हैं। इस किताब में वैदिक ज्योतिष से इतर कुंडली के सभी भावों के स्वामी ग्रहों के बारे में ना बताकर हर भाव के एक निश्चित स्वामी ग्रह के बारे में बताया गया और इसी के आधार पर ये ज्योतिषीय गणना कर जातक को भविष्यफल प्रदान करती है। इस किताब में बारह राशियों को बारह भाव माना गया है और उसी के आधार पर फलों की गणना की गयी है। लाल किताब में दिए उपायों को आमतौर पर दिन के समय ही करने से ही समस्या का निदान होता है। उपायों को करने से पहले अपनी कुंडली का विश्लेषण निश्चित रूप से करवा लेना चाहिए। लाल किताब में मुख्य रूप से जातक के पारिवारिक, आर्थिक, स्वास्थ्य, कार्य क्षेत्र, व्यापार, शादी, प्रेम और शिक्षा के क्षेत्र में आने वाली समस्याओं के उपाय बताए गए हैं। हर व्यक्ति की कुंडली में मौजूद ग्रह नक्षत्र का प्रभाव अलग-अलग पड़ता है और उसके अनुसार ही इस किताब में व्यापक प्रभावी उपायों के बारे में बताया गया है।पंडित रूप चंद्र जोशी ने लाल किताब को निम्लिखित पांच भागों में विभाजित किया है :-
- लाल किताब के फरमान : लाल किताब के इस प्रथम भाग को साल 1939 में प्रकाशित किया गया था।
- लाल किताब के अरमान : इस किताब के द्वितीय भाग को 1940 में प्रकाशित किया गया।
- लाल किताब (गुटका) : साल 1941 में लाल किताब के इस तीसरे भाग का प्रकाशन हुआ था।
- लाल किताब : इस किताब के चौथे भाग को 1942 में प्रकाशित किया गया था।
- लाल किताब : लाल किताब के पांचवें और आखिरी संस्करण को साल 1952 में प्रकाशित किया गया।
सूर्य ग्रह का 12 भावों में फल लाल किताब के अनुसार
लाल किताब के अनुसार सूर्य ग्रह को सबसे प्रभावशाली ग्रह माना गया है। यह सभी ग्रहों का स्वामी कहलाता है। लाल किताब के अनुसार सूर्य का 12 भावों में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही तरह से पड़ता है। हालाँकि सूर्य ग्रह शांति के लिए लाल किताब के उपाय बहुत ही कारगर होते हैं। वैदिक ज्योतिष से अलग लाल किताब में सूर्य के प्रभाव और इससे संबंधित टोटके बताए गए हैं। आज हम इस लेख के माध्यम से जानेंगे कि कुंडली के 12 भाव में लाल किताब के अनुसार सूर्य ग्रह का क्या प्रभाव पड़ता है और इसके क्या उपाय हैं। नीचे प्रत्येक प्रभाव भाव पर सूर्य का प्रभाव और उससे संबंधित उपाय दिए गए हैं:लाल किताब में सूर्य ग्रह का महत्व
जिस प्रकार वैदिक ज्योतिष में सूर्य को एक प्रमुख ग्रह माना गया है उसी प्रकार लाल किताब में भी सूर्य को उतना ही महत्व दिया गया है। पुराणों में सूर्य को देवता कहा गया है जो समस्त संसार की आत्मा है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, सूर्य महर्षि कश्यप और अदिति के पुत्र हैं। ज्योतिष में सूर्य को ग्रहों का राजा कहा जाता है और यह सिंह राशि का स्वामी है। मेष इसकी उच्च राशि है जबकि तुला राशि में यह नीच भाव में माना जाता है। वहीं चंद्रमा, मंगल और गुरु सूर्य के मित्र ग्रह हैं। जबकि शुक्र और शनि इसके शत्रु ग्रह माने जाते हैं। सूर्य के शुभ फल पाने तथा इसके बुरे प्रभाव से बचने के लिए बेल की जड़, माणिक्य रत्न अथवा एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करने विधि ज्योतिष में बतायी गई है।सूर्य अपने मित्र ग्रहों के साथ होता है तो यह जातकों को शुभ फल देता है। जबकि शत्रु ग्रहों के साथ इसके फल अच्छे नहीं होते हैं। ऐसा कहते हैं कि सूर्य के समीप आने पर किसी भी ग्रह का प्रभाव शून्य हो जाता है, इसलिए कई बार ऐसा होता है कि सू्र्य के प्रभाव में आने के कारण संबंधित ग्रह अपनी प्रकृति के अनुसार परिणाम नही दे पाते हैं। सूर्य गोचर के दौरान क़रीब एक महीने में एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है। इस कारण संपूर्ण राशि चक्र को पूरा करने में सूर्य 12 माह अर्थात एक वर्ष लगाता है। यह अन्य ग्रहों की तरह वक्री नहीं होता है।
लाल किताब के अनुसार सूर्य ग्रह के कारकत्व
सूर्य को जातक की कुंडली में सम्मान, सफलता, प्रगति एवं सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्र में उच्च सेवा का कारक माना जाता है। ज्योतिष में सूर्य को आत्मा तथा पिता का कारक भी कहा गया है। सूर्य सभी ग्रहों का राजा होता है अर्थात यह नेतृत्व का प्रतीक है। पृथ्वी पर ऊर्जा का सबसे बड़ा प्राकृतिक स्रोत सूर्य ही है। इसलिए सूर्य को ऊर्जा का भी कारक माना जाता है। इसके अलावा सूर्य ग्रह आत्मा का कारक होता है। मनुष्य के शरीर में सूर्य उसके हृदय को दर्शाता है। साथ ही यह पुरुषों की दायीं आँख जबकि महिलाओं की बायीं आँख का प्रतिनिधित्व करता है। पीड़ित सूर्य के कारण जातकों को कई प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ता है। अतः यह लो ब्लड प्रेशर, चेहरे पर मुहांसे, तेज़ बुखार, टाइफाइड, मिर्गी एवं पित्त, हृदय या हड्डी से संबंधित रोगों का कारक है।लाल किताब के अनुसार सूर्य ग्रह का संबंध
सूर्य ग्रह का संबंध भगवान विष्णु जी है। शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि सूर्य ग्रह भगवान विष्णु जी का प्रतीक हैं जो कि रथ पर सवार हैं। लाल किताब में सूर्य ग्रह का संबंध तांबा, तांबे से संबंधित वस्तुएँ, काली कपिला गाय, इकलौता पुत्र, सख़्त राजा, बहादुर, नीतिवान, क्षत्रिय, राजपूत, माणिक पत्थर, तेज फल, गेहूँ, बाजरा, शिलाजीत, भूरी भैंस आदि से है।लाल किताब के अनुसार सूर्य ग्रह के प्रभाव
यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्य बली हो तो जातक को इसके सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं। वहीं यदि कुंडली में सूर्य पीड़ित हो तो जातक को इसके नकारात्मक प्रभाव झेलने पड़ते हैं। जैसा कि हम ऊपर बता चुके हैं कि सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में बली होगा जिसके कारण जातकों को अच्छे फल प्राप्त होंगे। वहीं सूर्य अपनी नीच राशि तुला में होगा तो जातक को अशुभ फल मिलेंगे। इसके अतिरिक्त मित्र ग्रहों (चंद्रमा, मंगल, गुरु) के साथ सूर्य शक्तिशाली होता है। अतः यह स्थिति जातकों के लिए शुभ होती है। जबकि शत्रु ग्रहों के साथ होने पर सूर्य जातकों के लिए हानिकारक हो जाता है। आइए जानते हैं किस प्रकार से सूर्य के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव क्या हैं:
·
सकारात्मक
प्रभाव - जिस जातक की कुंडली में
सूर्य उच्च में होता है तो वह
जातक स्वयं के बल पर
कार्यक्षेत्र में उन्नति प्राप्त करता है। ऐसे व्यक्ति की राह में
जितनी रुकावटें आती हैं वह उन रुकावटों
को अवसरों परिवर्तन कर आगे बढ़ता
है और उसके शत्रुओं
का नाश होता है। सूर्य का सकारात्मक प्रभाव
जातकों को समाज में
मान-सम्मान दिलाता है। इसके साथ ही सरकारी क्षेत्र
में जातक उच्च पद की प्राप्ति
करता है। इसके अलावा सूर्य के शुभ प्रभाव
के कारण व्यक्ति समाज का नेतृत्व करता
है। स्वास्थ्य की दृष्टि से
भी जातक सदैव ऊर्जावान बना रहता है और उसके
साहस में वृद्धि होती है। सूर्य का सकारात्मक प्रभाव
जातकों की आभा को
तेजवान बनाता है।
·
नकारात्मक
प्रभाव - सूर्य ग्रह का नकारात्मक प्रभाव
जातक को अहंकारी बनाता
है। जातक अपने से संबंधित चीज़ों
को लेकर घमंडी हो जाता है।
इसके साथ सूर्य का नकारात्मक प्रभाव
जातक को विश्वासहीन, ईर्ष्यालु,
क्रोधी, महत्वाकांक्षी, आत्म केंद्रित, क्रोधी आदि बनाता है। वहीं पीड़ित सूर्य का प्रभाव पिताजी
से संबंधों को ख़राब करता
है। इस दौरान छोटी-छोटी बातों को लेकर पिताजी
से झगड़ा अथवा उनसे मतभेद बना रहता है। अगर इसी को पिता के
नज़रिए से देखें तो
पीड़ित सूर्य के कारण पिता
के संबंध पुत्र से ठीक नहीं
रहते हैं। पीड़ित सूर्य का प्रभाव जातकों
के वैवाहिक जीवन पर भी नकारात्मक
असर डालता है।
लाल किताब के अनुसार सूर्य ग्रह शांति के टोटके/उपाय
ज्योतिष में लाल किताब के उपाय को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। अतः लाल किताब में सूर्य ग्रह शांति के टोटके जातकों के लिए बहुत ही लाभकारी होते हैं। ये उपाय बहुत सरल होते हैं। अतः इन्हें कोई भी व्यक्ति आसानी से स्वयं कर सकता है। सूर्य ग्रह से संबंधित लाल किताब के उपाय करने से जातकों को सूर्य के सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं। सूर्य ग्रह से संबंधित लाल किताब के उपाय निम्नलिखित हैंः- पति-पत्नी में से किसी एक को गुड़ से परहेज करना चाहिए
- मुफ्त की चीज़ न लें।
- माँ का आशीर्वाद सदैव लें और चावल-दूध का दान करें।
- अंधे व्यक्ति की सहायता करें।<
- दूसरों के साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार करें।
लाल किताब के अनुसार सूर्य का पहले भाव में फल
Prediction for Sun in First house in Hindi according to Lal Kitab
यदि सूर्य शुभ है तो जातक धार्मिक इमारतों या भवनों का निर्माण और सार्वजनिक उपयोग के लिए कुओं की खुदाई करवाता है। उसकी आजीविका का स्थाई स्रोत अधिकांशत: सरकारी होगा। इमानदारी से कमाए गए धन में बृद्धि होगी। जातक अपनी आंखों देखी बातों पर ही विश्वास करेगा, कान से सुनी गई बातों पर नहीं। यदि सूर्य अशुभ है तो जातक के पिता की मृत्यु जातक के बचपन में ही हो जाती है। यदि शुक्र सातवें भाव में हो तो दिन के समय बनाया गया शारीरिक संबंध पत्नी को लगातार बीमारी देता है और तपेदिक के संक्रमण का भय पैदा करता है। पहले भाव का अशुभ सूर्य और पांचवें भाव का मंगल एक-एक कर संतान की मृत्यु का कारण होगा। इसी प्रकार पहले भाव का अशुभ सूर्य और आठवें भाव का शनि एक-एक करके संतान की मृत्यु का कारण बनता है। यदि सातवें भाव में कोई ग्रह न हो तो 24 से पहले विवाह कर लेना जातक के लिए भाग्यशाली रहता है अन्यथा जातक के चौबीसवां साल विनाशकारी साबित होगा।उपाय:
(1) 24 वर्ष से पहले ही शादी कर लें।
(2) दिन के समय यौन संबंध न बनाएं।
(3) अपने पैतृक घर में पानी के लिए एक हैंडपंप लगवाएं।
(4) अपने घर के अंत में बाईं ओर एक छोटे और अंधेरे कमरे का निर्माण कराएं।
(5) पति या पत्नी दोनों में से किसी एक को गुड़ खाना बंद कर देना चाहिए।
लाल किताब के अनुसार सूर्य का दूसरे भाव में फल
Prediction for Sun in Second house in Hindi according to Lal Kitab
यदि सूर्य शुभ है तो जातक आत्मनिर्भर होगा, शिल्पकला में कुशल और माता-पिता, मामा, बहनों, बेटियो तथा ससुराल वालों का सहयोग करने वाला होगा। यदि चंद्रमा छठवें भाव में होगा तो दूसरे भाव का सूर्य और भी शुभ प्रभाव देगा। आठवें भाव का केतू जातक को अधिक ईमानदार बनाता है। नौवें भाव का राहू जातक को प्रसिद्ध कलाकार या चित्रकार बनता है। नवम भाव का केतू जातक को महान तकनीकी जानकार बनाता है। नवम भाव का मंगल जातक को फैशनेबल बनाता है। जातक का उदार च्ररित्र उसके दुश्मनों की बृद्धि को रोकता है। यदि सूर्य अशुभ है तो सूर्य से सम्बंधित चीजों और रिश्तों जैसे पत्नी, धन, विधवाओं, गाय, स्वाद, माँ आदि पर बुरा प्रभाव पडता है। धन और सम्पत्ति को लेकर विवाद होता है। जातक की पत्नी जातक को बिगाडने वाली होगी। यदि चंद्रमा आठवें भाव में और सूर्य दूसरे भाव में हो तो दान में कोई वस्तु नहीं लेनी चाहिए अन्यथा जातक पूरी तरह विनाश को प्राप्त होगा। यदि सूर्य दूसरे, मंगल पहले और चंद्रमा बारहवें भाव में हो तो जातक की हालत गंभीर हो सकती है और वह हर तरीके से दयनीय होगा। यदि दूसरे भाव में सूर्य अशुभ हो तो आठवें भाव में स्थित मंगल जातक को लालची बनाता है।उपाय:
(1) किसी धार्मिक स्थान में नारियल का तेल, सरसों का तेल और बादाम दान करें।
(2) धन, संपत्ति, और महिलाओं से जुड़े विवादों से बचें।
(3) दान लेने से बचें, विशेषकर चावल, चांदी, और दूध का दान नहीं लेना चाहिए।
लाल किताब के अनुसार सूर्य का तीसरे भाव में फल
Prediction for Sun in Third house in Hindi according to Lal Kitab
यदि सूर्य शुभ है तो जातक अमीर, आत्मनिर्भर और छोटे भाइयों से युक्त होगा। जातक पर ईश्वरीय कृपा होगी और वह बौद्धिक व्यवसाय द्वारा लाभ कमाएगा। वह ज्योतिष और गणित में रुचि रखने वाला होगा। यदि तीसरे भाव में सूर्य अशुभ है और कुण्डली में चन्द्रमा भी अशुभ है तो जातक के घर में दिनदहाडे चोरी या डकैती हो सकती है। यदि नवम भाव भी पीडित है तो जातक के पूर्वज गरीब होंगें। यदि पहला भाव पीडित है तो जातक के पडोसियों का विनाश हो सकता है।उपाय:
(1) मां को खुश रखते हुए उसका आशिर्वाद लें
(3) दूसरों को चावल या दूध परोसें
(4) सदाचारी रहें और बुरे कामों से बचने का प्रयास करें
लाल किताब के अनुसार सूर्य का चौथे भाव में फल
Prediction for Sun in Fourth house in Hindi according to Lal Kitab
यदि सूर्य शुभ है तो जातक बुद्धिमान, दयालु और अच्छा प्रशासक होगा। उसके पास आमदनी का स्थिर श्रोत होगा। ऐसा जातक मरने के बाद अपने वंशजों के लिए बहुत धन और बडी विरासत छोड जाता है। यदि चंद्रमा भी सूर्य के साथ चौथे भाव में स्थित है तो जातक किसी नए शोध के माध्यम से बहुत धन अर्जित करेगा। ऐसे में चौथे भाव या दसम भाव का बुध जातक को प्रसिद्ध व्यापारी बनाता है। यदि सूर्य के साथ बृहस्पति भी चौथे भाव में स्थित है तो जातक सोने और चांदी के व्यापर से अच्छा मुनाफा कमाता है। यदि चौथे भाव में सूर्य अशुभ है तो जातक लालची होगा। जातक को चोरी करने और दूसरों को नुकसान पहुचाने में मजा आता है। यह प्रवृत्ति अंततः बहुत बुरे परिणाम को जन्म देती है। यदि शनि सातवे भाव में हो तो जातक को रतौंधी रोग हो सकता है। यदि सूर्य चौथे भाव मे पीडित हो और मंगल दसम भाव में हो तो जातक की आंखों में दोष हो सकता है लेकिन उसकी किस्मत कमजोर नहीं होगी। यदि अशुभ सूर्य चतुर्थ भाव में हो साथ ही चंद्रमा पहले या दूसरे भाव में हो और शुक्र पंचम भाव तथा शनि सातवें भाव में हो तो जातक नपुंसक हो सकता है।उपाय:
(1) जरूरतमंद और अंधे लोगों को दान दें और खाना बांटें।
(2) लोहे और लकड़ी के साथ जुड़ा व्यापार न करें।
(3) सोने, चांदी और कपड़े से सम्बंधित व्यापार, लाभकारी रहेंगे।
लाल किताब के अनुसार सूर्य का पांचवें भाव में फल
Prediction for Sun in Fifth house in Hindi according to Lal Kitab
यदि सूर्य शुभ है तो निश्चित ही परिवार तथा बच्चों की प्रगति और समृद्धि होगी। यदि मंगल पहले अथवा आठवें भाव में हो तथा राहू या केतू और शनि नौवें और बारहवें भाव में हो तो जातक राजसी जीवन जीता है। यदि पांचवें भाव में कोई सूर्य का शत्रु ग्रह स्थित है तो जातक को सरकार जनित परेशानियों का सामना करना पडेगा। यदि बृहस्पति नौवें या बारहवें भाव में स्थित है तो जातक के शत्रुओं का विनाश होगा लेकिन यह स्थिति जातक के बच्चों के लिए ठीक नहीं है। यदि पांचवें भाव का सूर्य अशुभ है और बृहस्पति दसवें भाव में है तो जातक की पत्नी जीवित नहीं रहती और चाहे जितने विवाह करें पत्नियां मरती जाएंगी। यदि पांचवें भाव में अशुभ सूर्य हो और शनि तीसरे भाव में हो तो जातक के पुत्र जीवित नहीं रहते।उपाय:
(1) संतान पैदा करने में देरी नहीं करनी चाहिए।
(2) अपनी रसोई घर के पूर्वी भाग में बनाएँ।
(3) लगातार 43 दिनों तक सरसों के तेल की कुछ बूंदे जमीन पर गिराएं।
लाल किताब के अनुसार सूर्य का छठें भाव में फल
Prediction for Sun in Sixth house in Hindi according to Lal Kitab
यदि सूर्य शुभ है तो जातक भाग्यशाली, क्रोधी, सुंदर जीवनसाथी वाला तथा सरकार से लाभ पाने वाला होता है। यदि सूर्य छठे भाव में हो, चंद्रमा, मंगल और बृहस्पति दूसरे भाव में हों तो परंपरा का निर्वाह करना फायदेमंद रहता है। यदि सूर्य छ्ठे भाव में हो और सातवें भाव में केतू या राहू हो तो जातक के एक पुत्र होगा और 48 सालों के भाग्योन्नति होती है। यदि दूसरे भाव में कोई भी ग्रह न हों तो जातक को जीवन के 22वें साल में सरकारी नौकरी मिलती है। यदि सूर्य अशुभ हो तो जातक का पुत्र और ननिहाल के लोगों को मुसीबतों का सामना करना पडता है। जातक का स्वास्थ भी ठीक नहीं रहता। यदि मंगल दशम भाव में स्थित हो तो जातक के पुत्र एक एक करके मरते जाएंगे। बारहवें भाव में स्थित बुध उच्च रक्त चाप का कारण बनता है।उपाय:
(1) कुल परम्परा और धार्मिक परम्पराओं कड़ाई से पालन करें अन्यथा परिवार की प्रगति और प्रसन्नता नष्ट होती है।
(2) घर के आहाते (परिसर) में भूमिगत भट्टियों का निर्माण न करें।
(3) रात में भोजन करने के बाद दूध का छिड़काव करके रसोई की आग और स्टोव आदि को बुझाएं।
(4) हमेशा अपने घर के परिसर में गंगाजल रखें।
(5) बंदरों को गेहूं अथवा गुड़ खिलाएं।
लाल किताब के अनुसार सूर्य का सातवें भाव में फल
Prediction for Sun in Seventh house in Hindi according to Lal Kitab
सातवें भाव में स्थित सूर्य यदि शुभ है और यदि बृहस्पति, मंगल अथवा चंद्रमा दूसरे भाव में है तो जातक सरकार में मंत्री जैसा पद प्राप्त करता है। बुध उच्च का हो या पांचवें भाव में हो अथवा सातवां भाव मंगल से देखा जा रहा हो तो जातक के पास आमदनी का अंतहीन श्रोत होता है। यदि सातवें भाव में स्थित सूर्य हानिकारक हो और बृहस्पति, शुक्र या कोई और अशुभ ग्रह ग्यारहवें भाव में स्थित हो तो तथा बुध किसी भी भाव में नीच का हो तो जातक की मौत किसी मुठभेड में परिवार के कई सदस्यों के साथ होती है। जातक को सरकार की ओर से परेशानियां तथा तपेदित और अस्थमा जैसी बीमारियां हो सकती हैं। आगजनी, सांवलापन और अन्य पारिवारिक कष्ट से आई झुंझलाहट जातक को वैरागी बनने या आत्महत्या करने को मजबूर कर सकती है। सातवें भाव हानिकारक सूर्य हो और मंगल या शनि दूसरे या बारहवें भाव में स्थित हों तथा चंद्रमा पहले भाव में हो तो जातक को कुष्ट या ल्यूकोडर्मा जैसे चर्मरोग हो सकते हैं।उपाय:
(1) नमक सेवन की मात्रा को कम करें।
(2) किसी भी काम को शुरू करने से पहले मीठा खाएं और उसके बाद पानी जरूर पियें।
(3) खाना खाने से पहले रोटी का एक टुकड़ा रसोई घर की आग में डालें।
(4) काली अथवा बिना सींग वाली गाय को पालें और उसकी सेवा करें लेकिन ध्यान रहे गाय सफेद नहीं होनी चाहिए।
लाल किताब के अनुसार सूर्य का आठवें भाव में फल
Prediction for Sun in Eighth house in Hindi according to Lal Kitab
आठवें भाव स्थित सूर्य यदि अनुकूल हो तो उम्र के 22वें वर्ष से सरकार का सहयोग मिलता है। ऐसा सूर्य जातक को सच्चा, पुण्य और राजा की तरह बनाता है। कोई उसे नुकसान पहुँचाने में सक्षम होता। यदि आठवें भाव स्थित सूर्य अनुकूल न हो तो दूसरे भाव में स्थित बुध आर्थिक संकट पैदा करेगा। जातक अस्थिर स्वभाव, अधीर और अस्वस्थ्य रहेगा।उपाय:
(1) घर में कभी भी सफेद कपड़े न रखें।
(2) दक्षिण मुखी घर में न रहें।
(3) हमेशा किसी भी नए काम शुरू करने से पहले मीठा खाकर पानी पिएं।
(4) यदि सम्भव हो तो किसी जलती हुई चिता में तांबे के सिक्के डालें।
(5) बहते हुए पानी में गुड़ बहाएं।
लाल किताब के अनुसार सूर्य का नौवें भाव में फल
Prediction for Sun in Ninth house in Hindi according to Lal Kitab
नवमें भाव स्थित सूर्य यदि अनुकूल हो तो जातक भाग्यशाली, अच्छे स्वभाव वाला, अच्छे पारिवारिक जीवन वाला और हमेशा दूसरों की मदद करने वाला होगा। यदि बुध पांचवें घर में होगा तो जातक का भाग्योदय 34 साल के बाद होगा। यदि नवमें भाव स्थित सूर्य अनुकूल न हो तो जातक बुरा और अपने भाइयों के द्वारा परेशान किया जाएगा। सरकार से अरुचि और प्रतिष्ठा की हानि।उपाय:
(1) उपहार या दान के रूप में चांदी की वस्तुएं कभी स्वीकार न करें। चांदी की वस्तुएं अक्सर दान करते रहें।
(2) पैतृक बर्तन और पीतल के बर्तन नहीं बेचना चाहिए बल्कि इन्हें हमेशा इस्तेमाल करना चाहिए।
(3) अत्यधिक क्रोध और अत्यधिक कोमलता से बचें।
लाल किताब के अनुसार सूर्य का दसवें भाव में फल
Prediction for Sun in Tenth house in Hindi according to Lal Kitab
दसम भाव में स्थित सूर्य यदि शुभ हो तो सरकार से लाभ और सहयोग मिलता है। जातक का स्वास्थ्य अच्छा और वह आर्थिक रूप से मजबूत होता है। जातक को सरकारी नौकरी, वाहनों और कर्मचारियों का सुख मिलता है। लेकिन जातक हमेशा दूसरों पर शक करता है। यदि दसम भाव में स्थित सूर्य हानिकारक हो और शनि चौथे भाव में हो तो जातक के पिता की मृत्यु बचपन में हो जाती है। सूर्य दसम भाव में हो और चंद्रमा पांचवें घर में हो तो जातक की आयु कम होती है। यदि चौथे भाव में कोई ग्रह न हों तो जातक सरकारी सहयोग और लाभ से वंचित रह रह जाएगा।उपाय:
(1) कभी भी काले और नीले कपडे न पहनें।
(2) किसी नदी या नहर में लगातार 43 दिनों तक तांबें का एक सिक्का डालना शुभतादायक रहेगा।
(3) मांस मदिरा के सेवन से बचें।
लाल किताब के अनुसार सूर्य का ग्यारहवें भाव में फल
Prediction for Sun in Eleventh house in Hindi according to Lal Kitab
यदि ग्यारहवें भाव में स्थित सूर्य शुभ है तो जातक शाकाहारी और परिवार का मुखिया होगा, उसके तीन बेटे होंगे औए उसे सरकार से लाभ मिलेगा। ग्यारहवें भाव में स्थित सूर्य यदि शुभ नहीं है और चंद्रमा पांचवें भाव में है तथा सूर्य पर किसी शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो यह जातक की आयु को कम करने वाली होती है।उपाय:
(1) मांस और शराब से बचें।
(2) रात में सोते समय बिस्तर के सिरहने बादाम या मूली रखकर सोएं और अगले दिन इसे किसी मंदिर में दान कर दें इससे आयु और संतान सुख में बॄद्धि होती है।
लाल किताब के अनुसार सूर्य का बारहवें भाव में फल
Prediction for Sun in Twelvth house in Hindi according to Lal Kitab
यदि बारहवें भाव में स्थित सूर्य शुभ हो तो जातक 24 साल के बाद अच्छा धन कमाएगा और जातक का पारिवारिक जीवन अच्छा होगा। यदि शुक्र और बुध एक साथ हों तो जातक को व्यापार से लाभ मिलता है और जातक ले पास आमदनी के नियमित स्रोत होते हैं। यदि बारहवें भाव का सूर्य अशुभ हो तो जातक अवसाद ग्रस्त, मशीनरी से आर्थिक हानि उठाने वाला और सरकार द्वारा दंडित किया जाने वाला होगा। यदि पहले भाव में कोई और पाप ग्रह हो तो जातक को रात में चैन की नींद नहीं आएगी।उपाय:
(1) हमेशा अपने घर में आंगन रखें।
(2) धार्मिक और सच्चे बनें।
(3) घर में एक चक्की रखें।
(4) अपने दुश्मनों को हमेशा क्षमा करें।
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