संत रविदास की गणना केवल भारत में ही नहीं अपितु विश्व के महान संतों में की जाती है। जिन्हें संत शिरोमणि गुरु रविदास से नवाजा गया है। संत रविदास की वाणी के अनुवाद संसार की विभिन्न भाषाओं में पाए जाते हैं, जिसका मूल कारण यह है कि संत रविदास उस समाज से सम्बद्ध थे, जो उस समय बौद्धिकता और ज्ञान के नाम से पूर्णतः अछूता था।समय जहाँ विविध प्रकार की समस्याओं को लेकर आता है वहीं समाधान भी अपने आगोश में छिपाए रहता है। परंतु महान व्यक्तित्व समय की परिधि को लाँघकर अपने बाद के हजारों वर्षों बाद तक प्रेरणा प्रदान करते रहते हैं। वे ऐसे कार्य की शुरुआत करते हैं जिनका मूल्य समय के क्रूर प्रहारों से कम नहीं हो सकता। ऐसे संत रविदासजी की जयंती, जो पूरे विश्व में मनाई जाती है।
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आज दिवस लेऊँ बलिहारा,मेरे घर आया प्रभु का प्यारा।
आँगन बंगला भवन भयो पावन,
प्रभुजन बैठे हरिजस गावन।
करूँ दंडवत चरण पखारूँ,
तन मन धन उन परि बारूँ।
कथा कहैं अरु अर्थ विचारैं,
आप तरैं औरन को तारैं।
कहिं रैदास मिलैं निज दास,
जनम जनम कै काँटे पांस।
ऐसे पावन और मानवता के उद्धारक सतगुरु रविदास का संदेश निःसंदेह दुनिया के लिए बहुत कल्याणकारी तथा उपयोगी है।
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